Book Title: Bhasha Shabda Kosh
Author(s): Ramshankar Shukla
Publisher: Ramnarayan Lal

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Page 1884
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हलदी १८७३ हलाक हलदी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हरिदा) एक हलर-संज्ञा, पु. (दे०) तरंग, लहर, पौधा जिसकी गेंठीली जड़ मसाले, रँगाई हिलार । या अौषधि के काम में आती है, इसकी हलराई-संज्ञा, स्त्री० (हि० हलराना) हलराने गाँठ हरिद्रा नामक औषधि, हरदी। मुहा० का भाव किया या मज़दूरी। -हनदी उठना या चढ़ना-व्याह के हलराना स० कि० दे० (हि. हिलोरना) प्रथम वर-कन्या के शरीरों में हलदी-तेल हाथ में लेकर किसी वस्तु को इधर-उधर लगाने की रीति । हलदी लगा--व्याह | हिलाना, मुलाना। होना। हनदी (हरी) लगै न टिकरी हलरावना-स० कि० दे० (हि. हिलोरना ) रंग चोखा आवे - कुछ भी खर्च न पड़े, बहलावना, विनोद करना, हिलाना, काम बन जाये, संत मेत, मुफ्त । झुलाना । "कबहुँक लै पलना हलरावै”। हनद-संज्ञा, पु० (दे०) एक बहुत ऊँचा पेड़। ह नवा, हलुवा-संज्ञा, पु० (अ०) मोहनहलधर-संज्ञा, पु० (सं०) बलदेव जी, भोग. हलुवा, एक प्रकार का मीठा भोजन । बलराम जी। " हरि हलधर की जोटी "हलवा अस हलवनियाँ गलवा लाल''सूर० । " .'वे हलधर के वीर -वि० । वर० । मुहा-हलवे-माँडे से काम केवल स्वार्थ साधन से प्रयोजन, अपने ही हलना*-अ० कि० दे० (सं० हल्लन) लाभ या फायदे से मतलब । डोलना, हिलना, पैठना, घुमना । हलवाई, हेलवाई--संज्ञा, पु. दे० (अ. हलफ़-संज्ञा, पु. (अ.) शपथ, कसम, हलवा + ई-प्रत्य०) मिठाई बनाने और बेचने सौगंद, सौगंध । मुहा०-हलफ़ उठाना- वाला । स्त्री०-हलवाइन । शपथ या क़सम खाना । हलक से (पर)- हलवाइ, हलवाहा (दे०)-संज्ञा, पु. ( सं० शपथ पूर्वक। हलवाहा ) दूसरे के यहाँ हल जोतने वाला। हलफ़-नामा-ज्ञा, पु. यौ० (५०---फा०) सज्ञा, पु० (२०) हलवाहेन, हलवाहक । वह कागज़ जिम् पर शपथ के साथ ईश्वर हलवाही-संज्ञा, स्त्री. ( सं० हलवाह ) हल को साक्षी कर कोई बात लिखी गई हो। चलाने की क्रिया या भाव, हलवाह का हलझा--संज्ञा, ४० ( अनु० दलहत ) तरंग, पद, काम या मजदूरी, हरवाही (दे०)। लहर, हिलोर । हलहलाना-स० क्रि० दे० (अनु० हल हल) हलकिया-- वि० ( अ०) हलफ या शपथ | बड़े जार से हिलाना-डुलाना, झकझोरना। के साथ, कसमिया । अ. वि. काँपना, थरथराना, हिलना। हलबल*- संज्ञा, पु० दे० (हि० हख+बल) हलहलाहट --संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. हलहरवर, हलचल, खलबली, धूम । यो० हलाना ) ज्वर या जाड़े से थर थर काँपना, (हि० हल के बज से। थरथराहट। हलब, हलब्यो--वि० दे० (हलब देश) हलब हलहलिया-संज्ञा, पु० दे० (सं० हलाहल ) देश का शीशा, बदिया, अच्छा शीशा। । विष, जहर, जूड़ी, ज्वर । हलहला-सज्ञा, स्त्री० दे० (हि० हलहलाना) हलमल-हलभली-संज्ञा, स्त्री. (हि. हल जाड़े का ज्वर, जूड़ी, व्याधि, रोग। बल ) हलचल, खलभली, धूम, उतावली, | हलाई --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० हल + भाईउत्पात, शोर गुल. दंगा। प्रत्य.) खेत को जोताई या बुनाई, हिलने हलमुखी--सज्ञा, पु० यौ० (सं०) र, न, स ( हलने ) का भाव । ( गण ) युक्त एक वर्ण-वृत्त (पिं०)। हलाक--वि० (अ० हलाकृत) मारा हुआ। भा० श० को०-२३५ For Private and Personal Use Only

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