________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
सरमई
सरसई -- संज्ञा, स्रो० दे० (सं० सरस्वतीसरयू) सरस्वती देवी, शारदा देवी, सरस्वती नदी, सरयू नदी | संज्ञा, त्री० दे० (सं०सरस) सरसता, रसिकता, रसीलापन, रसपूर्णता, हरापन व ताज़गी | संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सरसों ) फल के छोटे अंकुर या दाने जो प्रथम देख पड़ते हैं । वि० (६०) सरमही | सरसना - अ० क्रि० दे० (सं० सरस + नाप्रत्य० ) हरा होना या पनपना बढ़ना, सुशोभित होना, रसयुक्त होना, सोहना, भावो मंग से भरना । ' अलि वृदनि मैं अतिशय सरसै " - रघु० । स० रूप - सरसाना । सरसब्ज - वि० ( फा० ) हराभरा, तरताजा, लहलहाता हुआ, जहाँ हरियाली हो । " बागे हिन्दुस्तां जल से खूब ही सरसब्ज़ है" -- स्फु० । संज्ञा, स्त्री० - सरसब्जी | सरसर- संज्ञा, पु० ( अनु० ) भूमि पर सर्पादि के रेंगने का शब्द सवेग वायुप्रवाह से उत्पन्न ध्वनि, लुवों की लपट । बाद सरसर का तूफाँ "हाली० । सरसराना -- अ० क्रि० ( अनु० सरसर ) सर
(6
१७१७
सरस्वती
सरसाना - स० क्रि० ( हि० सरसना का स० रूप) रस भरना, हरा-भरा करना, अधिक करना, रसयुक्त करना, भावोद्दीप्ति करना ० क्रि० ( ० ) सजना, शोभा देना । *म० क्रि० सरसना, अधिक होना, रसयुक्त होना, सरसावना (दे० ) । सरसाम- -पंज्ञा, ५० ( फा० ) सन्निपात रोग । सरसार - वि० दे० ( फ़ा० शरसार) निमग्न, विलीन, डूबा हुआ, नशे में चूर, मदमस्त ।
इश्क में सरसार है दुनिया उसे भाती नहीं " - कृ० वि० ।
सरसिज - ज्ञा, पु० (सं०) कमल, तालाब में उत्पन्न होने वाला । निर्मल जल सरसिज बहु रामा० । रंगा सरह - ज्ञा स्त्री० दे० ( सं० सरसी ) छोटा तालाब ।
सरसिरुह - सरसीव्ह - संज्ञा, पु० (सं० ) कमल । सुभग सोह सरसीरुह लोचन
46
19
सरी निगाह- -स्थूल या विहंगम दृष्टि । सरसाई - संज्ञा, स्रो० दे० (हि० सरस + श्राई -- प्रत्य० ) सरसता, रसीलापन, शोभा, श्रधिकता । प्रीति सरसाई मोह जाल में फँसाई अब अलि अलिगाई ऐसे रहे लि गाई हौ ”
"
'-मन्ना० ।
श्राहट
सर ध्वनि करते हुये वायु का वेग से चलना, सनसनाना, साँप आदि का रेंगना । सरसराहट - संज्ञा स्त्री० ( हि० सरमर + - प्रत्य० ) साँप आदि के रेंगने का शब्द, खुजली, सुरसुराहट (दे०) वायुवेग की ध्वनि । सरसरी - वि० दे० ( फ़ा० सरसरी) जल्दी | में, उतावली में, मोटे तौर पर, साधारण या स्थूल रूप से । सुहा० - सरसरी में खारिज होना (सुकमा) - केवल कुछ बातें देख कर खारिज करना । यौ०-सर
1
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
-रामा० ।
सरसी--- संक्षा, स्त्री० (सं०) छोटा तालाब, पुष्करणी, बावली. न ज भ ( गण ), ४ जगण और रगण युक्त एक २४ वर्णों का वर्ण-वृत्त (पिं० ) । सम्मुति-सरमुती - संज्ञा, त्रो० दे० ( सं० सरस्वती) सरस्वती, शारदा, गिरा, वाली, सरस्वती नदी । सरसुति के भंडार की बड़ी अनोखी बात "वृं सरसेटना - स० क्रि० ( अनु० ) फटकारना,
..
पीछा कर दौड़ना, हैरान करना, खरी-खोटी सुनाना, डाँटना | सरसों, सरसों-संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सर्पत्र ) एक पौधा और उसके राई जैसे छोटे गोल तेल भरे बीज । सरसौहाँ - वि० दे० (सं० सरस ) सरस
"
For Private and Personal Use Only
बनाया हुआ ।
सरस्वती संज्ञा, स्रो० (सं०) पंजाब की एक पुरानी नदी, गंगा-यमुना से प्रयाग में मिलने वाली एक नदी, वाणी, शारदा,