Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal
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हियरा
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हिमउपल
१८८६ हिमउपल - संज्ञा,पु० यौ० (स०) हिमोपल, हिमाद्रि--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमालय श्रोला, पत्थर । " जिमि हिमउपल कृषी । पहाड़ । दलि गरहीं '.-- रामा।
| हिमाग्नि-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिम-जन्य हिमकण संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमकन ताप या भाग । (दे०) पाला या बर्फ के बारीक टुकड़े, हिमामदस्ता-संज्ञा, पु० दे० (फा हावनतुहिन-कण।
दस्ता) खरल और बट्टा, इपामदस्ता (दे०)। हिमकर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा, हिमायत-संज्ञा, स्त्री० (प्र.) मंडन, पक्ष. हिमांशु । “सीय बदन सम हिमकर नाही" पात, नहायता, प्रतिपादन, समर्थन। "देत -रामा०॥
हिमायत की गधी, ऐराकी को लात" हिमकिरण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा, ~ नीति । " लिये फिरती है उचक्कों को हिमकिरन (दे०)। " नाम हिम किरण हिमायत तेरी'-हाली ।
जरावै ज्वाल-जाल सी"--मन्ना। हिमायती- वि० (फ़ा०) सहायता देने या हिम-पर्वत-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) हिमालय, पक्ष करने वाला, मददगार, समथक, मडन
उत्तरीय सागरों में हिम या बर्फ के पहाड़।। या प्रतिपादन करने वाला । " हिन्दी के हिमता--संज्ञा, सो० (सं०) हिम का भाव, श्राप हिमायती हैं बड़े''-पद्मधः । शीतलता. ठंढक।
हिमालय- ज्ञा, पु० यो० (स०) भारत की हिमभानु --- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चन्द्रमा। उत्तरीय सीमा का संपार में सब से बड़ा हिमयानी-सज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) कमर में __ और ऊँग तथा सदा हिमाच्छादित एक बाँधने की रुपये-पैसे रखने की जालदार पहाड़, हिमाचल, पर्वतराज । थैली, बसनी (प्रान्ती.)।
हिमि* -- सज्ञा, पु० दे० (सं० हिम ) पाला, हिम-रश्मि-संज्ञा, पु. (सं०) चन्द्रमा । ___ बर्फ़ तुपार। हिमरुचि -- संज्ञा, पु० (स०) चद्रमा | हिम्मत--सज्ञा, स्त्री० (०) साहस, क्लिष्ट हिमवंत --संज्ञा, पु० (सं०) हिमालय, उमा के और दुसाध्य कार्यों के करने की मानसिक पिता।
दृढ़ता, विक्रम, पराक्रम, बहादुरो, शूरता, हिमवत्-संज्ञा, पु. (सं०) हिमवान्, हिमा- ह्यिाव, जियरा, जीवट । " हारिये न चल । " हिमवत् सब कह न्यौति बुलावा" | हिम्मत बिसारिये न राम नाम।" महा०-रामा० ।
हिम्मत हारना-साहप छोड़ना । हिम्मत हिमवान-वि. ( हिमवत् ) जिसमें हिम हिराना - साहल न रहना । " हिम्मत हो, बर्फ या पाले वाला । स्त्री. हिमवती। हिरानी हाय हिम्मती हमारे की"-सरस । संज्ञा, पु० - हिमालय, कैलाश, चन्द्रमा। हिम्मती-- वि० ( फा०) साहसी, बहादुर,
"हिमवान ज्यां गिरजा समरपी'-रामा०, दृढ़, पराक्रमी।। हिमांशु--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चन्द्रमा, हिय, हिया संज्ञा, पु० दे० (सं० हृदय, प्र. हिमकर ।
हिम ) वक्षःस्थल, हृदय, छाती, मन, उर, हिमाकत-संज्ञा, सी० (अ.) बेसमझी या दिल, हीय। मुहा० - हिय हारनाबेवकूफी, मूर्खता।
हिम्मत छोड़ना । " हेरि हिय हारे सारे हिमांचल-सज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमाचल, पडित प्रबोन तऊ''- रसाल । हिमालय ।
| हियरा--संज्ञा, पु० दे० (हि. हिय ) दिज, हिमाचल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) हिमालय ।। छाती, मन, वक्षःस्थल, हृदय । भा० श.को०-२३७
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