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निरीह
१०१७
निरेखना निरीह-वि० (सं०) चेष्टा-रहित, प्रयत्न या निरुपयुक्त-वि० (सं०) अनुपयुक्त, अनुचित। इच्छा-रहित, उदासी, विरक्त, शांतिप्रिय । निरुपयोो - वि० (सं० ) उपयोग रहित, संज्ञा, स्त्री. निरोहता।
___ व्यर्थ, निरर्थक । संज्ञा, पु. (सं० )निरुपयोग। निरुपारा-संज्ञा, पु० दे० (सं० निवारण ) निरुपाधि-वि० (सं० ) उपाधि-रहित, निवारण, निर्वार, अलग या भिन्न करना, | निर्बोध, माया-रहित। संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्म। सुलझाव ।
निरुपाय-वि० (सं० ) उपाय रहित, जो निरुक्त-वि० (सं०) निश्चय या ठीक रूप
कुछ उपाय न कर सके, जिसका कोई उपाय से कहा हुआ, नियुक्त ठहराया हुआ । संज्ञा,
न हो सके। पु. वेद के छै अंगों में से चौथा अंग, जिसमें
निरुवरना -- अ० क्रि० दे० (सं० निवारण) यास्क मुनि-कृत वैदिक शब्दों की व्याख्या है।
कठिनता आदि का न होना, सुलझना । निरुक्ति-संज्ञा, स्त्री. (सं०) शब्दों या |
निरुवार-संज्ञा, पु० दे० (सं० निवारण) वाक्यों की व्युत्पत्ति-बोधक व्याख्या, एक अलंकार जिसमें किसी संज्ञा शब्द के साभिप्राय
मोचन, छुटकारा, रक्षा, निबटाना, फैसला,
निर्णय। अर्थान्तर से भाव में सयुक्ति पुष्टि की जावे ( अ०पी० )।
निरुवारना* --- स० कि० दे० (हि० निरुवार) निरुज-वि० (सं० नीरुज ) रोग-रहित, । मुक्त करना, छुड़ाना, सुलझाना, निर्णय, तन्दुरुस्त, निरोग।
फैसला या ते करना, निबटाना । निरुत्तर-वि० (सं०) लाजवाब, उत्तर-हीन, निरूढ़-वि० (सं०) उत्पन्न, प्रसिद्ध, विख्यात,
जो उत्तर न दे सके, जिसका उत्तर न हो सके। प्रसिद्ध, कुंभारा । निरुत्सुक-वि० ( सं० ) उत्सुकता रहित, निरूढ़ लक्षणा–संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) एक निरुद्रंग, पाकुंठित ।
लक्षणाभेद, जिसमें शब्द का ग्रहण किया निरुत्साह-वि० (सं०) उत्साह-हीन । वि०
हुअा अर्थ रूढ़ हो गया हो (काव्य)। निरुत्साही।
निरूढ़ा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) निरूढ़ लक्षणा । निरुद्ध-वि० ( सं०) बँधा या रुका हुआ, |
| निरूप-वि० ( हि० निः+ रूप ) रूप-रहित, घिरा हुआ।
निराकार, कुरूप। निरुद्यत-वि० (सं०) जो तत्पर न हो।
| निरूपक-वि० (सं.) निरूपण करने वाला। निरुद्यम-वि० (सं०) उद्यम या रोजगार से रहित, उद्योग-हीन, बेकार। संज्ञा,
निरूपण-संज्ञा, पु. (सं०) दर्शन, विचार,
निर्णय, प्रकाश, बखान, निरूपन (दे०) । निरुधमता । वि. निरुद्यमी। निरुद्यमी-संज्ञा, पु० (सं० निरुद्यमिन् )
"ब्रह्म-निरूपण करहिं सब "-रामा० । निकम्मा, बेकार, उद्यम-रहित, निरुद्योगी।
निरूपना-अ० क्रि० दे० (सं० निरूपण ) निरुद्योग-वि० (सं०) उद्योग रहित, बेकार, |
निश्चित, निर्णय करना, ठहराना, विचानिरुद्यम । वि० निरुद्योगी।
रना, कहना। निरुपद्रव-वि० सं०) उपद्रव-रहित, शांत । निरूपित-वि० (सं०) जिसका निर्णय या निरुपद्रवी-वि० (सं० निरुपद्रविन् ) शांत, | निरूपण हो चुका हो। वि. निरूपणीय। जो उपद्रव न करे।
निरेखना*---स० क्रि० दे० ( हि० निरखना ) निरुपम-वि० (सं० ) उपमा-रहित बे- निरखना, देखना, अवलोकन करना। "रथ मिसाल, बेजोड़, अद्वैत अनुपम ।
सों निरखत जात जटाई" - स्फु० । भा० श. को०-१२८
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