________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तेवन ८५०
तैराई तेली का बैल-सदा काम में जुता रहने उसे । “ मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही" वाला । लो. " तेली का काम तमोली | -रामा० । करे, ताकी रोजी मा बट्टा परै । ते*-क्रि० वि० दे० (हि. ते) से तें विभ० तेवन -संज्ञा, पु० दे० ( अंतेवन ) घर के | सो. द्वारा । सर्व० दे० (सं० त्वम्) तू, तव । पास का बाग, नज़रबाग, क्रीडोद्यान। -क्रि० वि० दे० ( सं० तत् ) उतना, उस तेव-संज्ञा, पु० दे० (हि. तेह - क्रोध) रिस । तौल या माप का, उतने ( संख्या० )। भरी चितवन, क्रोध-भरी दृष्टि । स्त्री. त्यौरी, संज्ञा, पु० (अ.) फैसला, निपटारा, निश्चय। तेवर,तेउरी। मुहा०-लेवर चढ़ना- योग-तै-तमाम-समाप्ति, अंत, पूर्ण या दृष्टि या चितवन से क्रोध प्रगट होना, आँखें पूरा करना, पूर्ति । वि. जिसका फैसला या
और भौंह चढ़ना । तेवर बदलना या निपटारा हो चुका हो, जो पूर्ण हो चुका हो। बिगड़ना-नाराज़ या बे मुरौवत होना।
तैजस-संज्ञा, पु. (स.) प्रकाश-युक्त, वली, तेवराना -- अ. क्रि० (दे०) धूमना, चक्कर
परमेश्वर, भोजन को रस और रस को धातु लगाना।
बनाने वाली शक्ति ( देह ), राजस गुण तेवरी-न्यौरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. तेवर ) की अवस्था में पाया हुश्रा अहंकार । वि. घुड़की, धमकी. तेउरी (ग्रा०) । मुहा०- (सं० ) तेजस से उत्पन्न, तेजस-सम्बन्धी। तेवरी नदाना-धुड़कना, धमकाना, आखें | तैत्तिर--संज्ञा, पु० (सं०) तीतर, गैंडा। दिखाना, भौहैं चढ़ाना।
तैत्तिरि-संज्ञा, पु० (सं०) एक ऋषि जो कृष्ण तेवहार-संज्ञा, पु. (हि. त्योहार ) उत्सव यजुर्वेद के प्रचारक थे। दिन, पर्व दिन, तेलहार त्योहार (दे०)। । तैत्तिरीय-संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) यजुर्वेद की तेवाना -अ. क्रि० (दे०) सोचना, | एक शाखा, एक उपनिषद । चिन्ता करना।
तैत्तिरीयक-वि० (सं० ) यजुर्वेद की एक तेवों-- अव्य० (दे०) त्यों, तैसा, उस प्रकार।
शाखा। तेवोंधा-वि० (दे०) चूंधला, त्योधा, रात तैत्तिरीयारण्यक-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) का अन्धा।
एक अरण्यक ग्रंथ । तेह, तेहा*-संज्ञा, पु० दे० ( हि० तेखना) तैनात-वि० दे० (म० तअय्युन ) नियुक्त, रिस, क्रोध, घमंड, ताव, तेजी।। नियत । ( संज्ञा, तैनाती) तेहरा-वि. पु. दे० (हि. तीन+हरा ) | तैयार-वि० (अ.) ठीक, प्रस्तुत, दुरुस्त । तीन परत का कपड़ा आदि, तीन लपेट की महा हाथ तैयार होना-कारीगरी में डोरी आदि, तिगुना, तिहरा (ग्रा.)। खूब अभ्यास होना । तत्पर मुस्तैद, मौजूद, तेहराना-स० कि० दे० (हि. तेहरा ) किसी। मोटा-ताजा, हृष्ट-पुष्ट । संज्ञा, स्त्री० तैयारी । काम को फिर फिर तीन बार करना, तीन | तैयो-क्रि० वि० दे० ( हि० तऊ ) तथापि, परत करना।
तोभी। सर्व. (दे०) उतने ही । वि० स० तेहवार-संज्ञा, पु० दे० (हि. त्योहार ) | कि० दे० (हि. ताना) गरम करना, जलाना ।
पुण्य दिन, उत्सव का दिन, पर्व। तैरना-अ० क्रि० दे० ( सं० तरण ) उतराना. तेहा-संज्ञा, पु० दे० (हि. तेह) रिस, क्रोध, | पैरना । (प्रे० रूप ) तैराना। घमंड, शेखी। वि० तेही।
तैराई-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि• तैरना ---आई तेहि-तेही-सर्व० दे० (हि० तिस ) उसको, प्रत्य० ) तैरने का भाव, पैराई ।।
For Private and Personal Use Only