________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संगतरा
संग्रह संगत ही गुन जाहि"--नीति । उदासी जिस से पथर हटाया जाता है, कुयें के
और निर्मली साधुओं के रहने का मठ, संग तलने का छेद जिसमें लोहे का पंप लगाया रहने वाला।
जाता है। संगतरा-संज्ञा, पु० (दे०) संतरा, बड़ी संगराम-संज्ञा, पु० दे० (सं० संग्राम ) नारंगी।
संग्राम युद्ध, रण, समर, संगराम (दे०) । संगतराश-संज्ञा, पु० यौ० (फा०) पथरकट सँगाती, सँघाती--संज्ञा, पु. द० (हिं. (दे०), पत्थरकट, पत्थर काटने या गढ़ने
संग या संघ + आती-प्रत्य०) संघी, संगी, वाला मजदूर संज्ञा, स्त्री० ---संगतराशी। साथी, मित्र, सखा । “सूरदास प्रभु ग्वाल संगति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मिलाप, सम्मेलन, सँगाती जानी जाति जनावत"-सूर०। साथ, संग, मेल-जोल, मैथुन, प्रसंग, संबंध, संगिनी--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. संगी का संगत, ज्ञान । पूर्वापर या आद्यत की बातों
स्त्री० ) साथिनी, सहेली, सखी। या वाक्यों का मिलान । मुहा० --संगति
संगी-संज्ञा, पु० दे० (हि० संग -:-ई-प्रत्य०) बैठना (मिलना) मेल मिलना। "संगति
बंधु, साथी, संग रहने वाला, सखा, मित्र, सुमति न पावही, परे कुमति के धंध ''--
दोस्त । यौ०-संगी-साथी । संज्ञा, स्त्री० नोति।
(दे०) एक प्रकार का वस्त्र । वि० ( फा० संगतिया-संज्ञा, पु० (दे०) नाच गान में |
संग-1 ई-प्रत्य. ) पत्थर का, संगीन । साथ बाजा बजाने वाला। संगदिन - वि० यौ० ( फा० ) कठोर-हृदय,
संगती----संज्ञा, पु. (सं०) एक विद्या या
कला जिसमें गाना. बजाना, नाचना आदि निर्दय, निष्ठुर, क्रूर, दया-हीन । " अजब संग दिल है करूँ क्या खुदा"--- स्फु० ।
कार्य मुख्य गिरे जाते हैं। वि० संगीतज्ञ । संज्ञा, स्त्री० -संगदिली।
संगीत-शास्त्र, संगीत-विद्या--- संज्ञा, पु० संगम-संज्ञा, पु. (सं०) सम्मेलन, मिलाप,
यौ० (सं०) गंधर्व-विद्या, वह शास्त्र जिसमें मेल, संयोग, दो नदियों के मिलने का
संगीत विद्या का विवरण हो । स्थान, संग, साथ सहवास, सहयोग, प्रसंग। संगीन-संज्ञा, पु. ( फा० संग ) लोहे का मुहा०-संगम करना-सहवास या प्रसंग एक तिधारा नुकीला अस्त्र जो बंदूक के करना । "संगम करहिं तलाव-तलाई "। सिरे पर लगाया जाता है । वि. (फा० संगमर्मर--संज्ञा, पु. यौ० (फा० संग :- संग )--पत्थर का बना हुआ, मोटा, दृढ़, मर्मर प्र. ) एक बहुत नरम सफ़ेद चिकना टिकाऊ, विकट, कटिन । प्रसिद्ध कीमती पत्थर, स्फटिक, सग मरमर । संगृहीत-वि० (सं०) संकलित, एकत्रित,
संग्रह किया हुआ। संगमूसा-संज्ञा, पु० यौ० (फा०) एक काला संगोतरा-संज्ञा, पु० (दे०) संतरा ।
नरम और चिकना प्रसिद्ध कीमती पत्थर। संगोपन-- संज्ञा, पु. ( स०) छिपाने का संगयशब-संज्ञा, पु. (फ्रा.) एक हरा कार्य । वि.--संगापनीय, संगोपित,
कीमती पत्थर । होलदिली। । संगोप्य । संगर-संज्ञा, पु० (स.) युद्ध, नियम, प्रण, संग्रह-संज्ञा, पु. ( सं० ) संकलन, संचय, विष, विपत्ति, स्वीकार । "संगर यों संगर एकत्र या जमा करना, वह पुस्तक जिसमें किया, करि संगर शिवराज "---मन्ना। एक ही विषय या अनेक विषयों की पुस्तकों संगरा -संज्ञा, पु. (दे०) बाँस का डंडा की बातें चुन कर एकत्र की गयी हों।
For Private and Personal Use Only