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सत्पात्र
सत्यानासी
सत्पात्र-संज्ञा, पु. (सं.) सुपात्र, दानादि कर्ता सत्यवती-सुतः" गाधि कन्या और के योग्य, अच्छा व्यक्ति, सदाचारी, विद्वान्, ऋचीक पनो । वि० (सं०) सत्य वाली। सुकर्मी संज्ञा, स्रो०-सत्पात्रता। सत्यवादी-- वि. ( सं० सस्य वादि ) सच सत्पुरुष - संज्ञा, पु० (सं०) भलामानुष, भला बोलने या कहने वाला, अपनी बात को प्रादमी, परमेश्वर ( कवी०)।
पूरा करने वाला, सत्य-भाषी। स्त्री०सत्य - वि० (स०) मच, ठीक, सही, यथार्थ, सत्यवादिनी। वास्तविक, तथ्य, असल, साँच । संज्ञा, पु०- सत्यवान-संज्ञा, पु. ( सं० सत्यवत् ) शाल्व ठीक या यथार्थ बात, उचित पक्ष, धर्म देश के राजा द्युमरसेन का पुत्र और पतिव्रता की बात । "सुनु सिय सत्य असीस हमारी" सावित्री का पति जिसे उसने अपने सतीत्व --- रामा० । न्याय-नीति के अनुकूल बात, के प्रभाव से यम से बचाया था (पुरा०)। विकार-रहित वस्तु, ( वेदा० ) ऊपर के सात सत्यव्रत-हाज्ञा, पु० (सं०) सच बोलने का लोकों में से सर्वोपरि प्रथम लोक, विष्णु,
नियम या प्रण । " सत्य-व्रतं सत्य परं च कृत युग, चार युगों में से प्रथम युग। सत्यं-भाग । वि. (सं०) सत्य-भाषण सत्य काम--वि० यौ० (सं०) सत्यानुरागी, का व्रत रखने वाला। वि०-सत्यवती। सत्य का प्रेमी. सत्येछु ।
" सत्यवती हरिचन्द हुते टहरत मरघट सत्यतः-- अव्य. (सं०) वस्तुतः पचमुच, पै"-- रत्ना० । वास्तव में, यथार्थतः :
सत्यसंध-वि० (सं०) सत्य-प्रतिज्ञा, वचनों सत्यता-संज्ञा, स्त्री० सं०) सच्चाई. सचाई, को पूरा करने वाला । स्त्री० -सत्यसंधा। यथार्थता, वास्तविकता।
संज्ञा, पु० (सं०) सच्ची प्रतिज्ञा वाला, सत्यधाम--संज्ञा, पु० यौ० सं०) विष्णु-लोक रामचंद्र, जन्मेजय । “सत्यसध दृढव्रत स्वर्ग, वैकुंठ, परमधाम ।
रघुराई"-पामा० । संज्ञा, स्त्री० (सं०) सत्यनाम-पंज्ञा, पु० यौ० सं०) राम नाम। सत्य-संधता। सत्यनारायगा- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु,
सत्यग्रह-सत्याग्रह-संज्ञा, पु. (सं०) किसी "ममोपदेशतो विप्र सत्यनारायण भज"....
सच्चे या न्याय-संगत पक्ष की स्थापना के रेवार प० पु०।
हेतु सदा शांति-पूर्वक लगातार अपना हठ सत्यभामा - संज्ञा, लो. () सम्राजीत् की। निवाहना, सत्य के पक्ष पर श्राग्रह करना । कन्या तथा श्री कृष्ण जी की पाठ पटरानियों वि०-सत्याग्रही। में से एक । “ याही हेतु पाखत को राखत | सत्यानास-संज्ञा, पु० दे० (सं० सत्ता+ विधान नाहि, पूजा माहिं प्रीतम प्रवीन नाश ) विनाश, मटियामेट, सर्वनाश, नष्टसत्यभामा के "--- रत्ना०।
भ्रष्ट, ध्वंस, बरबादी। मुहा०-सत्यानास सत्यभाषण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सत्य करना (दे०)- मटियामेट करना, बरबोलना। वि०.-सत्यभाषी।
बाद करना। सत्यानास जाना या होनासत्ययुग-संज्ञा, पु. यो० सं०) चार यगों में वा० (दे०) नष्ट होना, मटिया मेट होना, से प्रथम युग, कृत युग।
खराब होना. बरबाद होना। सत्यवती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मत्स्यगंधा सत्यानासी-वि० दे० (हि. सत्यानाश+ ईनाम की धीवर कन्या तथा व्यास या कृष्ण प्रत्य०) मटियामेट या सत्यानास करने वाला, द्वैपायन जी की माता। "अष्टादशपुराणानि चौपट करने वाला, विनाशक, ख़राबी या
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