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जागा
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जाति
जागा-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० जगह) जगह। जाड-जाड़ा - संज्ञा, पु. दे. (सं० जड़) संज्ञा, पु० (दे०) भाटों की सी एक जाति ।। ठंढक की ऋतु, शीत काल, सरदी, शीत, सा० भू० अ० क्रि० ( हि० जागना , जगा। | पाला, ठंढ ! जागी --संज्ञा, पु० (सं० यज्ञ ) भाट । जाज्य- संज्ञा, पु० (सं०) जड़ता, कठोरता, जागीर- संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा० ) राज्य की मूर्खता । "जाइयं धियो हरति" ~ भर्तृ ।
भोर से मिली भूमि या प्रदेश ।। जात--संज्ञा, पु. (सं०) जन्म. पुत्र, बेटा, जागीरदार-संज्ञा, पु. ( फा० ) जागीर- जीव, प्राणी । वि० उत्पन्न, पैदा या जन्मा प्राप्त, जागीर का मालिक, अमीरी, रईसी। हुआ। " सजातो येन जातने"--व्यक्त, जाग्रत-वि० (सं०) जो जागता हो, सब प्रगट, प्रशस्त, अच्छा, जैसे नवजात । संज्ञा, बातों की परिज्ञानावस्था।
स्त्री० (दे०) जाति । जाग्रति-संज्ञा, स्त्री० (सं० जाग्रत ) जागरण जात--संज्ञा, स्त्री० (अ०) शरीर, देह, जाति । जागने की किया, चैतन्यता।
जातक-संज्ञा, पु. (सं०) बच्चा, बत्तन, जाचक ---संज्ञा, पु० दे० (सं० याचक) भिक्षु, फलित ज्योतिष का एक भेद (बिलो. माँगने वाला, भिखमङ्गा । " जाचक सबहिं | ताजक) जिनमें महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्मों अजाचक कीन्हें "--रामा०।
की कथायें हों (बौद्ध)। जाचकता-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० याचकत्व) | जातकर्म--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) हिन्दुओं मांगने का भाव, भीख माँगने की क्रिया के दश संस्कारों में से चौथा संस्कार (बाल" रहिमन जाचकता गहे "--- रही। जन्म समय का ) " सजात कर्मण्यखिले जाचनास-स० कि० दे० (सं० याचन ) | तपस्विना"- रघु० । माँगना, याचना।
जातना -- संज्ञा, स्त्री० (दे०) यातना, जाजम-जाजिम-संज्ञा, स्त्री० (तु० जाजम )
जातनाई । “कीजै मोको जम जातनाई" छपी हुई चादर. बिछाने का कपड़ा।
-वि०।
जात-पाँत जाति-पांति-संज्ञा, स्त्री० यौ० जाजराछ-वि० दे० ( सं० जर्जर ) जर्जर,
दे० (सं० जाति---पंक्ति ) जाति, बिरादरी,
भाई-चारा । "ब्याह ना बरेखी जाति पाँति जाजरूर-संज्ञा, पु. यौ० (फा० जा+प्र.
न चहत हौं'–कवि०। ज़रूर ) पाखाना, टट्टी, शौचगृह ।
जातरूप-संज्ञा, पु० (सं०) सोना, धतूरा । जाज्वल्य- वि० (सं०) प्रज्वलित,प्रकाशयुक्त। जाकी सुन्दरता लखे, जातरूप को रूप"। जाज्वल्यमान--वि० (सं०) प्रज्वलित, प्रका- |
जातवेद-संज्ञा, पु. (सं०) अग्नि, सूर्य । शित, दीप्तिवान, तेजवान, तेजस्वी।।
जातांध-वि० यौ० (सं० जात + अंध) "जाज्वल्य माना जगतः शान्तये-माघ०। जन्म से अन्धा, जन्मांध । जाट-संज्ञा, पु. (?) पंजाब, सिंध और जाता-संज्ञा, स्त्री. (सं०) कन्या, पुत्री। राजपूताने में पाई जाने वाली एक जाति। वि. स्त्री०--उत्पन्न । जाठ-संज्ञा, पु० दे० (सं० यष्टि ) वह बड़ा जातापत्या- संज्ञा, स्त्री० यौ० ( सं० जात+ लट्ठा जो कोल्ह की कड़ी के बीच में रहता अपत्य-+-श्रा ) प्रसूता स्त्री जिस स्त्री के पुत्र है। तालाब के बीच में गड़ा लट्ठा। या कन्या पैदा हुई हो। जाठर-संज्ञा, पु० दे० (सं० जठर ) पेट, जाति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) जन्म, पैदाइश, भूख, जठराग्नि । वि० पेट-सम्बन्धी। हिन्दुओं में समाज का वह विभाग जो
जीर्ण पुराना।
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