Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1879
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हरिताल हरिअर, हरियर १८५८ बंदर, घोड़ा सिंह, चन्द्रमा, सूर्य, दादुर, डोम घर वे राजा हरिचन्द"-गिर० । मेढक, साँप, मोर. पानी, अग्नि, वायु, श्री हिन्दी के एक प्रसिद्ध कवि और नाटककार । कृष्ण, शिव, राम, एक वर्ष, एक पहाड़, एक हरिचंदन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक तरह भू खंड, १८ वर्णों का एक वर्णिक छंद का चंदन । " मंद भयौ खौर हरि-चंदन (पि.)। "हरि बोले हरि ही सुनी, हरि कपूर कौ"-रत्ना० ।। आये हरि पास । एकै हरि हरि में गये, हरिजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) परमेश्वर दूजे भये निरास"- स्फु० । अध्य० दे० का दास या भक्त । 'सुर, महिसुर, हरि-जन (हि. इरुए) धीरे, आहिस्ता। अरु गाई"-रामा । शूद था नीच जाति हरिअर-हरियर *-वि० दे० (सं० हरित) का व्यक्ति (आधु०) । हरि-जन नानि प्रीति हरित, इरा । “मुनहिं हरिअरहिं सूझ" अति बादी'-- रामा० ।। -रामा०। हरिजान - संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० हरि + हरिअरी*-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० इरि- यान ) भगवान की सवारी, गरुड़। " सत्य पाली ) हरिपाली, हरियाली. हरेरी (ग्रा०) सुनहु हरि-जान "-रामा०।। सब्ज़ो, हरियरी, हरिपारी (दे०)। हरिण-संज्ञा, पु० (सं०) हंस, सूर्य, हिरन. हरि-भरे-वि० (दे०) हरा हरा। मृग, छिगार, हरिन, हरिना, हिरन, हरियाली, हरियाली, हरियारी-मज्ञा, हिरना (दे०)। स्त्री०-हरिणी। श्री. दे. ( सं० हरित+पालि ) हरियाई हरिणप्लुता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक वर्णिक (दे०), हरेपन का फैलाव या विस्तार, घास अर्धसम छंद जिसके विषम पदों में तीन और पेड़-पौधों का विस्तृत समूह, हरि- सगण, दो भगण और एक रगण हो (पिं०)। प्रारी। हरिणाक्षी-वि. स्त्री. यो० (सं.) हिरन हरिकथा-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) परमेश्वर, के से सुन्दर नेत्रों या आँखों वाली, सुन्दरी या उनके अवतारों का चरित्र-चित्रण ।। स्त्री, मृगनयनी, मृगलोचनी । "संतसंगति हरि-कथा न भावा"-रामा। हिरणी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) हिरनी, मृगी हरि-कीर्तन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्त्रियों के ४ भेदों में से एक भेद जिसे ईश्वर या उनके अवतारों का यशोगान, चित्रिणी भी कहते हैं (काम०), १७ हरि-स्तवन । वर्णों का एक वर्णिक छंद, दस वर्णों का हरि-कुमार--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव-सुत एक वर्णिक वृत्त (पि०)। इन्द्र-पुत्र, पवन-कुमार, सूर्य-सुत, कृष्ण या हरित-वि० (सं०) भूरे या बादामी रंग का, राम के पुत्र। हरा, कपिश, सब्ज़ । “हरित् मणिन के पत्र हरिगीतिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.)... फल, पद्मराग के फूल"-रामा० । सूर्य का १२, १६, २६ वी मात्रा लघु, औ अंत में घोड़ा. हरिदश्व, मरकत, पन्ना, सूर्य, सिंह। लधु-गुरु के साथ २८ मात्राओं का एक हरित-वि० (सं०) हरा, पीला, सब्ज, मात्रिक छंद, ७.७ मात्रामों या १४, १४ बादामी या भूरे रंग का । “ परन हरित या १६-१२ मात्राओं पर विराम के साथ | मणिमय सब कीन्हे ".-रामा० । २८ मात्राओं का एक मात्रिक छंद (पिं०)। हरित मणि-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) पन्ना, "हरिगीतिका, हरिगीतिका, हरिगोतिका, मरकत मणि । “ वेणु हरितमणिमय सब हरिगीतिका।" हरिचंद-संज्ञा, पु० दे० (सं० हरिश्चन्द्र ) हरिताल-संज्ञा, पु. (सं०) हरताल, एक सत्यवती राजा हरिश्चन्द्र । " नाय बिकाने | खानिज पदार्थ जो पीला होता है। For Private and Personal Use Only

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