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हँसी
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-रामा० ।
हँसी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हँसना ) हँसने की क्रिया या भाव, हास, निंदा, बदनामी । 'हॅपी करैहों पर पुर जाई - यौ० - हंसी खुशी - राजी खुशी, प्रसन्नता । हँसी-खेल - - तमाशा, साधारण वा कम काम | हँसी मजाक, दिल्लगी, धानंद, विनोद क्रीड़ा, विनोद श्रौ पुराण हँसीठट्टा में उड़ाय देत" स्फु० "हँसी दिल्लगी- उपहास, विनोद, मजाक । हँसी मजाक- उपहास, दिल्लगी- विनोद। मुहा०(किसी पर या किसी बात पर ) हंसी आना मूर्खता पूर्ण तथा कौतुक या हास, समझना, बच्चों का खेल या मजाक सा ज्ञात होना। मुहा०-हँसी छूटना - हँसी श्राना. कौतुक या विनोद सा सरज और सुनने में प्रिय लगना, मूर्खता जान पड़ना । विनोद, दिल्लगी यौ० हँसी-खेलविनोद, कौतुक, दिल्लगी, सहज या साधारण बात। मुहा०-हमी सम्झना या हँसी खेल समझना श्रासान, सरल या साधारण बात समझना । हँसी में उड़ाना ( टालना ) - साधारण कौतुक या विनोद समझ टालना परिहास की बात कह कर टाल देना । हँसी में कहना - मजाक या विनोदार्थ कहना हँसी करना (कराना)
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" कथा
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- उपहास या निंदा करना ( कराना ) हँसी में लेना या ले जाना - किसी बात को मजाक समझना, लोक-निंदा, अनादर उपहास । यनादर-सूचक हंसी हंसी में टालना - साधारण तथा मजाक के रूप में लेना, विनोदार्थ समझ टाल देना । मुहा०-हँसी उड़ाना - उपहास करना, व्यंग पूर्वक निंदा करना ।
- हँसुवा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हँसिया ) हसिया, दाँती । हँसली - संज्ञा, स्त्री० (दे०) हँसली, हँसुली
(दे०) । हँसोड़, हँसार - वि० दे० ( हि० हँसना +
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हकला
प्रोड़ - प्रत्य० ) मज़ाकिया, दिल्लगीबाज़, ख़रा, हँसी-ठट्ठा करने वाला, विनोदप्रिय विनोदी |
हँसो हाँ* - वि० दे० ( हि० हँसना ) कुछ हँसी-युक्त हँसने का स्वभाव रखने वाला, दिल्लगी या मज़ाक से भरा, ईषद् हास युक्त | स्रो० मही ।
हइ - ज्ञा १० (दे० ) इय, घोड़ा । हुई - संज्ञा, पु० दे० (सं० दयन् ) अश्वारोही; घोड़े का सवार संज्ञा, स्त्रो० ( हि० ६ ) आश्चर्य अ० क्रि० ( अव०) हूँ यही (ग्रा० ) । ॐ * - अ० क्रि० सर्व० ( हि० हौं ) मैं, हौं । हो - अव्य० ( ग्रा० ) हाँ, स्वीकार सूचक
अव्यय ।
हरू - वि० ( ० ) सत्य, सच, उपयुक्त, उचित, ठीक, न्याय्य | संज्ञा, पु० - किसी वस्तु को काम में लाने या रखने या लेने का अधिकार स्वत्व, कोई काम करने या कराने का इख़्तियार हक्क (ग्रा० ) । मुहा०-हक़ में विषय में, पक्ष में, कर्त्तव्य, धर्म, फ़र्ज़ ।
मुहा०-हक़ प्रदा या पूरा करनाकर्त्तव्य पालन करना | पाने, रखने या काम में लाने का, न्याय से जिस पर अधिकार हो वह वस्तु निश्चित रीति से मिलने वाला धन, दस्तूरी, उचित पक्ष या बात, न्याय पत्र । मुहा०-हक़ पर होना ( रहना ) -- ठीक बात की हठ या आग्रह ख़ुदा परमेश्वर (मुस० ) ।
करना,
हक़दार -- संज्ञा, पु० ( अ० हक़ + दार फ़ा० ) अधिकार या स्वत्व रखने वाला | संज्ञा, स्त्री० हकदारी | हक़ नाहक - अव्य० यौ० ( अनु० - फा० ) वलात् धींगा-धींगी, जबरदस्ती, अकारण, निष्प्रयोजन, फ़जूल, व्यर्थ । हकबकाना - अ० क्रि० दे० (अनु० इकावका ) घबरा जाना हक्का-बक्का हो जाना, भौचक
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रह जाना ।
हकला - वे० दे० ( हि० हकलाना ) हकलाने या रुक रुक कर बोलने वाला ।
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