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१४५३
यवन
याकत यवन-संज्ञा, पु० (सं., यूनानी. मुसलमान, यशोधरा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) गौतम बुद्ध की कालयवन दैत्य, यूनान देश का निवासी। स्त्री, और राहुल की माता। स्त्री० यवनी।
यशोमति-- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० यशोदा ) यवनानी- वि० सं० यवन - पानीप् प्रत्य०) जसोमति (दे०)। यवन देश सबंधी, यवनों की लिपि । “यव- धि-यष्किा -संज्ञा, स्त्री० (सं०) लाठी, छड़ी, नाल्लिप्याम्" -- अष्टाः ।
मुलेठी, डाती, लकड़ी। यवनाल----संज्ञा, स्त्री० (सं०) जुआर नामक यह-सर्व० दे० (सं० इदम्) श्रोता और वक्ता धन्न।
को छोड़ निकट के अन्य सब के लिये प्रयुक्त यवनिका- संज्ञा, खो. (सं०) परदा, चिक, होने वाला शब्द (व्या. हि०) या (ग्र०),
नाटक के रंग मंच पर एक परदा (नाट्य)। संकेत वाच निकटवी, सर्वनाम | यवमती - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक वर्णिक यहाँ--कि० वे० दे० (सं० इह) इस ठौर या छंद (पिं० )।
स्थान पर, हप संसार में, इस जगह में । यवशा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) अजवाइन । इहाँ (७०, अव । मुहा०--यहाँ का यवस-- संज्ञा, पु० (सं०) नृण, घाम ।
यहीं-ठीक इसी स्थान पर । यवाग---संज्ञा, पु० (सं.) यवों के दलिये का यहि- सर्व० वि० दे० (हि. यह) विभक्ति से
माँड, या मत. यवों के श्राटे का हलुवा ।। पूर्व यह का रूप (प्रा. हि० ) इहि (व. यवास-संज्ञा, पु० दे० (सं० यवासक जवास, अव० ) " पहि ते अधिक धर्म नहि दूजा" जवासा. एक कटीला पौधा ।
-रामा० । यविष्ट-वि० (सं०) अतिलघु, पूर्ण युवा। यही- अव्य. वि. ( हि० यह + हो-प्रत्य.) यवीयम-- वि० (सं० ) छोटा. युवा । यह ही, निचय रूप से यह, यहि (दे०)। यवीयान- वि० (सं०) लघु, छोटा, युवा। इहै, यहै - ( व्र०, अब )। यश-संज्ञा, पु० (सं० यस् ) सुख्याति, कीर्ति यहीं-- अव्य (हि०, इसी स्थान पर, निश्चय प्रशंसा, बड़ाई, नेकनामी, जन्न (दे०)। रूप से यहाँ पर. इहें (व०, अव०)। मुहा०-यश गाना कीर्तन करना-- यहाद -- संज्ञा, पु. ( बानी ) वह स्थान जहाँ प्रशंसा करना, एहसान मानना । राश ___ महात्मा ईमा जन्मे थे। कहना-बड़ाई करना । शमानना ---- यहूदी-संज्ञा, पु. (यहद + ई प्रत्य०) यहूद कृतज्ञ इना।
देश-वासी, यहूद देश की भाषा और यशव-यशम- संज्ञा, १० (अ.) एक हरा लिपि । पत्थर जिम्मकी नादली बनाई जाती है। यहै, यहौ---पर्व (सं०) यह भी, यहो। यशस्वी-यणी-यशशील - वि० ( सं या--कि० वि० दे० हि. यहाँ) यहाँ । "याँ यशस्विन् यश + ई-प्रत्य ० ) कीर्तिमान, यश- अाज जैसा ऐवेगा वैदावहां कल पायेगा।" वाला : स्त्री. यशस्विनी।
या–अव्य० । फा०) या, अथवा । वि०, सर्व. यशुमति- संज्ञा, स्त्रो० (सं०) यशोदा, यशो- (दे०) विभक्ति लगने से पूर्व यह का संक्षिप्त मति (दे०), जमाति (दे०)।
रूप (०)। यशोदा- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०) जमादा यक, याका-- वि० दे० ( हि० एक ) एक । (दे०), नंद की स्त्री, जसुदा (दे०) इक ( अव० )। यशोधन-वि० यौ० ( सं० ) यश रूपो धन याकत - संज्ञा, पु. (अ०) एक लाल रत्न, वाला । "यशोधनो धेनुमृपेर्मुमोच"- रधु०।। लाल, चुन्नी ।
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