Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1872
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हथलेवा हथवा -संज्ञा, पु० दे० यौ० ( हि० हाथ + हथेशी, हथेली-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हस्तलेना ) विवाह में घर का अपने हाथ में तल । करनल, कलाई से आगे हाथ का कन्या का हाथ लेना पाणिग्रहण । उंगलियों वाला भाग मुहा०-हथेली में हवाँस-सज्ञा, पु० दे० यौ० । हि. हाथ -- पाना ( होना )-प्राप्त होना. मिलना, वाँस ) नाव चलाने का बस, या पतवार, सुलभ होना. थाधीन या वश में होना । डॉ. श्रादि मामान । होनी पर जान (होना)-जान जाने हगवाँसना स० क्रि० (दे०) हाथ में लेना, | के भय की स्थिति होना । हथेली पर प्रयोग करना, मिल कर पकड़ना। जान लेना-मरने से न डरना । हथवाल-संज्ञा, पु० दे० ( हि० हाथी+ हथेव - संज्ञा, पु० दे० ( हि. हाय ) हथौड़ा, वाला) महावत। हथौड़ी। हथसांकर-संज्ञा, पु० दे० यौ० हि० हाथ हथोरी*-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० हथेली) +साँकर) हथफूल ( भूषण )। हथेली, गदोरी ( प्रान्ती.)। हथमार-सक्षा, स्त्री० दे० यौ० ( सं० हस्ति. हगोटी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हाथ+मोटी शाला) फील ख़ाना. हाथी के रहने का प्रत्य० ) हस्त-कौशल, किसी काम में हाथ घर या स्थान। डालने की क्रिया या भाव, किसी काम में हथाहथी* --अव्य० दे० (हि. हाथ) हाथ लगाने का ढंग। हाथों हाथ, तुरंत, शीघ्र. जल्दी। हथौड़ा-संज्ञा, पु० दे० (हि. हाथ +ौड़ा हथिनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हस्तो) हाथी -प्रत्य० ) लोहे का वह औजार जिससे की मादा, हस्तिनी, हथनी (दे०)। कागर लोग किसी धातु के टुकड़े को बढ़ाते हभिया--संज्ञा, पु. दे. (सं० हस्त ) हस्त या गढ़ते हैं, मारतौल (प्रान्तो०), कील नक्षत्र. हाथी । “हथिया चले गिरंदी चाल" खूबी श्रादि के गाड़ने का हथियार । स्त्री० -श्रा. खं०। अल्पा०-हथौड़ी। हथियाना-स० कि० दे० (हि. हाथ + हयोड़ी-संज्ञा, स्त्री० ( हि० हथौड़ी) छोटा माना या याना-प्रत्य० ) अपने प्राधीन या हथोड़ा। वशीभूत करना, ले लेना, हाथ में करना, हथ्या -स कि० दे० ( हि० हथियाना ) धोखे से ले लेना, उड़ा लेना, हाथ में पकड़ना, छीन लेना, हाथ में करना, हथियाना, हाथ लगाना। ग़ायब करना। हथियार-संक्षा, पु० दे० ( हि० हथियाना ) | हथ्य र*-संज्ञा, पु० दे० ( हि० हथियार ) श्रौज़ार शस्त्रास्त्र, तलवार, भाला श्रादि, | हथियार, औजार, श्रन, शस्त्र । " डारि किसी कार्य का साधन, हथ्यार (दे०)। डानि हथ्यार, सूरज प्राण लै लै भज्जही" महा०-हथियार लेना (उठाना,गहना) -नाम । --मारने के लिये अस्त्र हाथ में लेना, लड़ने | हद--संज्ञा, स्त्री. (अ.) मर्यादा, सीमा, को तैयार होना । हाथ में हरियार किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई आदि होना-युद्ध का साधन-सामान होना, की प्रतिम पहुँच, हद (दे०) । मुहा०बल होना। हद बाँधना-सीमा नियत या निर्धारित हथियार-बंद- वि० दे० यौ० (हि. हथियार करना । " बाँधो हद हिंदुवाने की"-+फा० चंद) सशस्त्रास्त्र, जो हथियार भूषः । किसी बात का नियत किया गया बाँधे हो। थंतिम परिणाम । मुहा०-हद से ज्यादा For Private and Personal Use Only

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