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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्पात्र सत्यानासी सत्पात्र-संज्ञा, पु. (सं.) सुपात्र, दानादि कर्ता सत्यवती-सुतः" गाधि कन्या और के योग्य, अच्छा व्यक्ति, सदाचारी, विद्वान्, ऋचीक पनो । वि० (सं०) सत्य वाली। सुकर्मी संज्ञा, स्रो०-सत्पात्रता। सत्यवादी-- वि. ( सं० सस्य वादि ) सच सत्पुरुष - संज्ञा, पु० (सं०) भलामानुष, भला बोलने या कहने वाला, अपनी बात को प्रादमी, परमेश्वर ( कवी०)। पूरा करने वाला, सत्य-भाषी। स्त्री०सत्य - वि० (स०) मच, ठीक, सही, यथार्थ, सत्यवादिनी। वास्तविक, तथ्य, असल, साँच । संज्ञा, पु०- सत्यवान-संज्ञा, पु. ( सं० सत्यवत् ) शाल्व ठीक या यथार्थ बात, उचित पक्ष, धर्म देश के राजा द्युमरसेन का पुत्र और पतिव्रता की बात । "सुनु सिय सत्य असीस हमारी" सावित्री का पति जिसे उसने अपने सतीत्व --- रामा० । न्याय-नीति के अनुकूल बात, के प्रभाव से यम से बचाया था (पुरा०)। विकार-रहित वस्तु, ( वेदा० ) ऊपर के सात सत्यव्रत-हाज्ञा, पु० (सं०) सच बोलने का लोकों में से सर्वोपरि प्रथम लोक, विष्णु, नियम या प्रण । " सत्य-व्रतं सत्य परं च कृत युग, चार युगों में से प्रथम युग। सत्यं-भाग । वि. (सं०) सत्य-भाषण सत्य काम--वि० यौ० (सं०) सत्यानुरागी, का व्रत रखने वाला। वि०-सत्यवती। सत्य का प्रेमी. सत्येछु । " सत्यवती हरिचन्द हुते टहरत मरघट सत्यतः-- अव्य. (सं०) वस्तुतः पचमुच, पै"-- रत्ना० । वास्तव में, यथार्थतः : सत्यसंध-वि० (सं०) सत्य-प्रतिज्ञा, वचनों सत्यता-संज्ञा, स्त्री० सं०) सच्चाई. सचाई, को पूरा करने वाला । स्त्री० -सत्यसंधा। यथार्थता, वास्तविकता। संज्ञा, पु० (सं०) सच्ची प्रतिज्ञा वाला, सत्यधाम--संज्ञा, पु० यौ० सं०) विष्णु-लोक रामचंद्र, जन्मेजय । “सत्यसध दृढव्रत स्वर्ग, वैकुंठ, परमधाम । रघुराई"-पामा० । संज्ञा, स्त्री० (सं०) सत्यनाम-पंज्ञा, पु० यौ० सं०) राम नाम। सत्य-संधता। सत्यनारायगा- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु, सत्यग्रह-सत्याग्रह-संज्ञा, पु. (सं०) किसी "ममोपदेशतो विप्र सत्यनारायण भज".... सच्चे या न्याय-संगत पक्ष की स्थापना के रेवार प० पु०। हेतु सदा शांति-पूर्वक लगातार अपना हठ सत्यभामा - संज्ञा, लो. () सम्राजीत् की। निवाहना, सत्य के पक्ष पर श्राग्रह करना । कन्या तथा श्री कृष्ण जी की पाठ पटरानियों वि०-सत्याग्रही। में से एक । “ याही हेतु पाखत को राखत | सत्यानास-संज्ञा, पु० दे० (सं० सत्ता+ विधान नाहि, पूजा माहिं प्रीतम प्रवीन नाश ) विनाश, मटियामेट, सर्वनाश, नष्टसत्यभामा के "--- रत्ना०। भ्रष्ट, ध्वंस, बरबादी। मुहा०-सत्यानास सत्यभाषण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सत्य करना (दे०)- मटियामेट करना, बरबोलना। वि०.-सत्यभाषी। बाद करना। सत्यानास जाना या होनासत्ययुग-संज्ञा, पु. यो० सं०) चार यगों में वा० (दे०) नष्ट होना, मटिया मेट होना, से प्रथम युग, कृत युग। खराब होना. बरबाद होना। सत्यवती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मत्स्यगंधा सत्यानासी-वि० दे० (हि. सत्यानाश+ ईनाम की धीवर कन्या तथा व्यास या कृष्ण प्रत्य०) मटियामेट या सत्यानास करने वाला, द्वैपायन जी की माता। "अष्टादशपुराणानि चौपट करने वाला, विनाशक, ख़राबी या For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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