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शस्त्रागार
शस्त्रागार - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शस्त्र - शाला, सिलह खाना, शस्त्रालय | शस्त्री - संज्ञा, पु० (सं० शत्रिन्) हथियार बाँधने या चलाने वाला, छुरी ।
शस्य - संज्ञा, पु० (सं०) अन्न, अनाज, धान्य, नई कोमल घास, फ़सल, खेती । " तू पुण्य भूमि और शस्य - श्यामला तू है " - भार० । शहंशाह - संज्ञा, पु० दे० (का० शांहशाह ) सम्राट्, महाराज !
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शह-- संज्ञा, पु० ( फा० शाह का संक्षिप्त ) बादशाह, दूल्हा, वर । वि० -- श्रेष्ठतर, बढ़ाचढ़ा | संज्ञा, स्त्री० -- शतरंज के खेल में किसी मुहरे को ऐसे स्थान पर रखना जिससे बादशाह के घात में आने का भय हो, किस्त. छिपे तौर पर किसी के बहकाने या उभाड़ने काका, किसी को किसी दबाव से दबाना | मुहा० - शह लगाना (ना ) | शहजादा - संज्ञा, पु० दे० ( फा० शाहज़ादा ) बादशाह का पुत्र, राज कुमार, सहजादा (दे०) स्त्री० -- शहज़ादी, शाहज़ादी । शहज़ोर - वि० ( फा० ) बलवान, बली । संज्ञा, स्त्री० - शहजोरी - ज़्यादती, बल-प्रयोग | शहतीर - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) बड़ा और लंबा लकड़ी का लट्ठा, सहतीर (दे० ) । शहतूत - संज्ञा, पु० (का० ) तूत नामक एक पेड़ और उसके फल |
शहद - संज्ञा, पु० (०) चीनी के शीरे का सा एक तरल मीठा रस या पदार्थ जिसे मधुafar फूलों से निकालती हैं, पुष्य रस मधु, माक्षिक, सहत, सहद ( ग्रा० ) | मुहा०-- शहद लगा कर चाटना- किसी बे काम वस्तु को व्यर्थ रखना, (व्यंग) । शहनाई - संज्ञा, स्त्री० (फा० ) नफीरी बाजा, रोशनचौकी सहनाई (दे० ) ।
शहबाला -- पंज्ञा, पु० [फा०) दूल्हे का छोटा भाई जो विवाह में साथ रहता है । शहमात - संज्ञा, त्रो० यौ० ( फ़ा० ) शतरंज के खेल में शाह के जोर पर शह देकर मात किया जाना ।
शांतता
शहर - संज्ञा, पु० ( फा० ) नगर, पुर, कसबे से बड़ी बस्ती जहाँ पक्की इमारतें और बड़ा बाज़ार हो, सहर (दे०) । शहरपनाह - संज्ञा, स्त्री० यौ० ( फा० ) शहर या नगर की चहार दीवारी, प्राचीर, नगरकोट पुर-परिखा । शहरयार - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) बादशाह | शहराती, शहरी --- वि० ( फ़ा० ) शहर का, शहर का बाशिन्दा, नागरिक नगर निवासी । शहादत संज्ञा, खो० (०) सानी, गवाही
प्रमाण, सुबूत, शहीद होना ।
शहाना संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० शाहाना ) सम्पूर्ण जाति का एक राग । वि० - राजसी, शाही, श्रेष्ठ, उत्तम बढ़िया ।
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शहाब - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) एक गहरा लाल रंग | शहिजादा - संज्ञा, पु० ( फा० शाहज़ादा का अल्प० ) शाहजादा, राजकुमार । स्त्री०शहज़ादी ।
शहीद- संज्ञा, पु० (अ० ) धर्मीदि के हेतु बलिदान होने वाला मुसलमान । शांकर - वि० (सं०) शंकर-संबंधी, शंकराचार्य या शंकर का | संज्ञा, पु० -एक छंद ( पिं० ) । शांडिल्य -- संज्ञा, पु० (सं०) एक मुनि जिन्होंने एक भक्ति-सूत्र और स्मृति का निर्माण किया था, एक गोत्रकार ऋषि ( कान्य० ) । शांत - वि० (सं०) स्थिर, सौम्य, धीर, गंभीर, मौन, चुपचाप, विनष्ट, जितेंद्रिय, कोधादिविहीन शिथिल, मृत, स्वस्थ चित्त, रागादिरहित, वेग, क्रिया या लोभ-रहित, उत्साहादि से शून्य, विघ्नबाधा विहीन, बंद या रुका हुथा | संज्ञा, पु० -- नौ रसों में से एक रस जिसका स्थायी भाव, निर्वेद और संसार की माता, और दुःख पूर्णता, तथा ब्रह्मस्वरूप श्रालंवन विभाव हैं। शांतता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) धीरता, गंभीरता, मौनता, सन्नाटा, स्वस्थता, मरण, स्थिरता, शांति, ( काव्य ) ।
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