Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1864
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८५३ हंकार हँसन, हँसनि श्रावाज़ लगाना, पुकार लगाना, पुकार सुन हता-संज्ञा, पु. (सं० हत) वध करने वाला, कर जाना। मारने वाला। स्त्री० हंत्री । " खलानास्य हंकार*- संज्ञा, पु० दे० (सं० अहंकार) हन्ता भविता तवात्मजः "---भा० द। अहङ्कार, घमंड, दर्प, गर्व, । संज्ञा, पु. दे हत्री-संज्ञा, स्त्री० वि० ( सं० ) मारने वाली, (सं० हुँकार ) ललकार, डाँट, डपट, नाशक, वध करने वाली । " भवति विषम का वर्ण । हको चैतकी छौद्र युक्ता'-लो। हंकारना-स. क्रि० दे० (हि. हँकार ) हँ नि--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हांफना ) ज़ोर से पुकारना, टेरना या बुलाना, युद्धार्थ हाँफने का भाव या क्रिया। सुहा-हँ फनि बुलाना या श्राह्वान करना, ललकारना। मिटाना-सुस्ताना आराम करना, थकी हँकारना- अ. क्रि० दे० (सं० हुँकार ) ऊँचे । मिटाना। स्वर से हुँकार शब्द करना, दपटना। हंस -- संज्ञा, पु. ( सं० ) बड़ी झील में रहने हंकारा-संज्ञा, पु० दे० (हि० हँकारना ) वाला बतख जैमा एक जल-पक्षी, मराल, थाह्वान, पुकार. बुलाहट, थामन्त्रण, परमात्मा, जीवात्मा सूर्य, ब्रह्मा, शिव, विष्णु, निमन्त्रण, न्योता, बुलौवा ।। ब्रह्म परमेश्वर, माया से निर्लिप्त जीव, हँकारी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हंकार ) श्रात्मा, परम हस, संन्यासियों का एक भेद, दूत, वह व्यक्ति जो औरों को बुला कर घोड़ा, प्राण वायु, १४ गुरु और २० लघु लाता हो। "सुचि सेवक सब लिये हकारी" वर्ष वाला दाहे एक भेद, एक भगण और --रामा० । दो गुरु वर्णों का एक वर्णिक छंद ( पिं० )। हंगामा-संज्ञा, पु० दे० (फा० हंगामः ) स्त्री० हंसिनि, हंसिनी। शोरगुल, कलकज, हल्ला, उपद्रव. कोला. हंसक-- संज्ञा, पु० ( सं०) मराल, हंस पसी, हल, लड़ाई झगड़ा ! “गर्म हंगामा है । पैर की उँगली का बिछुवा (गहना)। "जिन इस बाज़ारे दुनिया का यहाँ"-- स्फु०।। नगरी जिन नागिरी प्रतिपद हंसुक हीन" हंडना -- अ० क्रि० दे० (सं० अभ्यटन) चलना --राम। फिरना, घूमना-फिरना, व्यर्थ यत्र-तत्र, हंसगति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) हंस की सी घूमना या ढ ढना, वस्त्रादि का पहनना या सुन्दर मन्द गति, सायुज्य मुक्ति, २० श्रोदना। मात्राों का एक मात्रिक छंद (पिं०)। हंडा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० भांडक) पानी रखने का बहुत ही बड़ा पीतल या ताँबे हंसगापिनी--वि० स्त्री० यौ० (सं० ) हंस का बरतन । की सी सुन्दर धीमी चाल से चलने वाली हँडाना-स० मि० द० (हि० हंडना) स्त्री, हस-गभिनि (दे०)। " हंस-गमिनि धुमाना, काम में लाना, फिराना। तुम नहि वन जोगू"--रामा० । हँडिया- संज्ञा, स्त्री० (सं० भांडिका ) मिट्टी हंसतनय-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) सूर्य-सुत, का एक छोटा पात्र, शोभार्थ लटकाने का यम, पनि, हंसात्मज, हंसतनुज । संज्ञा, ऐसा ही काँच का पात्र या हाँडी, एक स्त्री० हलतनया-यमुना, हंसतनुजा । कृपया। हँसतामुखी-संज्ञा, पु. यौ० ( हि० हँसता हंडी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० भांडिका) हाँडी। +मुख ) प्रसन्न मुख, हँसते मुखवाली स्त्री। हत--प्रव्य० (सं०) शोक या खेद सूचक । स्मितानना. हँसमुखी। शब्द। " हा हन्त हन्त नलिनी गज हँसन, हँसनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० हँसना) उज्जहार"। हंसने का भाव, क्रिया या ढंग । For Private and Personal Use Only

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