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सामग
सामान सामग-संज्ञा, पु० (सं०) सामवेद का पूर्ण : सामरिक-वि० (सं० ) युद्ध-संबंधी, समर ज्ञाता, ग्यामवेदज्ञ। “वेदैः सांग पद-क्रमोप- का, लड़ाई वाला। संज्ञा, स्त्री. (सं०) निषदैः गायन्ति यां सामगाः" | स्त्री०-- सामरिकता।। सामगी।
| सामर्थ-संज्ञा, स्त्री० (दे०) सामर्थ्य (सं०) । सामग्री--संज्ञा, स्त्री. (सं०) किसी कार्य की वि० (दे०) समर्थ । उपयोगी वस्तुयें, आवश्यक पदार्थ, जरूरी सामर्थी - संज्ञा, पु० दे० (सं० सामर्थ्य ) शक्तिचीज़, उपकरण, सामान, असबाब, साधन । मान्, पौषी, पराक्रमी, वली, बलवान्, सामध - संज्ञा, पु. (दे०) समधियों के सामर्थ्यवान् । स्त्री०-सामर्थिनी। परस्पर मिलने की रीति, समघौटा, सामय-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शक्ति, बल, सामधारा (ग्रा० । “सामय देखि देव ।
पौरुष, पराक्रम, ताकत, क्षमता, योग्यता, अनुरागे"-- रामा।
| समर्थ होने का भाव, भाव-प्रकाशक सामना -संज्ञा, पु० । हि० सामने) मुकाबिला,
शब्द-शत्तिः । विरोध, मुलाकात, भेट मुठभेड़, किसी के |
सामवायिक-वि० (सं०) समवाय-संबंधी,
समूह या झंड-संबंधी, सामूहिक, सामुदासामने होने का भाव या क्रिया । मुहा
यिक। सामना करना--- मुकाबिला या विरोध
सामवेद - संज्ञा, पु. यौ० (सं० सामन् ) करना, सामने घटना कर जवाब देना ।
भारत के प्रार्यो के चार वेदों में से तीपरा मुहा०---सामने होना-किसी के राय ।
वेद जिसमें यज्ञों में गाने के स्तोत्रादि का आगे पाना, उसके विरोधी का मुकाबिला
संग्रह है। करना सामने आना-प्रत्यक्ष हाना, समन ।
सामवेदीय - वि० (सं.) सामवेद संबंधी। श्राना, विरुद्ध । किसी वस्तु का अगला भाग। विलो.--पीछायाँ --- ग्रामना-सामना।
संज्ञा, पु० (सं०) सामवेद का ज्ञाता या
तदनुयारी, ब्राह्मणों की एक जाति । सामने--क्रि० वि० दे० (सं० सम्मुख) सन्मुख,
सामसाली--संज्ञा, पु० दे० (सं० सामशाली) श्रागे. समत, सम्मुख, सीधे, उपस्थिति या
राजनीतिज्ञ, राजनीति कुशल, नीति-निपुण । विद्यमानता में, विरुद्ध, मुकाबिले में । यौ०.
सामहि-व्य० दे० (सं० सन्मुख) सामने, आमने-सामने -- एक दूसरे के सम्मुख ।
सम्मुख, भागे। संज्ञा, पु. (व. कर्मका.) विलो०-पीके।
साम (वेद या साम) को, श्याम को। सामयिक-वि० (सं०) समयानुकूल, समया
सामाँ सामा---संज्ञा, पु. (दे०)सावाँ नामक नुसार, वर्तमान समय संबंधी। संक्षा, स्त्री०
अन्न ! संज्ञा, पु० ( फा० सामान) असबाब । (सं०) सामयिकता । यो०-सामयिक
" भला समाँ भला जामाँ सुन्दरी मुंदरी पत्र-वर्तमान समाचार-पत्र ।
भली"-रफु०। सामर-संज्ञा, पु० (दे०) साँवर, श्यामल, सामाजिक--वि० (सं०) समाज का, समाजसमर का भाव । (सं० सह - अमर ) देव- संबंधी. समाज या सभा से संबंध रखने सहित।
वाला, सदस्य। सामरथ-सामर्थी- ज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सामाजिकता--संज्ञा, स्त्री. (सं०) सामासामर्थ्य ) शक्ति, बल, पराकम, समरथ, जिक होने का भाव, लौकिकता, सांसासमर्थ (दे०)। पौरुष, योग्यता, लियाकत, रिकता। ताक़त, भाव-प्रकाशक शब्द शक्ति । सामान-संज्ञा, पु. ( फा०) उपकरण, भा० श० को०-२१६
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