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लक्षित लक्षणा
लखाउ, लखाऊ समझा गया । संज्ञा, पु. लक्षणा-शक्ति के लक्ष्मीवाहन-संज्ञा, पु. यौ० (सं० उल्लू, द्वारा ज्ञात शब्द का अर्थ । यौ०-लक्षिलार्थ । वि० (सं०) भूर्ख धनी (व्यंग्य)। लक्षित लक्षणा--- संज्ञा, स्त्री० यौ० सं०) एक लक्ष्य .. संज्ञा, पु. (सं.) उद्देश्य, निशाना, प्रकार की लक्षणा (काव्य)
अभीष्ट वस्तु, जिग्नपर कोई प्राक्षेप किया लतिता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रकटित परकीया जाय, शब्द का वह अर्थ जो लक्षणा-द्वारा नायिका अर्थात् जिनका अन्य पुरुष के | ज्ञात हो (काव्य०), अस्त्रों का संहारप्रकार । प्रति-प्रेम दूसरों पर प्रगट हो (मा०)। लक्ष्यभेद---ज्ञा पु० यौ० (सं०) उड़ते या लनी - संज्ञा, स्रो० (सं.) आठ रगण वाले चलते हुए लचय के भेदने का निशाना । वि. चरण का एक वर्णिक छंद ( पि० ), खंजन । लक्ष्यभेदी। गंगाधर ।
लक्ष्यवेधी ज्ञा, पु० सं० निशाना लगाने लक्ष्म--संज्ञा, पु० (सं०) चिन्ह निशान, अंक, या लचय भेदने वाला।
"लक्ष्म लघमों तनोति"--- रघु। लक्ष्यार्थ --संक्षा, पु० यौ० (सं०) शब्द की लक्ष्मगा ज्ञा, 'पु० (सं०) सुमित्रा से उत्पन्न लक्षणा-शक्ति से प्रगट होने वाला अर्थ राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम जी के छोटे ( काव्य.), उद्देश्यार्थ । भाई, जा शेरावतार माने जाते हैं लक्षण ल --- संज्ञा, पु. द. (सं० लक्ष, प्रत्यक्ष, चिह्न, निशान, लपन, लखन, जखन (द०)। माथा का प्रण, लाख, ला, लाख संग्या ! लक्ष्मण स----सज्ञा, स्त्री० (सं०) श्रीकृष्ण जी "लख चौरानी भरम गँवाया।" की पटरानी, श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब की स्त्रीलमधर ---संज्ञः, पु० दे० यौ० (सं० लाक्षागृह) जो दुर्योधन की पुत्री थो, सारन पली की लाख का धर । मादा, सारमी, एक प्रौषधि विशेष वैद्य०)। हवन --संज्ञा, पु० द० ( सं० लक्ष्मण ) लक्ष्मी संज्ञा, स्वी० (सं०) सागर-तनया, लक्ष्मण जी, लखन, लपन (दे०) । विष्णु-प्रिया तथा धन की अधिष्ठात्री देवी "सखि जाम राम-लखन कर जोटा"-रामा० । ( पुरा० ) रमा, कमला, रामा, संपति, संज्ञा, स्त्री० (दि. लखना ) देखने या लखने शोभा, सौंदर्य, दुगा, श्री, कांति, एक की क्रिया या लाव । वि० लखनीय। वणिक छंद जिनमें, दो रगण, एक गुरु और लखना-स० क्रि० दे० ( सं० लक्ष ) देखना, एक लघु वर्ण होता है । प्रा- छंद का ताना, लक्षण देखकर अनुमान करना, प्रथम रूप (पि०), गृह स्वामिनी, छवि, विचारना । स० रूप-लखना, प्रे० रूप---
लदिभ, लाहसी, लच्छिमी, (दे०)। लखचाना। लक्ष्मीकांत --- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु लखपति- पती--संज्ञा, पु० दे० यौ० भगवान, रमाकांत, रमापति ।
(सं० लक्ष पति ) वह धनी जिसके यहाँ एक लक्ष्मीधर --- संज्ञा, उ० (१०) विष्णु भगवान, । लाख रुपये सदा तैय्यार रहें। स्रग्विणी वृत्त । पि.)।
लबताया--- संज्ञा, पुं० [फा०) भूर्जा मिटाने लक्ष्मीनाथ, लक्ष्मी-नायक --- संज्ञा, पु० वाली एक सुगंधित औषधि । यो० (सं०) विष्णु भगवान, रमेश । लावलम्बाना--- अ० क्रि० (दे०) हाँफना। लदा .---.झा, मुयो० (सं०) विष्णु लाजलुट, नायलट --- वि० दे० यौ० (हि. भगवान, लोपाल (दे०)।
लाख । लुटाना फ़ज़ल-खर्च, अपव्ययी, बदमापुत्र-- वि० यौ० (सं०) धनी, धनवान। ख़र्चीला, उड़ाऊ। लदीवान--संज्ञा, पु० (सं०) धनी, धनवान। लखाउ, लखा*---संज्ञा, पु० दे० (हि.
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