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सहभोजी
१७३०
सहसकिरन सहभोजी-संज्ञा, पु. ( सं० सहभोजिन् ) वे फा० ) वह भोजन जो व्रत रखने के पूर्व
लोग जो एक साथ बैठ कर खाते हों। बड़े तड़के किया जाता है, सहरी। सहम-संज्ञा, पु० (फ़ा०) शंका, भय, डर, सहराती वि० दे० ( फा० शहराती) शहर संकोच, मुलाहिज़ा, लिहाज़ ।
का, नागरिक, शहर-सम्बंधी। सहमत-वि० (सं०) एक मत या विचार सहराना* ---- २५० क्रि० दे० (हि० सहलाना)
का, जिसका मत या विचार दूसरे से सहलाना, धीरे धीरे हाथ फेरना, सहरावना मिलता हो, एक धर्म का।
सोहराना (दे०) । *-अ० क्रि० दे० सहमना-अ० क्रि० दे० ( फा० सहम ---ना (हि० संहरना ) भय से काँपना। वि० (दे०)
-प्रत्य० ) डर जाना, डरना, भयभीत शहराना (फा०) नागरिक । होना । मूञ्छित होना, घबरा जाना, सुख सहरावनि- संज्ञा, स्त्री. ( हि० सहराना ) जाना । "गयी सहमि सुनि वचन कठोरा'। सुरसुरी, गुदगुदी, सहलाई, माहराई (दे०) सहमरण-संज्ञा, पु. (०) मृत पति के ! स० क्रि० (दे०) महरावना--सहलाना ! शव के साथ पत्नी का चिंता में जलना, सहरी--संज्ञा, बी. दे. ( सं० शफरी) सती होना।
सफरी, मछली । संज्ञा, स्त्री. (दे०) सहरसहमाना-स० क्रि० ( हि० सहमना का स० गही, प्रात-भोजन । संज्ञा, स्त्री० (हि० सहारा) रूप ) डराना, भयभीत करना, धमकाना ।। नौका, नाव, डोंगी । “ पातभरी सहरी सहमृता-संज्ञा, स्त्री० (सं.) सती. सहमरण सकल सुत बारे वारे केवट की जाति कछू करने वाली स्त्री।
बेद ना पढ़ाय हो' .... कवि० । सहयोग-संज्ञा, पु० (सं०) परस्पर मिलकर सहल -- वि० ('अ० मि० सं० सरल ) सरल, साथ कार्य करने का भाव, संग, साथ,
सहज. यासान । “ सहल था सुम्बहल वले सहायता, भाज-कल सरकार के साथ मिल
यह सलत मुश्किल था पड़ी"---ग़ालि० । कर कार्य करना, सरकारी सभाओं में सहलाना-२० क्रि० (अनु०) किसी के सम्मिलित होना और सरकार के पदाधिकार
ऊपर धीरे धीरे हाथ फेरना, सहराना (दे०) ग्रहण करना, ( भा० राज.)।
सुहराना, गुदगुदाना, मलना । अ० क्रि० (दे०) सहयोगी-संज्ञा, पु० (सं.) सहायक, सह
गुदगुदी होना, खुजलाना, सोहराना (दे०)। कारी, सहयोग करने वाला, मिलकर साथ सहवास----संज्ञा, पु. (सं.) साथ रहना, काय्य करने वाला, समकालीन, जो किसी संग, साथ, रति, संभोग, मैथुन, प्रसंग। के साथ एक ही समय में रहे, भाज-कल सहवासिनी-संज्ञा, स्त्री. (सं० सहवास ) सरकार के साथ मिलकर कार्य करने उलकी। ___ साथ रहने वाली, साथिनी, संगिनी । सभाओं में जाने वाला, तथा सरकारी पदो. सहवासी-सज्ञा, पु० (सं० सहवासिन् ) पाधियों का ग्रहण करने वान्ता (भा. राज.)।
_साथ रहने वाला, पड़ोसी। सहर-संज्ञा, पु० अ०) प्रपात, सबेरा, प्रातः ।
| महरया--वि० दे० (हि० सहना ) सहन
करने वाला काल, तड़का । संज्ञा, पु० दे० (अ० सेहर)
बहने वाला, सहनशील,
सहिष्णु। टोना, जादू । संज्ञा, पु. ६० ( फा० शहर )
सहस- संज्ञा, पु० दे० (सं० सहस्र ) दश शहर, नगर । वि० (दे०) सहराती । क्रि०
। सौ की संख्या । वि० (दे०) जो गिनती में वि० दे० ( हि० सहारना ) धीरे धीरे, मंदगति
दस सौ हो। ' सहसबाहु सम सो रिपु से, रुक रुक कर, शनैः शनैः ।
___ मोरा"-रामा। सहरगही-संज्ञा, स्त्री० ( अ० सहर + गह- सहसकिरन--संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं.
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