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GaourAKADHE
शाश्वती १६३६
शिकंजा शाश्वती-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सदा रहने शाहंशाह-संज्ञा, पु० यौ० (फा०) सम्राट, वाली। ' मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमाः बादशाहों का बादशाह, राजाधिराज ।
शाश्वती-समाः "~वाल्मी० । | शाहंशाही--संज्ञा, स्त्री. (फा०) शाहंशाह शासक-संज्ञा, पु. (सं०) हाकिम, शासन का कार्य या भाव, व्यवहार का खरापन
करने वाला। स्रो० - शासिका। (बोल चाल )। शासन-संज्ञा, पु० (सं०) लिखित प्रतिज्ञा, शाह -संज्ञा. पु० (फा०) बादशाह, महाराज, श्रादेश, प्राज्ञा, हुक्म, ठीका. पट्टा, मुश्राफ़ी मुसलमान फ़कीरों की उपाधि, एक कुल राजा से दान दी गई भूमि, श्राज्ञापत्र, या जाति (मुसलमान)। वि० --बड़ा, भारी, शास्त्र, अधिकार-पत्र, इन्द्रिया-निग्रह, सज़ा, महान् , साह (दे०), धनी, समधी (वैश्य)। दंड, हुकूमत, वश या अधिकार में रखना । शाहजादा-- संज्ञा, पु०. (फ़ा०) बादशाह का शासनीय - वि. (सं०) शासन करने योग्य, पुत्र, महाराज-कुमार । स्त्री०-शाहजादी। सज़ा के लायक।
शाहना-वि० (फ़ा०) शाही । संज्ञा, पु० दूल्हे शासित-वि० (सं०) जिस पर शासन किया के कपड़े। जावे, जिसे दंड दिया गया हो । स्त्रो०--- शाहराह-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) राज-मार्ग। शासिता।
शाहाना-वि० (फ़ा०) राजसी । संज्ञा, पु. शास्ता-संज्ञा, पु. ( सं० शास्तृ ) राजा, व्याह में वर के नामा, जोड़ा श्रादि वस्त्र, शासक, पिता, गुरु, अध्यापक, उपाध्याय । । एक राग, शहाना (दे०)। शास्ति--संज्ञा, स्त्री० (सं०) शासन, सजा, शाही-वि० (फा०) बादशाहों का, राजसी । दंड।
शिगरफ़-संज्ञा, पु० (फ़ा०) इंगुर । शास्त्र---संज्ञा, पु. (सं.) वे धार्मिक या शिबी-संज्ञ, स्त्री. (सं.) बौड़ी, छेमी, शिक्षा-ग्रंथ जो लोगों के हित और फली, सेम, केवाँच. कौंछ (दे०)। अनुशासन के हेतु रचे गये हों, चार वेद शिंवीधान्य-संज्ञा, पु० (सं०) दाल, द्विदल उनके ६ अंग, ६ उपग, धर्म शास्त्र, दर्शन- भा। शास्त्र, पुराण, चार उपवेद, विज्ञान, ये सब शिंशपा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) शीशम का पेड़, पृथक पृथक शास्त्र कहे जाते हैं। किसी अशोक पेड़, सिमपा (दे०)। विशेष विषय का यथाकम संग्रहीत पूर्ण शिशुपा --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिंशपा) ज्ञान, विज्ञान । ' शास्त्रेष्वकुण्ठिता बुद्धिमौर्वी शीशम का पेड़, अशोक वृक्ष, सिंसुपा धनुषि चातता "- रघु० । शास्त्रकार--संज्ञा, पु० (सं०) शास्त्र बनाने शिशुमार-संज्ञा, पु. (सं०) सूस नामक एक वाला, शास्त्रकर्ता, शास्त्र रचयिता। जल-जंतु । शास्त्रज्ञ-संज्ञा, पु. (सं०) शास्त्र ज्ञाता, शिकंजा ज्ञा, पु० (फा०) एक यंत्र जिसमें शास्त्रवेत्ता, शास्त्रविद ।।
किताबें दबा कर उनके पन्ने काट कर बराबर शास्त्री-संज्ञा, पु० (सं० शानिन् ) शास्त्रज्ञ, किये जाते हैं, पदार्थों के कसने और दाने शास्त्र-ज्ञाता, धर्म या दर्शन शास्त्र का ज्ञाता, का यंत्र, अपराधियों के पैर कसने का एक ज्ञानी, पंडित, शास्त्रविद् , शास्त्रवेत्ता । प्राचीन यंत्र, काठ। मुहा०—शिकंजे में शास्त्रीय वि० (सं०) शास्त्र संबंधी। खिंचवाना-कठोर कष्ट या घोर यंत्रणा शास्त्रोक्त - वि० यौ० (सं०) शास्त्रों में कहा | दिलाना । शिकंजे में प्राना-काबू में हुआ, प्रमाणिक ।
भाना, जाल या फंदे में फँसना।
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