Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1916
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हानो होरेश मुहा०-होने की बात (है)-सम्पन्नता या अग्नि में डालना । मुहा०—होम कर समाई समृद्धि) की बात, मामर्थ्य का काम | दना-जला डालना. बरबाद कर देना, (है)। होना क्या है ---कुछ फल नहीं । भस्म कर डालना, स्वाहा कर देना, नष्ट या होना होवाना, कुछ नहीं होना था सो नारा कर डालना. छोड़ देना, उत्सर्ग या हुआ ( हो गया होनहार हो गई। त्याग कर देना । होम हो जाना--जल या होना हो मा हो-भावी-फल की चिन्ता नष्ट होना, स्वाहा हो जाना। नहीं, कोई परवाह नहीं। मुहा०—हो होमकंड- सज्ञा, पु० यौ० (सं०) होम करने वैठना-बना जाना, अपने का समझने या का गड्ढा, हवन-कुंड । प्रकट करने लगना , मासिक धर्म से होना। हामना-स० क्रि० दे० (सं० होम + नाकाय का साधित या संपन्न किया जाना, प्रत्य०) हवन करना. देवादि के लिये अग्नि सरना, भुगतना । मुहा०- किसी के) में घृतादि डालना उत्पर्ग या त्याग करना, हो वैठना (चुकना) - किसी को अपना नष्ट या बरबाद करना, छोड़ देना । "हामहिं लेना । हा जाना या हो चुकना सुत्र की कामना, तुमहि मिलन को लाल" (चलो ) हो चुका-पूरा होना, समाप्ति पर पहुँचना, बनना, तुम्हारे किये न होगा, होमीय-वि० (सं०) होमका, होम-सबंधी। रचा जाना, निर्माण किया जाना, किसो | होरमा- सज्ञा, पु० द० सं० घष घिसावा) घटना या व्यवहार का प्रस्तुत रूप में आना, पत्थर की छोटी गोल चौकी जिस पर चंदन घटित किया जाना । मुहा• होकर । रगड़ते या रोटी बेलते हैं चौका चका। रहना- अवश्य घटित होना, न टलना, स्त्री० अल्पा०-हारसी। जरूर होना. किपी रोग, अस्वस्थता व्याधि, होरहा-सज्ञा, पु० दे० (सं० हेालक ) चने प्रेत बाधा श्रादि का पाना, व्यतीत होना, का पौधा, चने के कच्चे दाने बिरवा गुजरना बीतना, नतीजा देखने में थाना, (पान्ती०)। परिणाम या फल निकालना. जन्म लेना. | होग-सक्षा, पु० दे० (हि. हेला ) होला, प्रभाव या गुण देख पड़ना । काम निकलना, द्वारा (ग्रा.) । संज्ञा, स्त्री० [(२०) (यूनानो प्रयोजन या कार्य साधना, क्षति या हानि __ भाषा से)] एक घंटा या ढाई घड़ी का समय, पहुँचना, काम बिगड़ना। एक राशि या लग्न का प्राधा या एक होनी-संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि. होना ) अहोरात्र का २४ वाँ भाग. जन्म-कुंडली। पैदाइश, उत्पत्ति, समाचार, वृत्तांत, हाल, यौ०-होराचक्र-जन्मांक (ज्यो०)। भावो, भवितव्यता, होनहार, अवश्य | होग्लि-संज्ञा, पु० (दे०) नवीन उत्पन्नहोने वाली, ध्रुव बात. जिसका होना संभव बालक, नवजात शिशु, होरिला-एक हो । “निज निज मुखन कही निज होनी" | पक्षी, हारिन । --रामा० । " होनी होय सो होउ"- होरिहार*-संज्ञा, पु० (हि.होरी+ हारमुहा०—होनी जानना या देखना- प्रत्य०) होली खेलने वाला। " होरिहारन होनहार बात का जानना या ज्ञात करना। पै प्रतिसै सरसै"-रा. घु.। होनी न टलना-होनहार का हो कर ही होरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हाली ) होली रहना। फाल्गुन की पूर्णिमा का एक त्योहार, फाग । होम-संक्षा, पु. (सं०) हवन, यज्ञ, अग्नि- होरेश-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जिस राशि की होत्र, देवादि के उद्देश्य से घृत, जौ आदि होरा में जन्म हो उसका स्वामी ग्रह । भा० श० को०-२३६ For Private and Personal Use Only

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