Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1898
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हिंसात्मक १८८७ हिंसात्मक-वि० यौ० (सं०) जिसमें हिंसा हिचकना--..अ० कि० दे० (सं० हिका ) हो, हिंसा-मम्बन्धी। इचकना. हिचकी लेना, पागा पीछा हिमाल-वि० (सं०) हिंसा करने वाला, करना, संकेच, अनिच्छा या भयादि से हिंपक, हिंसाकारी। किसी कार्य में प्रवृत्त न होना। हिर -वि० (सं०) हिन्सक, हिंसा करने वाला, हिचकिचाना-अ० कि० दे० (हि. खू खार। हिचकना ) हिचकना, पागा पीछा करना । हिं-विभ० (दे०) र्म और संप्रदान हिचकिचाहट-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. कारकों का चिन्ह या विभक्ति । " सादर हिचकिचाना ) भागा-पीछा, सोच-विचार । जनक-सुतहिं करि आगे''--रामा० । हिचकी--संज्ञा, स्त्री. (अनु० हिच या सं० "रामहि सौंपह जान कीहिं राखौ मोर दुलार", हिक्का ) एक रोग, उदर-वायु का ऊपर झोंके ---रामा० । को, को, के हेतु, के लिये, 1 से चढ़ कर कंठ में धक्का दे निकलना, प्राचीन काल में यह सब कारकों की विभक्ति । हुचकी मुहा०—हिचकियाँ लगनामानी गयी थी। " बोलत लखनहिं जनक मरने के समीप होना, रह रह कर सिसकने डराही '.--रामा० । “तुमहिं देखि सीतल का शब्द । हिचकी आना-किसी की भई छाती"- रामा० । अव्य०-ही, याद करना या श्राना। विशेषतः। हिजड़ा-हिजरा-संज्ञा, पु० (दे०) पंढ, हिस, हिया--संज्ञा. पु० दे० (सं० हृदय ) नपुंसक, नामर्द, जनखा, हीनड़ा। हृदय, उर, छाती, दिल, मन हय, हिजरी- संज्ञा, पु. ( अ.) मुसलमानी सन् हिया, हीय (०)। "हिश्र भानहु रघुपति- ___ जो मुहम्मद साहिब के मक्का से मदीने प्रभुताई"-रामा०। भागने की याद में चलाया गया है (१५ हिाव-हिग्राउ - संज्ञा, पु० दे० (हि. जुलाई सन् ६२२ ई.)। हियाव ) साहस, हिम्मत । " जाकै हियँ हिज्जे-संज्ञा, पु. ( अ. हिज्जः ) किसी हिसाव सिंधु-लांघन मैं होई"-शि० गो।। शब्द के अक्षरों को मात्रा-सहित कहना, हिकमत--- संज्ञा, स्त्री० अ०) निर्माण-बुद्धि, स्पेलिंग ( अंग्रे.)। तत्वज्ञान विद्या, कजा-कौशल, युक्ति, उपाय, | हिज्र-संज्ञा, पु. (अ.) वियोग, विरह । तदवीर, चतुरता, 'चातुरी का ढंग, चाल, "माँगा करेंगे अब से दुश्रा हिज्र यार का" वैद्यक, हकीमी, हकीम का पेशा या काम । -जौक । हिकमती-वि. (अ. हिकमत ) तदवीर | हिडिंब--संज्ञा, पु० (सं०) एक दैत्य या सोचने या निकालने वाला, कार्य-कुशल, राक्षस जिसे भीम ने वन-वास के समय में क्रिया चतुर, चालाक, किफायती, कार्य- मारा था ( महा.)। साधन की युक्ति निकालने वाला। हिडिम्बा-सज्ञा, स्त्री० (सं०) हिडिम्ब की हिकायत - संज्ञा, स्त्री. (अ.) कहानी, बहिन जिसे भीम ने व्याह लिया था कथा, किस्सा। (महा.)। हिक्का-संज्ञा, स्त्री० (सं०) हिचकी, हिचकी हित-वि० (सं.) भलाई चाहने या करने रोग। वाला, ग्वैरख़ाह, हितू, मित्र, शुभाकांक्षी । हिचक-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हिचकना)। संज्ञा, पु.-लाभ, कुशल, कल्याण, भलाई, श्रागा पीछा करना, किसी कार्य के करने मङ्गल, हेत, उपकार, स्वास्थ्य-लाभ,अनुराग, में मन में प्रगट होने वाली रुकावट। । प्रेम, मित्रता, स्नेह, मित्र, भला चाहने For Private and Personal Use Only

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