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मसका mamaarseeneranaamanarmanaamaaranam
१३८०
मसान a manmasomamaeemaamaANOHA
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मखक:---संज्ञा, पु. ( फा० ) ताज़ा घी, . मसल-संज्ञा, स्त्री० (५०) लोकोक्ति,
मक्खन. नवनीत, नैन् । “ दूर दही और कहावत, कहनावति । महा मायका''-~-इस्मा० ! दही का तोर या समलन -वि. (अ.) उदाहरणार्थ, जैसे. पानी, चूने की बरी का चूर्ण जो पानी यथा : छिड़कने से बने।
मला --स. कि० द० (हि. मलना ) शासकीन--वि० दे० { अमियकीन ) हाथ से रगड़ना. बल पूर्वक दवाना, मलना, कंगाल, बेचारा, सज्जन, सुशील, भोलाभाला पाटा गधना। दरिद, दीन। .. कारमार के ना बयाजद बहन-- संज्ञा, स्त्री. (अ०) भलाई की कार लाज ...--मादी।
बात, ऐसी गुप्त युक्ति जो महज में जानी समानरा---प्रज्ञा, पु० अ०हयो', उट्रेबाज़. न जावे । “दरोग मलहत 'श्रामेन वेह हँसी-मजाक करो बाला, दिल्लगीबाज । अज़ब रास्ती फ़तना अंगेज"..-सादी० । मसाजरा---ज्ञा, पु. ( अ० मसखरा । क्रि० वि०-समलहनन--जान-वृझ कर. पन-~~-प्रत्य० ) हपी ठटोली, ठट्टेबाजी, युक्ति से। दिल्लगी, ठट्ठा।
मम्मला-- संज्ञा, पु. (अ.) लोकोक्ति कहावत. मसाबरी ---संज्ञा, स्त्री० (फ़ा० मसखरा । ई .. विचारणीय. समस्या. मामला। प्रत्य०) इसी, दिल्लगी, मजाक। : मनवानी- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० मसबवा, मसखावा-संज्ञा, पुर. दे० यौ० मासवासी ) एक माग से अधिक किसी (हि. मांस खाना ) मांपाहारी, माँस स्थान पर न रहने वाला माधु । ज्ञा, स्त्री. खाने वाला।
वेश्या, रंडी गणिका मपजिद---- संज्ञा, स्त्री० इ० अ० मस्जिद) समविदा--संज्ञा, पु० (अ० : ममोदा (दे०), एकत्रित होकर मुसलमानों के नाना में पढ़ने उपाय, युक्ति, तरकीब, वह लेख जो या ईश्वर की प्रार्थना करने का मंदिर पहले साधारण रीति से लिखा जावे फिर
विचारानुसार उसमें कमीवेशी की जावे । मसनद--- संज्ञा, स्त्री० अ०) बड़ा या गाव- मनहर्ग, मेहरी--- ज्ञा, स्री. द. (सं. तकिया. अमीरों के बैठने की हो । यो मशहरी ) वह जालीदार वस्त्र जो मच्छड़ों से भमनन-किया।
बचने के लिये पलँग के ऊपर और चारों मानवी --- संज्ञा, (अ०) एक छंद. कथा काव्य। शोर लगाया जाता है, मसहरी लगाने का ममना।----स० कि० दे० (हि. भरलना ) पलंग, सनरी (दे०)। मालना, मचलना।
महार* . सज्ञा. पु. ६० (सं० मांसाहारिन) समंद--वि० ( द. मस । मदना : माँसाहारी, ममहारी (दे०)। बंद होना-हि० ) ठेलमठेल, रेलपेल, धकम- ना, मामा---संज्ञा, पृ.० द० (सं० माँसकील) धक्का, कशमकश !
देह पर माँस का उभर हुआ काले रंग का मसालाना-..अ० कि.० (दे०) दाँत पीपना, छोटा दाना, वबासी रोग के माँस का भीतर ही भीतर जलते रहना । ।
दाना । संज्ञा, पु० द० (सं० मशक) मच्छड़। मयारा . ज्ञा, पु० दे० (अ८ मशाल) । ममा ---संज्ञा, पु. ३० (सं० श्मशान ) मशालचो, मशाल ।
श्मशान, मरघट, चिटका (ग्रा०) । यौ० माग्नक ... सज्ञा, पु० (अ.) काम ना व्यवहार लिया गलान प्रेत हुधा तेली, पिशाच । में पाना. उपयोग, प्रयोग ।
महा-समान जगाना-तंत्र शास्त्र की
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