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यदूच्छया
यच्छया - क्रि० वि० यौ० (सं०) अकस्मात् मनमाने तौर पर, देवसंयोग से । “च्या शिश्रियदाश्रयः श्रियः " - माघ० । यदूच्छा - संज्ञा स्त्री० (सं० ) आकस्मिकसंयोग, स्वेच्छाचार | यद्वातद्वा - संज्ञा पु० यौ० (सं०) ऐसा वैसा, जो सो, भलाबुरा अनिश्चित, अनियमित, जैसा तैसा ।
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निग्रह
मन को
" कथं
"
यम- संज्ञा, पु० (सं०) मृत्यु और नर्क के देवता ( श्रार्य ) काल मृत्यु, यमराज जम (दे० ) । जुड़वाँ लड़के, धर्मराज, योग के अष्टांगों में से एक अंग, इंद्रियों और मन का ( योग० ) दो की संख्या, धर्म में स्थिर रखने के कर्मों का साधन । त्वमेतौ धृतिसंयमौयमौ ० किरात० । यमक - संज्ञा, पु० (सं०) एक अनुप्रास या शब्दालंकार जिसमें भिन्नार्थ के साथ यथाक्रम वर्णावृत्ति या शब्दावृत्ति हो ( श्र० पी० ), एक वृत्त (पिं० ) । यमकातर - संज्ञा, पु० यौ० (सं० यम + कातरहि०) यम की तलवार या खाँदा, जमका - तर | " कुलहा कातर श्री यमकातर कटि में नागफाँस हू बाँधि " स्५० । यमघंट - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुछ विशेष दिनों में कुछ विशेष नक्षत्रों के पड़ने का एक कुयोग ( ज्यो० ), दिवाली का दूसरा दिन ।
यमज - संज्ञा, पु० (सं०) धर्मराज, एक साथ के उत्पन्न दो लड़के जुड़वाँ, प्रश्विनीकुमार । यमदग्नि - संज्ञा, पु० दे० ( स० जमदग्नि ) जमदग्नि ऋषि, परशुराम के पिता । यमद्वितीया - संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं०) कार्तिक
शुक्ल द्वितीया, जमदुतिया भाई दुइज (दे० ) । यमधार - संज्ञा, पु० (सं०) दुधारा तलवार । यमन - संज्ञा, पु० (सं०) यमन, बंधन, रोक । यमनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यमराज, धर्मराज |
यवद्वीप
यमनाह- -संज्ञा, पु० दे० (सं० यमराज ) यमराज, धर्मराज |
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यमपुर- संज्ञा, पु० (सं०) यमलोक यमपुरी । "नारि पाव यमपुर दुख नाना" - रामा० । यमपुरी - संज्ञा, स्त्री० [सं० ) यमलोक । यमपुत्र यमपन (दे० ) -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्मराज युधिष्ठिर, यमसुन, यमात्मज । यम यातना - संज्ञा, खो० यौ० (सं०) यमलोक या नरक की पीड़ा, मृत्यु के समय का कष्ट, जग-जातना (दे० ) । " यमयातना सरिस संगारू -रामा० ।
यमराज - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धर्मराज,
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काल, जमराज ।
यमल - संज्ञा, पु० (सं०) यमज, जोड़ा, युग्म, जुड़वाँ बच्चे |
यमलार्जन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुबेर के पुत्र नलकूबर, और मणिग्रीव जो नारद के शाप से वृक्ष हो गये थे, श्रीकृष्ण ने इनका उद्धार किया ( भाग ) ! यमलोक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यस का लोक, यमपुरी ।
यमालय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) यमपुरी । यमी - संज्ञा, स्रो० (सं०) यम की बहिन, जो यमुना नदी हुई ( पुरा० ) ।
यमुना -- संज्ञा स्त्री० (सं०) जमुना, जमना (दे० ) यम की बहिन, उत्तर भारत की एक बड़ी नदी, दुर्गा ।
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पुत्र,
ययाति -- संज्ञा, पु० (स०) राजा नहुष ये शुक्राचार्य की कन्या देवयानी से व्याहे थे, ( पुरा० ) । मनहु स्वर्ग तं खस्यो
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राम० ।
ययाती " यव - संज्ञा, पु० (सं०) जौ नामक एक अनाज, एक या बारह सरसों की तौल, एक इंच का तिहाई भाग, अँगुली की पोर पर जवा जैसी रेखा ( शुभ-सासु० ) । यद्वीप - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जावा द्वीप, ( भूगो० ) ।