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सियाला १७६५
सिर मियाला सज्ञा, पु० दे० सं० शीत काल: साहस या सामना करना (होना)। सिर शीत काल, जाड़े की ऋतु ।।
करना--स्त्रियों के बाल संगरना. बेणी सियासत-संज्ञा, स्त्री. (अ.) शासन, बनाना, घोटी गधना । सिर के बल जाना व्यवस्था, हुकूमत ।
-किपी के समीप अति प्रादर से जाना। मियाह वि. द. ( फा० स्याह ) काला, "सिर बता जाउँ धरम यह मोरा' - रामा० । स्थाह, नीले रंग का।
मिर (बोपड़ी) चाली करना-व्यर्थ माह गोर--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( फा० बहुत बकवाद करना, माथा पच्ची करना, स्याह : गाश) बन विलार, जंगली चिल्ली। सोच-विचार में हैरान होना, सिर खपाना । नियाहा-- सज्ञा, पु. (फा० स्वाहा (दे०)। सिर (खोबडी) खाना-बकवाद करके जी श्राय-यय की वही, रोजनामचा, सरकारी उबाना। सिर ( खोपड़ी ) खपानाखज़ाने की जमीदारों से प्राप्त मालगुजारी ! सोचने-विचारने में हैरान-परेशान होना, की बही या रजिस्टर । "वह लाये कचहरी बहुत बकना, कार्य में व्यस्त होना । सिर से जो दामों का सियाहा'-बौदा० . पा-सि-स्खया -- वि० (दे०) मनचला पियाहा नवीम-संज्ञा, पु. फा०, सर- पुरुष, अपनी टेक पर अटल । सिर घूमनाकारी ख़ज़ाने का पियाहा लिखने वाला। सिर में दर्द होना घबराहट या मोह होना, संज्ञा, स्त्री० --लियाहानवीसी।
वेहाती होना । सिर चकराना-दिमाग़ मियाही-संज्ञा, सी० दे० (फा० स्याही) का चक्कर करना, सिर घूमना । सिर पर स्याही, रोशनायी, ममि, कालिमा । बहना ---मुँह लगना । (किसी के सिर
"सियाही है सफेदी है चमक है अत्र वारां है। घर) चहना--बहुत मुँह लगना, (भृतादि सिर--संज्ञा, पु. दे. ( सं० शिरस ) बापड़ी। का) यावेश भाना । सिर चढाना -- पूज्य मूंड, कपाल, सर, देह का सबसे ऊपरी । भाव दिखाना, बहुत ख़ातिर करना, श्रद्धा
और अगला गोल तल या कुछ लंबा सा । प्रेम से माथे से लगाना सिर पर लेनावह भाग जिसमें नाक, कान, घाँख बहुत बढ़ा देना, मुंह लगाना, सिर दर्द श्रादि हैं। सुहा) -- सिर प्राला पर पैदा करना । सिर (शोश ) झुकाना, होना-हर्प पूर्वक स्वीकार होना, माननीय । सिर नवाना - सादर प्रणाम-नमस्कार होना । सिर अखिों पर बैठाना (लेना) करना, लजा से गरदन नीची करना । ---प्रत्यत यादर-सत्कार या प्रेम करना।। सिर देना --प्राण निछावर करना, जान सि पर आना भूतादि का)-प्रावेश देना, मन लगाना, दिमाग लगना, प्रणाम होना, देवी, देव (या भूतादि) का प्रभाव करना । सिर धरना-सादर अंगीकार या होना, खेलना । सिर उठना--विरोध का स्वीकार करना । (सिर-माथे लेना) सिर साह होना, उपद्रव करने का दम होना। धुनना --शोक या पश्चात्ताप से सिर सिर उठाना-विरोध में खड़ा होना या पीटना, पछिताना। " सिर धुनि धुनि सामना करना, प्रतिष्टा से खड़ा होना, उप- पछिताय' -रामा० । सिर नीचा करना द्रव या उधम मचाना, सामने मुह करना, (होना). शर्मना, लजा से सिर झुकाना, लजित न होना । अपना या और का) (झुकना) गर्व चूर करना (होना) । सिर मिर ऊँचा करना (होना)-प्रतिष्टा के | पटकना--सिर धुनना, सिर फोड़ना, साथ खड़ा होना, सम्मान देना (होना) बहुत परिश्रम या शोक करना, पछताना, प्रतिष्ठा या मान-मर्यादा बढ़ाना, (बदना) हाथ मलना। सिर पर पाँव रखना
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