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रूसना
१५००
रेचक
रूसना-प्र. क्रि० दे० (हि० रूठना )। खचाइ कहौ बल भाखी"--रामा० । रूठना।
यौ०-रूप-रेख--सूरत सकल । सूरत, रूसा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० रूपक ) अड़ सा, . स्वरूप, नयी निकली हुई मूंछे, गणना,
भरूसा, बासा। संज्ञा, पु. दे० (सं० रोहिण) गिनती। मुहा०--रेख भीजना या एक सुगंधित घास जिसका तेल निकालते हैं। । भीनना (निकलना)-निकलती हुई रूसी--वि० (हि. रूस ) रूस देश का मूछों का दिखाई पड़ना। निवासी, रूस देश का, रूस संबंधी। संज्ञा, रेखता -- संज्ञा, पु० (फा०) एक प्रकार की स्रो०- रूस देश की भाषा या लिपि । गज़ल ( उ० पि० )। " रेखता के तुम्ही संज्ञा, स्त्री० (दे०) भूसी-जैसा सिर का मैल । उस्ताद नहीं हो ग़ालिब-ग़ालिः । रूह-संज्ञा, स्त्री. (अ.) भारमा, जीव, रेखना -- स० क्रि० दे० (सं० रेखन, लेखन) जीवात्मा, सत्तसार, इत्र का एक भेद । रेखा या लकीर खींचना, खरोंचना, खुरांच मुहा०-रूहफना होना-- अति भयभीत डालना । होना, होश उड़ना। रूह फंकना (डालना) रेखा- संज्ञा, स्त्री० (सं०) डाँड़ी, लकीर, -जान डालना, नवशक्ति का संचार सतर, दो विन्दुओं के बीच की दूरी-सुचक करना, नवस्फूर्तिलाना।।
चिह्न । मुहा०—रेखा खींच कर कहना रूहना-अ. क्रि० दे० (सं० रोहण ) -प्रण-पूर्वक कहना, बल-पूर्वक या जोरों उमड़ना, चढ़ना। अ० क्रि० दे० (हि. के साथ कहना । रेखा खींच कहौं प्रण. बैधना ) घेरना, सँधना, भावेष्टित करना। भाषी"- रामा० । यो०-कर्म-रेखा रेंकना-अ.क्रि० (अनु०) गदहे का बोलना. (करम-रेख)-भाग्य का लेख । प्राकृति, बुरे ढंग से गाना।
गणना, गिनती. श्राकार. हथेली-तलुवे रेंगटा-संज्ञा, पु० (दे०) गदहे का बच्चा। श्रादि पर पड़ी लकीरें जिनसे सामुद्रिक में रेंगना-अ.क्रि० दे० (सं० रिंगण ) चींटी शुभाशुभ का विचार होता है।
आदि कीड़ों का चलना धीरे धीरे चलना। रेखांकित-वि. यौ० (सं०) चिह्नित, रेखारेंट-संज्ञा, पु० (दे०) नाक का मैल । द्वारा निर्धारित । रेंड-संज्ञा, पु० दे० ( सं० एरंड ) एक पौधा रेखागणित-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गणित जिसके बीजों का तेल बनता है। स्त्री०- विद्या का वह विभाग जिसमें रेखाओं के रेंडी-रेंड के बीज।
द्वारा कुछ सिद्धांत निर्धारित किये जाते हैं रेडी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० रेड ) रेंड के जिओमेटरी (अं०)। बीन।
| रेखित - वि० (सं०) जिस पर रेखा पड़ी हो, रेंदी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) छोटा खरबूजा। फटा हुआ, लकीरदार। रे- भव्य० (सं०) नीच-संबोधन-शब्द । “कि रेगिस्तान-संज्ञा, पु. (फा०) मरुस्थल, रे हनूमान् कपिः "-ह. ना.। संज्ञा, पु० मरुभूमि, रेतीला या बालू का मैदान । दे० (सं० ऋषभ ) ऋसभ-स्वर।। । रेघारी - संज्ञा, स्त्री० (दे०) हलकी रेखा, रेख-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रेखा ) लकीर । चिह्न या निशान ।
"तुमते धनु-रेख गई न तरी"-राम। रेचक-वि० (सं०) दस्तावर, जुलाबी दवा । मुहा०-रेख काढ़ना (खींचना-खाँचना) संज्ञा, पु०-प्राणायाम की ३री क्रिया जिसमें
-लकीर बनाना, कहने पर जोर देना, खींची हुई सॉस को विधि-पूर्वक बाहर प्रतिज्ञा करना । चिह्न, निशान । " रेख निकालते हैं (योग.)।।
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