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रक्तवृष्टि
रखवार बूंदें गिरें उतने ही नये रूप, इस दैत्य के मादि की बाधा से रक्षित रहने के हेतु की बन जाते थे (दु. स.)।
जाने वाली धार्मिक क्रिया । रक्तवृष्टि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) व्योम से रक्षित-वि० (सं०) जिसका बचाव या रक्षा लोह या लाल रंग के पानी का गिरना, की गयी हो, पाला-पोषा। 'अरक्षितः रक्षति रक्त-वर्षा ।
दैव-रक्षितो"- स्फु० । रक्तस्त्राव--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) कहीं किसी
रक्षी संज्ञा, पु. ( सं० रक्षस्न-ई-प्रत्य०) अंग से लोहू बहना या निकलना।
राक्षसोपासक, राक्षम पूजने वाला। संज्ञा, रक्तातिसार-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ख़न !
पु.-रक्षक। के दस्त श्राना. खूनी बवासीर, बवासीर के
| रक्ष्य -- वि० (सं०) रता करने या बचाने मसों से रक्त पाना।
योग्य । रक्तार्श- संज्ञा, पु० यौ० ( सं० रक्तार्शस् )
रख, रखा -- संज्ञा, स्त्री० (दे०) गोचर भूमि। खूनी बवासीर
रखना-स० कि० दे० (सं० रक्षणा ) एक रक्तिका-संज्ञा, स्त्री. (सं० गुंजा, रत्ती
चीज दूसरी पर या में स्थापित करना घंधची, शुमची (दे०)। रत--सज्ञा, पु० (सं०) रक्षक, रखवाला रक्षा,
ठहराना, धरना, टिकाना, बचाना, रक्षा छप्पय का ६०वा भेद (पिं० । संज्ञा, पु.
करना । स० रूप-रखाना. प्रे० रूप-रख( सं० राक्षस् ) राक्षस।
वाना । यो :--रख-रखाव-रक्षा, व्यर्थ रक्षक-- संज्ञा, पु० (सं०) खघाला. रक्षा
विनष्ट या बरबाद न होने देना जोड़ना,
सौंपना. गिरवी या रेहन करना, निज अधि करने वाला, पहरेदार, रच्छक (दे०)।
कार में लेना (विनोद या व्यवहार के लिये), रक्षण-संज्ञा, पु. (सं०) रक्षा करना, बचाना,
मुकर्रर करना धारण करना व्यवहार करना, पालन-पोषण, रच्छन (दे०)।
ज़िम्मे लगाना. सिर मढ़ना, ऋणी होना, रक्षणीय - वि० (सं०) रक्षा करने योग्य । रक्षन*--संज्ञा, पु० दे० (सं० रक्षणा) रक्षण,
मन में धारण या अनुभव करना, संबंध
करना (स्त्री या पुरुष से), उपपत्री (उपपति) पालन-पोषण, रच्छन (दे०)।
बनाना। रक्षना*-स० क्रि० दे० । सं० रक्षगा )
रखनी-- संज्ञा, स्त्री० (हि० रखना + ई-प्रत्य०) रच्छना (दे०) रक्षा करना।
रखेली, बैठाई या रखी स्त्री, सुरैतिन, रक्षस*--संज्ञा, पु० दे० (सं० राक्षस) राक्षस ।
उपपत्नी। रक्षा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) रक्षण, बचाव,
रखया-वि० स्त्री० दे० (सं० रक्षा) रक्षा पालन-पोषण, रच्छा (दे०), भूत-प्रेत या
करने वाली। दृष्टिदोष से बचाने को बाँधने का सूत ।।
रखला-सज्ञा, पु० (दे०) छोटी तोप, तोप रक्षाइद-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० रक्षा ।
की गाड़ी या चर्ख । प्राइद-हि-प्रत्य. ) राक्षसपन । रक्षागृह--संज्ञा, पु० यो० (सं०) सूतिकागृह,
रखवाई संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० रखना, रखाना) जच्चाखाना।
रखाई (दे०) रखवाली, चौकीदारी. रखवाली रक्षाबंधन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रावण की मजदूरी रखाने या रखवाने का ढंग या पूर्णिमा को हिन्दुओं का एक त्यौहार, काम वि० संज्ञा, पु. (दे०) रखवैया । सलोनी (प्रान्ती०)।
रखवार* --संज्ञा, पु० दे० (हि० रखवाला) रक्षामंगल-संज्ञा, पु० यौ० (६०) भूत-प्रेत , रखवाला, चौकीदार, रक्षक ।
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