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मर्मभेदक
करना।
मरोड़फनी
१३७५ मरोड़ना-इशारा करना, कनखी मारना, मर्दन-संज्ञा, पु० (सं०) मलना, कुचलना, नारु भौंह चढ़ाना, भौंह सिकोड़ना, उमेठ नष्ट करना वि० मर्दनीय । कर तोड़ डालना, ऐठ कर नष्ट करना या । मर्दना* -60 कि० दे० (सं० मर्दन) मलना, मार डालना, मसलना, पीड़ा या दुख देना, मालिश करना, नष्ट करना, मरदना (दे०) मलना । मुहा०- हाथ मरोड़ना- रौंदना। कछ मारेसि कछु मर्देसि कछुक पछताना, कलाई या हाथ ऐठना। मिलायति धूरि -रामा । मरोडकली-सज्ञा, सी. द० यौ० ( हि०) मर्दानगी--पज्ञा, स्त्री. ( फा०) वीरता, मुरा को लकड़ी, एक फली । अवतरना साहस, बहादुरी। (प्रान्ती।
| मदित--- वि० (सं०) मसला या मला मरोड़ा-संज्ञा, पु. ( हि० मरोड़ना ) ऐठन, हुआ, कुचला या रौंदा हुआ। मरोरा (दे०) उमेठ, मरोड़, बल, पेट की मर्दुभ-संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) मनुष्य । ऐंठन सी पीड़ा।
मर्दुमशुमारी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (फा.) मरोड़ी-संज्ञा, स्त्रो० (हिं० मरोड़ना) ऐंठना। देश की मनुष्य-गणना, जनसंख्या । मुहा०-मरोड़ी करना -- खींचातानी मदुमी-संज्ञा, स्त्री० (फा०) मरदानगी,
। पौरुष। वि. ( स्रो० मुदिनी) नाशक, मकट-संज्ञा, पु० (सं०) बानर, बंदर, दोहा संहारकर्ता । का एक भेद, छ यय का ८ वा भेद पि०)। मद्दन-संज्ञा, पु. ( सं०) रौंदना, कुचलना, "मर्कट-भालु चहूँ दिशि धावहिं" .. रामा०।
मलना, शरीर में तेल आदि लगाना या मर्कटी-संज्ञा, स्नो० (०) बानरी, बंदरी,
मसलना, चंप, नाश, कुस्ती में एक मल्ल मकड़ी, छंद, ६ प्रत्ययों में से अतिम इमसे
का दूसरे के गले आदि में घस्सा मारना, मात्रा, कला, गुरु, लघु और वर्ण-संख्या घोटना पीपना, रगड़ना । ( वि० मर्दित, ज्ञात होती है (पि०), एक वनौषधि (वैद्य) मर्दनीय )। " उच्चटा मर्कटी गोरै चूर्णिते '' - लो।
जो मर्दनीय-वि. ( सं० ) मलने या न करने
म
- के योग्य । मर्कत-संज्ञा, पु० दे० (सं० मरकत) पन्ना।
___ मदल-सज्ञा, पु. ( स० ) मृदंग सा एक मर्ज - संज्ञा, पु० ( अ०) रोग बीमारी, बुरी :
बाजा (बंगाल)। बात, या लत।
मदित-वि० सं० ) जो मला या कुचला मर्तबान-ज्ञा, पु० दे० ( हि• अमृतबान ) गया हो। अमृतवान, खटाई, घी आदि रखने का एक मर्म-संज्ञा, पु. ( सं० मर्म ) भेद, तस्व, प्रकार का रोग़नो बरतन।
रहस्य, सधि स्थान, प्राणियों के शरीर के मर्त्य - संज्ञा, पु. (सं०) मनुष्य, शरीर, वे स्थान जहाँ चोट लगने से अधिक पीड़ा भू-लोक । वि०-मरने वाला। " विचार लो । होती है, मरम (दे०) । वि० मार्मिक । कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी"-मैं श०गु०। " मर्म तुम्हार सकल मैं जाना—रामा०। मर्त्यलोक -- संज्ञा, पु. पो. (स०) भूलोक, मर्मज्ञ --- वि० (२०) भेद जानने वाला, तत्वज्ञ, पृथ्वी।
। रहस्य जानने वाला । संज्ञा, स्त्री० मर्मज्ञता। मर्द-संज्ञा, पु० (फ़ा०) मरद (दे०) मनुष्य, मर्मभेदक-वि• यौ ( सं० ) मर्म-भेदी, हृदय साहसी पुरुष, पुरुषार्थी, वीरपुरुष, भर्ता, नर, पर चोट करने वाला, प्रांतरिक कष्ट पहुँचाने पति, पुरुष ।
वाला।
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