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दुर्गा।
योगपट्ट
योजन योगपट्ट-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) ध्यान के | योगिनी-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रण-पिशाचिनी,
समय में पहनने का कपड़ा, योगपट । तपस्विनी, योगाभ्यायिनी, योगिनी या पाठ योगफल-संज्ञा, पु. यौ० (१०) दो या विशेष देवियाँ हैं:-शैलपुत्री, चंद्रघटा, स्कंदअधिक संख्याओं के जोड़ने से प्राप्त संख्या माता, कालरात्रि, चंडिका, कुष्मांडी, (गणि०), योग करने का परिणाम । कात्यायनी, महागौरी, योगमाया, देवी। योगबल-संज्ञा, पु. यौ० (सं.) तपोबल, ज्योतिष में एक प्रकार का विचार । योगी को योग-साधन से प्राप्त शक्ति विशेष, योगिराज, योगींद्र--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) योगसिद्धि (योग)।
बहुत बड़ा योगी, शिव, योगीश । योगभ्रष्ट-वि० यौ० (सं०) योग से गिरा योगी-संज्ञा, पु. ( सं० यागिन ) योग के हुआ । “धनिनाम् योगिनाम् गेहे योग द्वारा सिद्धि-प्राप्त व्यक्ति, आत्मज्ञानी, योग भ्रष्टोऽपि जायते'...-भ० गी।
की क्रियायों का अभ्यासी, शिव, महादेव, योगमाया-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवी, | जोगी (दे०)। यौ०-योगी-यती। भगवती, विष्णु की शक्ति, महामाया, योगीनाथ- संज्ञा, पु.. यौ० (सं०) महादेव प्रकृति, यशोदा की कन्या जिसे कंस ने जी। मारा था (भाग०)।
| योगीश, योगीश्वर--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) योगरूढ़ि- संज्ञा, स्त्री० (सं०) ऐसी संज्ञा नो | बड़ा योगी, सिद्ध, तपस्वी, याज्ञवल्क। देखने में तो यौगिक संज्ञा सी हो किन्तु योगीश्वरी-संज्ञा, सी० यौ० (सं०) देवी, अपना सामान्य शाब्दिक अर्थ छोड़कर विशेष सांकेतिक अर्थ दे (व्या०)। | योगेंद्र-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रेष्ठ या बड़ा योगवाशिष्ठ-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वशिष्ट- योगी। कृत एक वेदांत ग्रंथ ।
| योगेश्वर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बड़ा भारी योगशास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महर्षि योगी, महात्मा, कृष्णा. शिव। “यत्रयोगेश्वरः पतंजलिकृत योगदर्शन, जिसमें योग साधन कृष्णः तत्रवैविजयो यम्'-- महाभा० ।
और चित्तवृत्ति-निरोध का विधान है। योगेश्वरी-- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) देवी, योगसूत्र-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) महर्षि पतं- दुर्गा ।
जलिकृत योग-संबंधी सूत्रों का संग्रह ग्रंथ । योग्य--वि० (सं०) उपयुक्त, लायक, अधियोगांजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सिद्धांजन। कारी, ठीक, विद्वान, क़ाबिल, उचित, पात्र, योगात्मा-संज्ञा, पु. यौ० (सं० योगात्मन् ) श्रेष्ठ, उपायी, उचित, माननीय, युक्ति योगी।
लगाने वाला, सम्मानित, श्रादरणीय ।। योगाभ्यास-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) योग योग्यता-संज्ञा, स्त्री० (सं०) लियाक़त, शास्त्रानुसार योग के अष्टांगों का अनुष्ठान क्षमता, काबलियत, पात्रता, श्रेष्ठता, गुण, या साधन ।
औकात, सम्मान, प्रतिष्ठा, सामर्थ्य, बड़ाई, योगाभ्यासी-संज्ञा, पु० यौ० (सं० यागा- उपयुक्तता। भ्यासिन् ) योग की क्रियाओं को बारम्बार योजक- वि० (सं० मिलाने या जोड़ने करने वाला, योगी।
वाला। योगारूढ़-संज्ञा, पु० यौ० (सं.) योगी। योजन-संज्ञा, पु. (सं०) जोजन (दे०), योगासन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) योग करने परमात्मा, योग, संयोग, मिलान, दो या के हेतु बैठने की रीतियाँ या संग ।
चार या आठ कोस की दूरी, (मत-भेद)।
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