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सीठनी
१७७३
सीधा
सीठनी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सीटना ) (पि.) राजा की निज की भूमि, खेती, व्याह आदि में गाने की गाली, सीठना। मदिरा। सीठा --वि० दे० (सं० शिष्ट, नीरस, फीका। सीताध्यत -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सीर या
" मत दोनौ का सीठा"-कबी। निज की भूमि में खेती थादि का प्रबन्ध मीठी - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शिष्ट ) फल- करने वाला राजा का राज कर्मचारी। पत्ते आदि का रस निकल जाने पर मार-हीन सीतानाथ--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्री रामबची वस्तु, निकम्मी चीज़, लुगदी, फीकी चंद्रजी, सीता-जायक । या विरण वस्तु, खूद (प्रान्ती०)। सीतापति--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रीराम सीड-संज्ञा, स्रो० दे० ( सं शीत ) श्रार्द्रता, चंद्रजी।। नमी, तरी, सीलन ।
| सोता.ल--संज्ञा,पु० (सं०)शरीफा, कुम्हड़ा। सीढ़ी--पंज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्रेणी ) ऊँचे
सीत्कार--- संज्ञा, पु० (सं०) पीड़ा या प्रानंद स्थान पर चढ़ने को पैर रखने को एक के
से मुँह से निकलने वाला सी सी शब्द, ऊपर एक बना स्थान, नसेनी, पैड़ी,
पियकारो। ( प्रान्ती ), जीना, आगे बढ़ने की परं
: सीथ-संज्ञा, पु० दे० (सं० सिकथ ) भात परा, सिढी, मिहिया। "गंग की तांग या पके चावल, पके अनाज का दाना। स्वर्ग-सीदी सी दिखाई देत"..--स्फु०।।
सीद-संज्ञा, पु० (सं०) ब्याज खाना, सूदसीत--*-संज्ञा, पु० दे० ( सं० ) शीत
खोरी. कुसीद। जाड़ा, ठंडक, शीतलता।
सीदना -- ३० क्रि० दे० (सं० सीदति ) दुख सीतकर -संज्ञा, पु० दे० (सं० शीतकर पाना, कष्ट उठाना । चन्द्रमा
सीध-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० सीधा ) सम्मुख सीताता*-वि० दे० (सं० शील ) शीतल,
की लंबाई, सरलता, सरल, लक्ष्य, निशाना। ठंढा । संज्ञा, स्त्रो० (दे०) मीतलना. सित
वि० (दे०) सीधा, सादा. सरल । लाई।
सीधा-वि० दे० ( सं० शुद्ध ) ऋजु, सरन, सीतलपाटी-संज्ञा, स्त्री० दे० यो० (सं०
अवक्र जो मुड़ा या झुका न हो, जो वक्र शीतल + हि० --पाटी) एक भाँति की उत्तम
या टेढ़ा न हो, ठीक लक्ष्य की ओर, सरल चटाई।
स्वभाव वाता भोला-भाला, सुशील, शांत ।
स्त्री० --सीवी । संज्ञा, स्त्री०--सिधाई । सीतला-संज्ञा, स्त्री. द. ( सं० शीतला )
मुहा०-सीधीतरह-अच्छे या शिष्ट व्यवएक रोग, चेचक, एक देवी।
हार से, श्राजानी से। यौ०-सीधासादा सीतांसु-संज्ञा, पु० यौ० (दे०) शीतांशु
--भोलाभाला । मुहा०-किसी को चन्द्रमा ।
सीधा करना-सज़ा या उचित दंड देकर सीता-संज्ञा, स्त्रो० (सं०) भूमि जोतने में हल ठीक करना, (काम) सीधा करनाकी फाल से बनी लकीर, कुड, कडा (दे०) ठीक साधनों से कार्य का ठीक करना । सहज, मिथिला-नरेश सरीध्वज जनक की कन्या श्रासान, सुकर, दौहिना, जैसा सीधा हाथ जानकी और श्रीराम की पत्नी, वैदे ही, सीय, करना। सीधे रास्ते चलना (जाना)छीता ( ग्रा.), "भृगुर्पत कर सुभाव सुनि ठीक व्यवहाराचार करना। कि० वि०-- सीता"- रामा० । र, त, म, य, और र सम्मुख, ठीक सामने की ओर । संज्ञा, पु. (गण) वाला एक वर्णिक छंद या वृत्त । दे० ( सं० आसिद्ध ) बिना पका अन्न ।
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