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बैठाना
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बेन, बैना बैठे बैठाये (बिठाये)-एकाएक, अचानक, ! तथा निरर्थक से प्रतीत होने वाले शब्दों व्यर्थ में, अकस्मात, व्यर्थ, निरर्थक, अकारण । को सार्थक सा बना देना। राँधना या पकने बैठे बैठे-बेकार, व्यर्थ में, बेमतलब, को आग पर रखना । अकारण, अकस्मात्. अचानक. निष्प्रयोजन । बैठारना, बैलालना -स० क्रि० दे० (हि. बैठते-उठते - सदा. हरदम : किसी समय | वैशना) बैठाना, बिठालना। या स्थान पर ठीक जमना, कैंड़े पर आना, बैढ़ना ---स० कि० दे० ( हि० बाड़ा, बेढ़ा) अभीष्ट कार्य या बात होना, प्रभाव पड़ना, बेंड़ना, बंद करना। उपयुक्त या ठीक होना, किसी उठाये हुए बैत-संज्ञा, श्री० (१०) पद्य, छंद, श्लोक । कार्य को छोड़ देना, नीचे धंस जाना। यौ० वैतबाजी-अंताक्षरी पद्य पाठ । महा०-नाक बैठना-- कंठ-स्वर में | वैतरनी-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वैतरणी) अनुनासिकता पाना । अभ्यस्त होना, पानी यमलोक की नदी। आदि में घुली वस्तु का तल पर जम जाना,
| वैतरा, बैतला-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार डूबना, दबना, पैठना, पचक या धंस जाना,
की सोंठ। बिगड़ना, कारबार टूट जाना पड़ता पड़ना,
बैताल-एंज्ञा, पु० दे० (सं० बेताल) द्वारपाल, मूल्य या खर्च होना, निशाने पर लगना,
शिवजी के गणाधिप, एक भूत-योनि । जमीन में पौधे का गाड़कर लगाया जाना,
बैतालिक-सं० पु० दे० ( सं० वैतालिक) किसी स्त्री का किसी पुरुष की पत्नी
__ स्तुति-पाठक। बन जाना, घर में पड़ना । मुहा०-मन,
वैद - ज्ञा, पु० दे० (सं० वैद्य) वैद्य, हकीम, चित्त या दिल में बैठना-पसंद आना, |
डाक्टर । स्त्री० बैदिनी। संज्ञा, स्त्री० --बैदीप्रभाव पड़ना, याद हो जाना । गला
वैद्य का कार्य या पेशा । लो०-बैद करै बैठना-स्वर बिगड़ना । बे रोज़गार या
बैदकी चंगा करै खुदाय, जाव बैद घर आपने बेकार रहना।
बात न बूझ कोय-कबी०।। बैठाना-२० क्रि० (हि. बैठना) अासनासीन |
वैदक -- संज्ञा, पु० दे० ( सं० वैद्यक) आयुर्वेद, या उपविष्ठ करना, स्थित होने को कहना,
। चिकित्सा शास्त्र, वैद्यक । नियुक्त या स्थापित करना, हाथ को किसी
| बैदकी, वैदगी, बैदी-संज्ञा, स्त्री० (हि. कार्य को बार बार कर अभ्यस्त करना | माँजना ठिकाना, ठीक तरह जमा देना,
| वैद । वैद्यविद्या, वैद्य का व्यवसाय, वैद का डुबाना, पचकाना या घुसाना, निशान या |
ना कार्य या काम।। लक्ष्य पर जमाना, कारबार को बिगाड़ना | बैदाई, बैदई, वैदी-संज्ञा, स्त्री० (हि. बैद ) या चलता न रहने देना जलादि में घुली वस्तु वैद्या का कार्य । “बैद करै बैदाई भाई को तल पर जमाना, पौधे श्रादि को पृथ्वी चंगा करै खुदाय"-कबी०।। पर गाहना. या लगाना, किसी स्त्री को पत्नी | वैदेही-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वैदेही । बनाकर घर में रखना, किसी उलझन या| सीताजी, जानकीजी, विदेह-पुत्री। " वैदेही पेचीदा बात को सुलझा कर ठीक करना, । मुख पटतर दोन्हें"-रामा। उपयुक्त या ठोक करना। जैसे-हियाव | बैन, बैना--संज्ञा, पु० दे० (सं० वचन) बैठाना । मुहा० - ठीक बैठाना-अभीष्ठ । बात, बचन, बयन (दे०)। " सुनि केवट के कार्य या बात करना, प्रबंध या व्यवस्था बैन" - रामा० । मुहा०-बैन झरना (उचित) करना। अर्थ बैठाना-असंगत | (कढ़ना)-मुख से बात निकलना।
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