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साठ
संयुक्त करना, मिलाना, दो परतों को एक में मिला देना, बहका कर अपने पक्ष में करना, लाठी-डंडे आदि से लड़ाई करना । स० रूप- साँटना (दे०), प्रे० रूप-सटाना, सटवाना ।
साठ - वि० दे० (सं० षष्टि) पचास और दस । संज्ञा, पु० (हि०) ५० और १० की संख्या ६० । साउनाट - वि० दे० यौ० ( हि० साठि + नाट = नष्ट ) निर्धन, कंगाल, दरिद्र, रूखा, नीरस, तितर-बितर इधर-उधर साठसाती-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० साढ़ेसाती : शनिश्चर ग्रह की बुरी दशा जो साढ़े सात वर्ष या माया दिन रहती है साहसाती । साठा - संज्ञा, पु० (दे०) ऊख, गन्ना, ईख. साठीधान, साठी । वि० दे० ( हि० साठ ) साठ वर्ष की अवस्था वाला। लो०साठा सो पाठा " ।
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साठगाँठा - संज्ञा, पु० (दे०) युक्ति, तदवीर. उपाय, पेंच, मेल-जोल ।
साठी- संज्ञा, पु० दे० (सं० षष्टिक ) एक प्रकार का धान जो साठ दिन में होता है । साठे - संज्ञा, पु० (दे० ) महाराष्ट्र ब्राह्मणों की एक जाति ।
साड़ी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श टिका) त्रियों के पहनने की रंगीन बेल-बूटेदार चौड़े किनारे की धोती, सारी (दे०) | संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० साड़ी ) साढ़ी. दूध की मलाई । साढ़ेसाती - संज्ञा, स्रो० दे० ( हि० साढ़े
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साती ) साढ़े साती शनिश्चर ग्रह की दशा जो साढ़े सात वर्ष, मास या दिन तक रहती हैं ( प्रायः अशुभ) । नगर सादसाती जनु बोली " - रामा० । सादी-पंज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० मसाढ़ ) असाढ़ महीने में बोये जाने वाली फसल, सादी | संज्ञा, त्रो० दे० (सं० सार ) दूध के ऊपर जमने वाली बालाई, मलाई । संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० साड़ी ) साड़ी, रंगीन छपी धोती ।
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सात्वत
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साद - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्यालिवोढा ) साली का स्वामी, पत्नी का बहनोई, साढ ( प्रान्ती० ) ।
साडेसाती - संज्ञा स्त्री० द० ( हि० साढ़ेसात + ई - प्रत्य० ) सादमाती, शनि की ७३ वर्ष, मास या दिन की शुभ दशा । सात - वि० दे० (सं० सप्त ) छः से एक afari at से एक कम | संज्ञा, पु० पाँच और दो के योग की संख्या, ७ । मुहा०सात-पाँच -- चालाकी, धूर्तता, मक्कारी | लो० सान पाँच को लाठी एक जने का बोझ । मानपाँच करनाकसमस करना, इधर-उधर करना, संशय या संदेह युक्त होना । सात समुद्र पार -- बहुत ही दूर । भान राजाओं की साक्षी देना- किसी बात की सत्यता सिद्ध करने को ज़ोर देना सात सीके बनाना - लड़के की छठी के दिन ७ सीकों के रखने की एक रीति । सारी-संज्ञा, स्रो० द० यौ० ( हि० ) विवाह में सात भाँव करना सातभौरी, सतफेरी ( ग्रा० ) ।
सातला संज्ञा, पु० दे० (सं० सप्तला )
थूहर का एक भेद, स्वर्ण- पुप्पी, सप्तला । सात - संज्ञा, पु० दे० (हि० सत्तू सं० सत्तुक) सत्त जब और बने का भुना श्राय, सतुया (ग्रा० ), सातिकासिंग - वि० दे० (सं० सात्विक ) सात्विक, सत्वगुण प्रधान, सत्वगुण-संबंधी । राजस तामस सातिग तीनौ, ये सब मेरी माया "कबी० ।
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सात्मक -- वि० (सं०) श्रात्मा - सहित । सात्म्य - संज्ञा, पु० (सं०) सरूपता, सारूप्य । सात्यकि संज्ञा, पु० (सं०) युयुधान, अर्जुन का शिष्य एक यदुवंशी राजा, सत्यकी (दे० ) । “सात्यकिः चापराजतः " -- भ० गी० । सात्वत - संज्ञा, पु० (सं०) श्रीकृष्ण, बलराम, विष्णु, यदुवंशी ।
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