Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal
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हवन
हलाकान
१८७४
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हलाकान -वि. (अ. हलाक ) हैरान, हलियाना-अ० क्रि० (दे०) जी मचलाना,
परेशान, तंग । संज्ञा, स्त्री. हलाकानी। उबकाई या मिचली धाना। हलाकानी-संज्ञा, स्त्री. (अ० हलाकान ) हली-संज्ञा, पु० (सं०) बलराम जी । हैरानी, परेशानी तंगी।
हलीम-वि० (अ.) शांत, सीधा । हलाको-वि० (अ० हलाक) मार डालने हलुआ-हलुवा --संज्ञा, पु० दे० (अ० हलवा)
वाला, घातक, मारक, बधिक, मारू। मोहनभाग, एक मोठा भोजन, हलुवा (दे०) हलाकू-वि० ( अ० हलाक ) हलाक करने हलुक हलुका*-वि० दे० (हि० हलका )
या मार डालने वाला, घातक । पज्ञा, पु० हलका, हरुपा, तुच्छ, जो भारो या गरू चंगेज़खाँ का पोता, एक हत्याकारी तुर्क न हो। सरदार (इति०)।
हलुकाना-५० कि० (दे०) हलका होना। हलाभला-सज्ञा, पु० यो० दे० ( बानु० हला हलूक -संज्ञा, स्त्री० ( अनु० ).कै, वमन ।
+भला हि०) निर्णय. परिणाम, निबटारा । हलेरा, हलोर, हलोरा* -- सज्ञा, पु. दे० (वि० साधारण, काम चलाऊ । स्त्री० दे० ( हि० हिलोरा ) लहर, तरङ्ग, मौज, -हलीभली।
__ हिलोर, हिलोरा। हलायुध-संज्ञा, पु. यो० (सं०) बलदेव जी, हलोरा-स० क्रि० दे० (हि० हिलोर) हाथ
बलराम जी, एक प्रसिद्ध संस्कृत-कोष। डाल कर पानी आदि द्रव पदार्थों को हलाल-वि० (५०) शरघ या मुसलमानी मथना, पानी में हाथ डाल कर हिलानाधर्म पुस्तक के अनुकूल, दुरुस्त, जायज़ । दुलाना, अनाज फटकना, किसी पदार्थ का संज्ञा, पु०--वह पशु जिसका मात्र खाने अधिकता से इकट्ठा करना। की मुसलमानी धर्म में प्राज्ञा हो । मुहा० हलोरा* -- सज्ञा, पु० दे० (हि. हिलोरा ) -हलाली चढना - पशु वध की प्रवृत्ति । लहर, तरङ्ग, मोज, हिलोर. हिलोरा। होना । हलाल करना--जबह करना, हलारे-- सज्ञा, पु० (दे०) समेटे, बटोरे, किपी पशु को शरन के अनुसार धीरे धीरे लहर या तरङ्ग । " देखौ चलि नमुना-प्रभाव गला काट कर मारन। ( खाने के लिये )। कै हिलारें आप "-रत्ना०।। हलाल का-ईमानदारी से प्राप्त । हलाल | हल्दी- सज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हलदी) हलदी। का खाना-मेहनत कर ईमानदारी से हल्लक- सज्ञा, पु० (दे०) लाल कमल । प्राप्त कर खाना।
हल्ला-संज्ञा, पु. ( अनु० ) कोलाहल, हलालखीर-सज्ञा, पु० यौ० (१० हलाल चिल्लाहट, शोरगुल, हांक, ललकार ( युद्ध
+खोर फा०) परिश्रम करके जीविका करने में ) धावा, आक्रमण, हमला। यो०वाला, भंगी, मेहतर । संज्ञा. स्त्री० हल्ला-गुल्ला-शोरगुल । "हल्ला होइगा हलालखोरी।
सब लसकर में पाये खेत बिसेना राब"हलाहल-सज्ञा, पु० (सं०) वह विकट श्रा० खं० ।
और भयंकर विष जो समुद्र मन्थन से हल्लीश-संज्ञा, पु. (सं०) नृत्य-प्रधान एक निकला था, तेज़ ज़हर, तीन विष या एकांकी उपरूपक (नाट्य०)। गरल, एक विषैला पौधा । 'घटिहै हलाहल हवन-सज्ञा, पु० (२०) होम, किसी देवता कै बूडिहै जलाहल मैं "- रत्ना। के लिये मन्त्रादि पढ़ कर अग्नि में तिल, हलिया-सज्ञा, पु. (दे०) बैलों का समूह नौ, घी आदि डालना, आहुति, भग्नि, या अड।
हवन का चमचा, श्रुवा।
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