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सात्वती १७५१
साधक सात्वती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शिशुपाल की सादगी-संज्ञा, स्त्री. (फा० ) सरलता, माता, श्रीकृष्ण जी की बुश्रा, सुभद्रा। सादापन, निष्कपटता, सीधापन । "न दूये सात्वती-सूनुर्यन्मह्ममपराध्यति" | सादर-वि० (सं०) श्रादर या सत्कार-पहित । --माघ०।
“सादर जनक सुता करि भागे" --रामा० । मात्वनी बुत्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० ) ! सादा--वि० दे० ( फा० सादः ) सरल और पक वृत्ति जिसका प्रयोग वीर, रौद्र, अद्भुत सीधी-सूचम बनावट का, सूचम या संक्षिप्त
और शांत रसों की कविता में होता है । रूप का, 'जस वस्तु पर कोई विशेष कारीगरी ( काव्य.)।
या अतिरिक्त काम न हो, जो सजाया या मात्विक----वि. (सं०) सत्वगुण संबंधी, सँवारा न गया हो, खालिप, बिना मिलावट सत्वगुण वाला, सतोगुणी, सत्वगुण से का, निष्क स्ट, सरल हृदय, छल-छिद्र-रहित, उत्पन्न । संज्ञा, पु० - सास्वती वृत्ति (काव्य०) | सीधा, मुख, साफ़, जिस पर कुछ अंकित सत्वगुण से होने वाले संपूर्ण स्वाभाविक न हो । यो०-सीधा-सादा । स्त्री०अंग-विकार, जैसे--- स्वेद, स्तंभ, रोमांच,
सादी। स्वरभंग, कंप, अश्व, वैवर्ण्य और प्रलय सादापन--संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० साद-+-यन श्रादि भाव (साहि०)।
हि०--प्रत्य०) सादगी, सरलता, सादा साथ-संज्ञा, पु. ६० (सं० सहित ) संग,
होने का भाव ।
सादी-संक्षा, स्त्री० दे० (फा० सादः ) सहित, युक्त, साथा, साथू ( ग्रा० ),
लाल की जाति का एक छोटा पक्षी, सदिया, संगत, सहचार, मेल-मिलाप घनिष्टता,
बिना दाल या पीठी ग्रादि भरी खालिस पूरी। निरंतर समीप रहने वाला, साथी, संगी। यौ०-संग-साथ । अव्य०-सहचार-या
संज्ञा, पु० (दे०) शिकारी, घोड़ा । संज्ञा, स्त्री० संबंध-सूचक अव्यय, से, सहित । “परिहरि
(दे०) शादी (फ़ा०), व्याह । वि० स्त्री.
(हि. सादा) सीधी। सोक चलौ बन साथा"--रामा० । मुहा०
सादूर-संक्षा, पु० दे० (सं० शादूर्ल ) --साथ ही ( साथ ही साथ, साथ ।
सिंह, शार्दूल, कोई हिंसक जंतु। साथ )-इससे अधिक, अतिरिक्त, पिवा,
सादृश्य --संश, पु० (सं०) समता, तुखना, और । साथ ही साथ (एक साथ)----एक
तुल्यता, बराबरी. समानता, एकरूपता, पिल मिले में, सिवः, अतिरिक्त, अलावा,
सदृशता द्वारा, से, प्रति, विरुद्ध । " दिनेश जाय दूर साध-. संज्ञा, पु० दे० ( सं० साधु ) साधु, बैठ इन्द्र श्रादि साथ ही"--राम।
सज्जन, महात्मा, योगी। संज्ञा, स्त्री० दे० साथरा-संज्ञा, पु० (दे०) विस्तर, तृगादि ।
(सं० उत्सह ) लालसा, कामना, इच्छा, का बिछौना, कुश की चटाई । स्त्री० - गर्भाधान से सातवें महीने में होने वाला साथरी।
उत्सव या संस्कार संज्ञा, पु० (दे०) फर्रुखासाथरी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० साथरा) बाद के जिले की एक जाति वि० दे० विस्तर. तृणादि का बिछौना, कुश की चटाई (सं० साधु ) अच्छा, श्रेष्ठ, उत्तम। "कुश किशलय साथगे सुहाई'-रामा० । साधक-संज्ञा, पु० (सं०) कार्य सिद्ध करने साथी-- संज्ञा, पु० दे० (हि. साथ ) मित्र. वाला, योगी, साधने वाला, साधना करने संगी, साथ रहने वाला, दोस्त । स्त्री०-- वाला, तपस्वी. करण, हेतु, द्वारा जरिया, माथिन, साथिनी । “ को उ नहिं राम | वसीला, परार्थ-साधन में सहायक । “साधक बिपति मैं साथी"- स्फु० ।
मन जस होय बिवेका"- रामा० ।
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