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छुरी-छूरी
छुरी छूरी -- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० कुरा) चीजें काटने या चीरने - फाड़ने का एक बेंटदार छोटा हथियार, चाकू, आक्रमण करने का एक धारदार हथियार ।
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छूत
छूट - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० छूटना ) छूटने का भाव, छुटकारा, मुक्ति, अवकाश, फुरसत, बाकी रुपया छोड़ देना, छुड़ौती, किसी कार्य से संबंध रखने वाली किसी बात पर ध्यान न जाने का भाव, वह रुपया जो देनदार से न लिया जाय, स्वतंत्रता, गाली गलौज ।
छुलकना - ० क्रि० (दे० ) पानी आदि काछलक कर गिरना, कष्ट से मूतना । कुलकुलाना-स० क्रि० (दे० ) छलक
छलक कर या थम थम कर गिरना । कुलाना-स० क्रि० दे० ( हि० छूना का प्रे० रूप ) स्पर्श करना | कुवाना) - (दे० ) स० क्रि० (दे०) छुलवाना । छुवाष - संज्ञा पु० (दे० ) लगाव, सम्बन्ध, उपमा | स० क्रि० (दे०) छुवाना - घुलाना । ३- अ० क्रि० दे० ( हि० छुवना ) छुहनाछू जाना, रँगा जाना, लिपना । स० क्रि० ( दे० ) छूना । " हे पुरट घट सहज सुहाये -रामा० ।
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छुहाना - स० क्रि० (दे० ) दया या प्रेम करना, चूना पोतना, कोहाना (दे० ) ।
उज्जल करना ।
छुहारा कोहारा - संज्ञा पु० दे० (सं० क्षुत + हार) एक प्रकार का खजूर, खुरमा, पिंड खजूर । छोहार (दे० ) ।
छुहावट - संज्ञा, स्त्री० ( दे० ) लगाव, स्पर्श, छूत, प्रेम, स्नेह |
छुही – संज्ञा, स्त्री० (दे० ) पोतने की सफ़ेद मिट्टी, खड़िया छूही ( प्रा० ) ।
का - वि० दे० (सं० कुच्छ ) खाली, रीता, रिक्त, जैसे छूछा घड़ा, जिस में कुछ तत्व न हो, निस्सार, निरधन । स्त्री० घूँ छी " तातैं परे मनोरथ छू छे" - रामा० । छू - संज्ञा, पु० दे० (अनु० ) मंत्र पढ़ कर फूँक मारने का शब्द | विधि स० क्रि ( हि० छूना ) यौ० धूमंतर - जादू । मुहा०छूमंतर होना-चट पट दूर होना, जाता रहना, गायब होना । छूबोलना (होना) - भाग जाना, दूर होना, उड़ जाना ।
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छूटना - अ० क्रि० दे० (सं० छुट ) बँधी, फँसी या पकड़ी हुई वस्तु का अलग होना । मुहा० - शरीर (प्राण) छूटना - मृत्यु होना, किसी बाँधने या पकड़ने वाली वस्तु का ढीला पड़ना या अलग होना, जैसे बंधन छूटना, किसी पुती या लगी हुई वस्तु का अलग या दूर होना, बंधन से मुक्त होना, छुटकारा पाना, प्रस्थान करना, दूर पड़जाना, वियुक्त होना, बिछुड़ना, पीछे रह जाना, दूर तक जाने वाले अस्त्र का चल पड़ना, बराबर होती रहने वाली बात का बंद होना, न रह जाना। मुहा० अवसान छूटना - होश न रहना । छक्के छूटना - चकित होना । नाड़ी छूटना - नाड़ी का चलना बंद हो जाना। जवान छूटनागाली देना। हाथ छूटना - मारना, पीटना । किसी नियम या परम्परा का भंग होना, जैसे व्रत छूटना, किसी वस्तु में से वेग के साथ निकलना, रस रस कर ( पानी ) निकलना, ऐसी वस्तु का अपनी क्रिया में तत्पर होना जिसमें से कोई वस्तु कणों या छीटों के रूप में वेग से बाहर निकले, शेष रहना, बाकी रहना, किसी काम या उसके किसी अंग का भूल से न किया जाना, किसी कार्य से हटाया जाना बरखास्त होना, रोज़ी था जीविका का न रह जाना । छूत - संज्ञा, स्त्री० (हि० छूना) छूने का भाव, संसर्ग, छुवाव, गंदी अशुचि या रोगकारी वस्तु का स्पर्श, अस्पृश्य का संसर्ग । यौ० छुआछूत | यौ० - छूत का रोग - वह रोग जो किसी रोगी के छू जाने से हो । अशुचि
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