Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1908
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org हुति हुति - वि० (सं०) हवन किया या चाहुति दिया हुआ | व्य० दे० ( प्रा० हितो ) करण और थपादान कारकों का चिन्ह, से, ओर से तरफ से द्वारा, हुली - वि० दे० (सं०) हुत, धाहुति । *अव्य० (दे०) संती, लिये, बजाय । सा० म० स्त्री० (अव०) थी, हती । हुते - अन्य दे० ( प्रा०हितो ) से, भोर से, द्वारा, तरफ़ से । १८६७ हुतां [अ० क्रि० दे० ( हि० होना ) ब्रजभाषा में होना क्रिया के भूत काल का रूप, हतो, था । काना - स० क्रि० दे० ( हि० उसकना ) उसकाना, उभारना, कुदकाना, हुदकावना । अ० रूप- हुकना | हुदना- -- ० कि० दे० ( सं० हुडन ) रुकना, स्तब्ध होना, भौचक या afta होना । हुदहुद संज्ञा, पु० (०) एक पक्षी । हुद्दा -- संज्ञा, १० (दे० ) प्रदा ( फा० ), दर्जा, पद | हुन संज्ञा, पु० दे० (सं० हूण ) स्वर्ण, सोना, मोहर, अशरफ्री। मुहा०-हुन बरसना- धन की अति श्रधिकता होना । हुनर - संज्ञा, पु० ( फा० ) गुण, कला, करतब, कारीगरी, चतुराई, कौशल, युक्ति, हुन्नर (दे० ) । " हुनर से न्यारियों के बात यह सावित हुई हमको ' ज़ौक़ | हुनरमंद - वि० (फ़ा० ) कला - कुशल, चतुर, गुणी, निपुण "हुनरमंदों को वतन में रहने देता गर फलक " जौक | , हुन संज्ञा, ५० (दे०) हुनर (का० ) गुण | वि० ६० हुन्नरी --- गुणी, चतुर । हु ---संज्ञा, पु० (०) प्रेम, स्नेह । यौ०-वतन देश-प्रेम, देश-भक्ति । हुमकना तुमगना- -- प्र० कि० दे० (अनु० हुँ) कूदना, उछलना, पाँवों को जोर देना, उन पर बल लगाना, श्राघात के लिये जोर से पैर भा० श० को ०२३८ हुलसी उठाना, ज़ोर से मारने के लिये पाँव उठाना, उच्चकना, ऊपर उठना, चलने का उपाय करना, ठुमकना ( बच्चों का ) दबाने के लिये बल लगाना, हुमसना (दे०) । स० रूप-हुमकाना । हुमा -- संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) एक कल्पित पक्षी, कहते हैं कि इसकी छाया जिसपर पड़े वह बादशाह हो जाता 66 । हुमा थजीं वजह हमा जानवरों शरफ़ दारद हुमेल -- संज्ञा, त्रो० दे० अशर्फियों का हार, मोहरों - सादी० । ( (6 की माला । बाइस पनवाँ जा हुमेल सो घोड़े को दई पिन्हाय ". - धाल्हा० । हुरदंग, हुरदंगा - संज्ञा, पु० दे० (हि०) हुड़दंगा उत्पात, उपद्रव । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir י, י, हुरमत- हुरमति - संज्ञा स्त्री० (०) मानमर्यादा, इज्ज़त- श्रावरू । " हुरमति राखौ मेरी - कबी० । हुरुमयी संज्ञा, स्रो० (सं०) एक तरह का नाच या नृत्य | हुलकी - संज्ञा, स्त्री० (दे०) वमन रोग, धाना, उबांत होना, हैजा । मुहा॰--हुलकी याना (दे० ) - हैजा होना । हुलसना - अ० क्रि० दे० ( हि० हुलास ) प्रसन्नता या आनंद से फूलना, खुशी से भरना, उठना, उभरना, बढ़ना, उमड़ना । "हिये हुलसै वन माल सुहाई” रसनि० । स० क्रि० - प्रसन्न या आनंदित करना । स० रूपप - हुलसाना, मे० रूप-- हुलस For Private and Personal Use Only अ० हमालय ) वाना । हुलसाना- स० क्रि० दे० ( हि० हुलसना ) प्रसन्न या हर्षित करना, हुलसावना (दे० ) । अ० क्रि० (दे०) हुलसना । हुलसी संज्ञा स्त्री० दे० हि० हुलसना ) आनंद या प्रसन्नता की उमंग, उल्लास, हुलाल, तुलसीदास की माता ( मतान्तर से ) । 'हुलसी सी हुली फिरै, तुलसी सों सुत होय "---- रही० । 6.

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