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मंसूख १३५१
मकोय " मनमतंग गैयर हनै. मंसा भई सचान" मकर, छल, फरेब, धोखा, कपट, नखरा । -कबी०।
" एक बार तहँ मकर नहाये "-रामा० । मंसूख-वि० ( अ० ) रद, काटा या खारिज मकरतार-ज्ञा, पु० दे० ( हि० मक्लैश ) किया हुआ। संज्ञा, स्त्री-मंसूवी । बादले का तार । मंसूवा-संज्ञा, पु. ( अ०) मनसूया (दे०) मकरध्वज-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मदन,
उपाय. ढंग. इरादा, विचार, ग्रायोजन। कामदेव, रससिंदूर, चन्द्रोदय रस, हनुमान मंसूर - संज्ञा, पु. ( अ.) एक मूफी साधु ।। जी के स्वेद-विंदु-पान से एक मछली से मई-सर्व द० ( हि० में ) मैं।
उत्पन्न पुत्र। मइमंत--वि० द० ( सं. मदमत्त ) मदोन्मत्त, मकर-संक्रांत-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) वह
मतवाला, घमंडी, अहंकारी, अभिमानी समय जब सूर्य मकर राशि में प्रविष्ठ मई-प्रत्य० (दे०) मयी (सं०) वाली । संज्ञा, होता है ! स्त्री० दे० ( अ० में ) अप्रैल के बाद और मकरा-संज्ञा पु० दे० ( सं० वरक ) मडुवा जून के पूर्व का महीना।
नामी एक तुन्छ अन्न । संज्ञा, पु. (हि. मकई-मकाई।--संज्ञा, स्री० (दे०) मक्का मकड़ा ) एक कीड़ा. बड़ी मकड़ी। नामक अन्न।
मकराकृत --- वि० यौ० (सं०) मकर या मकड़ा-मकरा -- संज्ञा, ३० दे० (सं० मर्कटक) मछली के आकार का। " मकराकृत गोपाल बड़ी मकड़ी, नर मकड़ी. ( स्त्री० मकड़ी)। के, कुण्डल सोहत कान"--वि० । मकड़ी-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० मर्कटक ) मकरी--संज्ञा स्त्री० (सं०) मगर की मादा, मकरी (१०) पाठ आँखों और पाठ पैरों (दे०) मकड़ी। वाला एक कीड़ा, मकड़ी, छोटा मकड़ा। मकान -- संज्ञा पु० (अ.) घर, गृह, वासमकतव--- संज्ञा, पु. ( अ०) पाठशाला, बच्चों स्थान | संज्ञा, स्त्री०-मकानियत। के पढ़ने का स्थान, मदरसा। " तिफ़ले मकंद,मकुंदा--संज्ञा, पु० दे० ( सं० मुकुंद) मकतब है अरसतू मेरे भागे"-जौक। मुकंदा (दे०) मुकंद, मुकंद, कृष्ण । मकदूर--संज्ञा, पु. ( अ०) शक्ति, सामर्थ्य, "श्रारि करी ननिवाल मकुन्द"-वृजवि० । वश, समाई, कावू, गुंजाइश । “ मकदूर मकु --- अव्य दे० (सं० म) बल्कि, चाहे, क्या हमैं कब तेरे वसकों की रकम का"-जोक। जाने, शायद, कदाचित् । गगन मगन मकु मकबरा--संज्ञा, पु. ( अ०) क़ब्रस्तान, मेघहि मिलई"---रामा० । मज़ार, रोज़ा, वह घर या स्थान जहाँ लाश म.ना--संज्ञा, पु० दे० सं० मनाक = हाथी) गड़ी हो । “ माबरों में जा के हम यह बिना दाँतों का हाथी, बिना मूछ का देखते हैं रोज़ रोज़" -सोज ।
मनुष्य । मकरंद-संज्ञा, पु. ( सं० ) फूलों का रस, मकुनी-मकून --संज्ञा, स्त्री० (दे०) बेसन पराग, फूल का केसर, राम, माधवी, मन्जरी, । की कचौरी, बेसनी रोटी, बेसनौटी। एक वर्णिक वृत्त (पि० ।
मकोई मकोय-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. मकर--संज्ञा, पु० (सं०) एक जलजंतु, मगर, मकोय ) जंगली मकोय, मकोइया (ग्रा०)। मेषादि १२ राशियों में से दसवीं राशि, मकोड़ा-संज्ञा, पु. ( हि० कीड़ा का अनु०) एक लग्न (ज्यो०) एक सेना-व्यूह, मछली, छोटा कीड़ा । यौ० कोड़ा-मकोड़ा। माघ का महीना, छप्पय का ३६वाँ भेद (पि०) मकोय - संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० काक माता ) मक (दे०) मकर-संक्राति । संज्ञा, पु० (फ़ा०) | लाल और काले दो तरह के छोटे मीठे फलों
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