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हाथ-पान
लगाना स्पर्श करना, छूना, ले लेना। हाथ लगे मैला होना -- इतना स्वच्छ और पवित्र होना कि हाथ लगने से गंदा होजाये । (मोना) हाथ लगे मिट्टी होना - सब कार्य में असफलता होना । विलो० मिट्टी हाथ लगे सोना होना सब काम में सफलता होना। हाथों-हाथ - एक के हाथ से दूसरे के हाथ में होते हुये । हाथों हाथ लेना - बड़े श्रादर और सम्मान से स्वागत करना। हाथ खाली होनाफुरसत होना, कार्य न होना, पास में पैसा न होना । खाली हाथ हिलाते थाना
- कुछ लेकर न श्राना । (किसी कार्य, वस्तु या व्यक्ति का किसी के) हाथ में होना - उसके अधीन, अधिकार या वश में होना हाथ चलना ( चलाना ) - मारने की प्रवृत्ति होना ( मारना ) | हाथोंहाथ चिकना - तेज़ी से बिकना मनुष्य की कुहनी से पंजे के सिरे तक की नाप,
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गज़ की लंबाई, जुए या ताश श्रादि के खेल में एक मनुष्य की बारी, दाँव । यौ हाथ का खिलौना - पूर्णतया अपने वश में या श्राधीन हाथ-पान - संज्ञा, पु० यौ० ( हि० ) हथेली की दूसरी ओर पहनने का एक गहना, ( स्त्रियों का ) ।
हाथ फूल - संज्ञा, पु० यौ० ( हि० ) स्त्रियों की हथेली की दूसरी ओर पहनने का एक गहना, हथ - फूल (दे० ) । हाथा - संज्ञा, पु० ( हि० हाथ ) दस्ता, मुठिया, बेंट, गीले पिसे चावल और हल्दी से दीवार आदि पर लगाया हुआ पंजे या हाथ का छापा, या चिन्ह | हाथा जोड़ी - संज्ञा स्त्री० दे० ० ( हि० हाथ + जोड़ना ) एक औषधीय पौधा । हाथा-पाँई, हाथा बाँही संज्ञा, खो० यौ० दे० ( हि० हाथ-पाँव याँ बाँह ) मल्ल युद्ध, कुश्ती, धौल धप्पड़, भिड़ंत, मार-पीट |
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हानि
हाथी - संज्ञा, पु० दे० (सं० हस्तिन ) एक बड़ा भारी सूंड़ के रूप की विलक्षण नाक और दो बड़े बाहर निकले दाँतों वाला स्तनपायी प्रसिद्ध पशु, गज, नाग, कुजर. हस्ती । स्त्री० - हथिनी । मुहा०-हाथी की राह -- श्राकाश-गंगा, हथ उहर । हाथी पर चढना - बहुत अमीर होना । हाथो बाँधना - बहुत प्रमीर या धनी होना, अत्यधिक व्यय का कार्य करना । ( द्वार पर ) हाथी भूमना - अति धनी और सम्पन्न होना। हाथी के संग गाँड़े खाना - प्रत्यंत बड़े भारी बलवान की बराबरी करना । लो०- " हाथी अपनी राह जाता है, कुत्ते भुंकते हैं हाथी के दाँत - (देखने के धौर और खाने के और) यथार्थ और दिखावटी बात : संज्ञा, स्त्री० (हिं० हाथ ) हाथ का सहारा, करावलंब | हाथी खाना-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथी + खाना : फा० ) फ़ील- खाना, हथवार, हस्तिशाला, हाथी के रखने का घर । हाथी- दाँत - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथी + दाँत ) मुँह के दोनों छोरों पर निकले हुए हाथी के दो बड़े सुनेद दिखा
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दाँत, उन दाँतों की हड्डी । हाथी- नाल - संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि० हाथी + नाल ) हाथ-नाल, गजनाल, हाथी पर चलने वाली तोप |
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हाथी पाँव -- संज्ञा, पु० यौ० ( हि० ) पीलपाँव या फीलपाँ नामक एक पैर के मोटे हो जाने का रोग |
हाथीवान -- संज्ञा, पु० ( हि० हाथी + वान प्रत्य ) महावत, फीलवान्, हथवाल, हथवान ।
हादसा - संज्ञा, पु० ( ० ) दुर्घटना | हान* - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हानि ) हानि, घटी, क्षति । हानि - संज्ञा, खो० (सं०) क्षति, घटी, नुक्कसान, टोटा, घाटा, स्वास्थ्य में बाधा, नाश,
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