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साँगूस
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WHAMIA
PASTAR CARRIED AND
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फेंककर मारने की बरछी, भाला, बरछा | " मारी ब्रह्म दीन्हि सोइ साँगी " - रामा साँगूस - संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार की मछली ।
सांगोपांग - अव्य० यौ० (सं० सांग + उपांग) अंगों और उपांगों के सहित, समस्त, सम्पूर्ण, सब ।
साँघर - संज्ञा, पु० (दे०) स्त्री के प्रथम पति का लड़का ।
साँच, साँचा - वि० ५० दे० (सं० सत्य ) वास्तविक, सत्य, ठीक, यथार्थ, साँचो ( ० ) सही । स्त्री० साँची । “साँच बरोबर तप नहीं, झूठ बरोबर पाप — क़बी० ।
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साँचला - वि० दे० ( हि० साँच+लाप्रत्य० ) सत्यवादी, सच्चा । खो० साँचली । लो०--" साँची बात साँचला कहै '
साँठि, साँठी
साँझ - संज्ञा स्त्री० दे० ( सं० संध्या ) संभा (दे०), संध्या, शाम । यौ० - साँझसकारे (सरे) ।
साँझा - संज्ञा, पु० दे० (हि० साझा) साझा, संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० संध्या ) संध्या । साँझी - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) प्रायः सावन के महीने में देव मंदिरों में भूमि पर की गई फूलों- पत्तों की सजावट, एक उत्सव । साँट --- सज्ञा, स्त्री० दे० ( अनु० सट से ) पतली कमची या छडी, कोड़ा, शरीर पर कोड़े आदि के आघात का दाग । सॉटन, साटन - संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार
- स्फुट० ।
साँचा -- संज्ञा, पु० दे० (सं० स्थात) फ़रमा, वह उपकरण जिसमें कोई गीली वस्तु डालकर कोई विशेष आकार-प्रकार की वस्तु बनाई जाये। मुहा० - साँचे में ढालना - विशेष सुन्दर बनाना | साँचे में ढाला होनाबहुत ही सुन्दर होना, बड़ी आकृति की वस्तु के बनाने से पूर्व नमूने के लिये बनाई गई छोटी प्राकृति की वस्तु, बेल-बूटे बनाने का ठप्पा छापा | वि० दे० (सं० सत्यवक्ता सत्यवादी, सत्यवक्ता, सच बोलने वाला, सत्य, यथार्थ । " साँचे को साँचा मिलै, साँचे मांहि समाय " -- कवी० । “कै परिहास कि साँचेहु साँचा ' - रामा० । साँची - संज्ञा, पु० ( साँची नगर ) एक तरह काठंढा पान | संज्ञा, पु० (दे० ) पुस्तकों की वह छपाई जिसमें पंक्तियाँ बेड़े बल में होती हैं । वि० स्त्रो० दे० ( हि० साँचा का स्त्री० ) सत्य, सच | 'हरखी सभा बात सुनि साँची " - रामा० I "लखी नरेस बात सब साँची ".
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GORAN
रामा० ।
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का कपड़ा । साँटना. साटना--स० क्रि० (दे०) मिलाना, लिपटाना, चिपकाना, गाँठना, सदाना । स० रूप० सटाना, प्रे० रूप० सटवाना । साँटासंज्ञा, पु० दे० ( हि० साँट ) कोड़ा, छड़ी, गन्ना, ईख । त्रो० सटिया (ग्रा० ) । साँटिया - संज्ञा, पु० दे० ( हि० साँटो ) मुनादी करने वाला, डुग्गी या डौंड़ी पीटने
वाला ।
साँटी- संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० साँटा ) लचीली पतली छोटी छड़ी, छोटा कोड़ा । साँटी लिये उगलावति माँटी " - रस० । संज्ञा, स्त्री० ( हि० साँटना ) मेल-मिलाप, प्रतिकार, बदला, प्रतिहिंसा " साँदी की रही के काहू साँची स्वच्छ - रसिक० ।
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साँठ- संज्ञा, ५० (दे०) साँकड़ा, सरकंडा, गन्ना, ईख । यौ०—साँठ-गाँठ-मेलमिलाप, अनुचित गुप्त संबंध | साँठना-स० क्रि० ३० (हि० सांठ) साँटना, पकड़े रहना, गुप्त और अनुचित सम्बन्ध
करना ।
साँठि, साँठी-संज्ञा, खो० दे० ( हि० गांठ) धन, लक्ष्मी, पूँजी-पसार । " बाम्हन तहवाँ लेय का, गाँठि साँठि सुठि थोर " - पद्म० ।
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माँटी लाय'
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