Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal
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१८६०
हतभाग, हतभागी
हतभाग- हतभागी - वि० दे० (सं० हृत + भाग्य ) बद- क़िस्मत, कमबख़्त अभागा, भाग्यहीन, हतभाग्य । स्त्री० - हतभातिनि हतभागिनी ।
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हतभाग्य - वि० (सं०) भाग्य-हीन, अभागा, बद क़िस्मत, हतभाग (दे० ) । 66 हतभाग्य हिन्दू जाति तेरा पूर्व गौरव है कहाँ " । हतवाना - स० क्रि० दे० ( हि० इतना )
मरवा डालना, मरवाना, वध कराना ।
था।
हता - स० क्रि० ( होना का भूत० हताना - स० क्रि० दे० (हि० इतना ) मारना, मार डालना, बधाना, बध कराना ।
हताभा - वि० यौ० (सं०) हतप्रभ, निष्प्रभ । हताश - वि० यौ० (सं०) निराश, ना उम्मेद
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"
जनक हताश है कह्यो यौ लखि भूपन को ".
हतोत्साह - वि० यौ० (सं० ) जिसमें कुछ करने का उत्साह न रह गया हो । हत्थ - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाथ सं० हस्त ) हाथ ।
हत्था - संज्ञा, पु० दे० (हि० हाथ, या नृत्य ) दस्ता, मूठ अनादि का वह भाग जो हाथ में रहता है, बैंड, हथेरा, हाथा, केले के फलों की घौद, खेत की नालियों का पानी उलचने का लकड़ी का बल्ला । हत्थि - संज्ञा, पु० दे० (सं० हस्ती ) हाथी । हत्थी - संज्ञा, खो० ( हि० हाथ, हत्था )
चौज़ार या हथियार की बेटी, मूठ, दस्ता । पु० (दे०) हाथी ।
हत्थे - क्रि० वि० दे० (सं० हस्त, हि० हत्थ, हाथ ) हाथ में। मुहा० - हत्थे लगना या बढ़ना) -- प्राप्त होना, हाथ में थाना, वश होना। हत्थे पर काटना - प्राप्ति के
-मन्ना० ।
घायल |
हताहत - वि० यौ० (सं० ) मारे गये और हथकंडा - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथ + कांड – सं० ) हस्त-कौशल, हस्तलाघव, हाथ की सफ़ाई, चालाकी का ढंग, गुसचाल । हथकडी - संज्ञा, स्त्री० ( हि० हाथ + कड़ी ) कैदी या बंदी के हाथ में पहनाने का लोहे का कड़ा, हतकड़ी (दे० ) । यौ० - हथकड़ी-बड़ी ।
समय बाधा डालना ।
हत्या - संज्ञा, खो० (सं०) मार डालने की
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हथफेर
क्रिया, खून, बध । " गोहत्या ब्रह्म हत्या च " - स्फु० । मुहा०-हत्या लगना- - किसी के मार डालने का पाप लगना, बध का दोष लगना । संकट, उपद्रव, बखेड़ा | हत्या चढ़ना ( सवार होना ) करने का प्रवृत्ति जगना ।
- बध
हत्यार - हत्यारा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० हत्या + कार ) बध या हत्या करने वाला बधिक खूनी, पापी। स्त्री० - हत्यारिन, हत्यारिनी । हत्यारी - संज्ञा, स्रो० ( हि० हत्यारा ) प्राण लेने, बध या हत्या करने वाली, हत्या का पाप, वध करने का दोष, हत्यारे का काम, हत्या की प्रवृत्ति । " हत्यारी दुसकर्म है, गरुड़ मुख्य तेहि कीन्ह " - तुलमीराम० ।
हथ - संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाथ, सं० हस्त ) हाथ का संक्षिप्त रूप ( समाय में )
हथनाल - संज्ञा, पु० दे० यौ० (हि० हाथी + नाल ) हाथी पर चलने वाली तोप,
गज-नाल ।
हथनी - संज्ञा स्त्री० दे० (हि० हाथी + नी प्रत्य० ) हाथी की मादा हथिनी (दे० ) । हथफूल - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथ + फूल) हथेली के पीछे पहनने का एक गहना,
साँकर, हथसंकर ( प्रान्ती० ) । हथफेर - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथ + फेरना) प्यार से किसी के देह पर हाथ फेरने का कार्य, दूसरे का धन सफाई से उड़ा लेना, थोड़े दिनों के हेतु लिया, या दिया जाने वाला ऋण धन, हथ उधार | संज्ञा, स्त्री० यौ० (दे०) हथफेरी ।
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