________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
संबत्
१६७४
सँभारना, सँभालना संबत् --संज्ञा, पु० दे० (सं० संवत् ) संवत्, सँभरना, सँभलना - अ० क्रि० दे० (सं० साल, वर्ष, सन् । " संबत् सोरह सै | संभार ) सावधान या होशियार होना, इकतीसा"-रामा०।
हानि या चोट से बचना, कार्य का भार संबद्ध-वि० (सं०) संयुक्त, बंधा या जुड़ा उठाया जाना, स्वस्थ या चंगा होना, पाराम हुआ, बंद, संबंधयुक्त । संज्ञा, स्त्री० - होना, भार या बोझ आदि का थामा जा सम्बद्धता।
सकना, बिगड़ने से बचना, सुधरना, बनना, संबल-संज्ञा, पु० (सं०) मार्ग का भोजन, | किसी सहारे पर रुक सकना । प्रे० रूपरास्ते का खाना, सफर-खर्च, पाथेय । संभलाना । "राम-नाम संबल करौ, पलौ धर्म को संभव - संज्ञा, पु. (सं०) साध्य, जन्म, पंथ"- जिया।
उत्पत्ति, संयोग, मेल होना, मुमकिन, संवुक-संज्ञा, पु० दे० ( सं० रांबुक ) घोंघा, हो सकना, होने के योग्य होना । विलो०सीपी। “मुक्ता स्रवहिं कि संबुक-ताली" असम्भव। -रामा०।
संभवतः-प्रव्य० (सं०) हो सकता है, संबुद्ध-संज्ञा, पु० (सं.) ज्ञानी, ज्ञानवान, | ग़ालिबन (फ़ा०) मुमकिन है, संभव है। ज्ञान, जाना हुश्रा, जिन, बुद्ध । संज्ञा, स्त्री० संभवना*--स० कि० दे० (सं० संभव , संबुद्धि, संबुद्धता।
उत्पन्न करना, पैदा करना । अ० कि० दे० - संबुल-संज्ञा, स्त्री० (फा०) एक प्रकार की उत्पन्न या पैदा होना, हो सकना, संभव घास।
होना। संबोधन -- संज्ञा, पु० (सं०) जगाना, सोते से सँभार, सँभाल (दे०)----संज्ञा, पु. (सं० उठाना, निद्रा-मुक्त करना, पुकारना, सचेत संभार) एकत्रित या संचय करना, इकट्ठा या चैतन्य करना एक कारक (पाठवाँ) करना, साज-सामान, तैयारी, संपत्ति, धन, जिससे शब्द का किसी के बुलाने या पुकारने पालन-पोषण, संचय । "संभारः संभृयंताम्" का प्रयोग जाना जाता है इसके चिह्न हे, रे -वाल्मी। अरे, आदि हैं । जैसे-हे श्याम । विदित करना, सँभार, संभालां*--संज्ञा, पु० दे० (हि. जताना, श्राकाश-भाषित वाक्य (नाटक, सँभालना ) चौकसी, ख़बरदारी, देख-रेख, समझाना, बुझाना, चेताना । #स० क्रि० रक्षा, निगरानी, पालन पोषण, ठीक या दे० (सं०) समझाना, बुझाना, सचेत या उचित रीति-नीति या रूप से रखना । सजग करना, चेताना । वि. सम्बोधनीय, यौ०-सार-संभार -पालन-पोषण तथा संबोधित, संबोध्य ।
निरीक्षण का भार । "पुनि सँभार उठी सो संबोधना-स० क्रि० दे० (सं० संबोधन) लंका'-रामा० । रोक, निरोध, वश में तसल्ली देना, समझाना, सचेत करना, | रखने का भाव, तन-मन की सुधि । चेताना, जगाना ।
सँभारना, सँभालना--18-स० कि० दे० संबोधनीय-वि० (सं०) जताने या समझाने (सं० संभार ) याद करना, भार या बोझा योग्य, चेताने योग्य ।
ऊपर ले सकना, रोके रहना, नीचे न गिरने संबोधित-वि० (सं०) पुकारा हुआ, देना, थामना, वश में रखना, रक्षा करना, जगाया या चेताया हुश्रा।
संकट या बुराइयों आदि से बचना-बचाना, संबोध्य-वि० (सं०) जगाने या चेताने दुर्दशा से बचाना, पालन-पोषण करना, के योग्य, समझाने-योग्य ।
उद्धार करना, निगरानी या देख-रेख करना,
For Private and Personal Use Only