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बोबा १३०२
बोली को बीजा डालना। लो०--"जो बोना | बोल-चाल-संज्ञा, स्त्री० यौ० (हि०) सम्भासो काटना, कहै यहै सब कोय ।" षण, कथोपकथन, बात चीत, चलती भाषा, बोबा-संज्ञा, पु० (दे०) स्तन, थन, साज. व्यवहार की बोली, छेड़-छाड़, हेलमेल, सामान, गट्ठर, अंगड़-खंगड़, गठरी। मो०- पारस्परिक सद्भाव । यौ०-बोली-बानी। बोबी।
मुहा०-बोल-चाल न होना-परस्पर बोया-संज्ञा, स्त्री० दे० (फा० बू) गंध, सद्भाव न होना, वैमनस्य होना । ।
बास, महक । जैसे बदबोय, खुसबोय।। बोलता-संज्ञा, पु० दे० (हि. बोलना) बोर-संज्ञा, पु० दे० ( हि० बोरना ) डुबाने | ज्ञान कराने और बोलने वाला तस्व, पारमा,
की क्रिया, दुबाव, सिर का एक गहना। जीव प्राण, जीवन-तत्व, जान। बोरना-स० क्रि० दे० (हि० चूड़ना) जलादि | बोलती-संज्ञा, स्त्री० (दे०) बोलने की शक्ति, में निमन कर देना, डुबाना, बदनाम या वाणी, वाकशक्ति। कलंलित करना. मिलाना या योग देना, बोलनहारा -- सज्ञा, पु. (हि. बोलन । हाराधुले रंग में डुबोकर रंगना।
प्रत्य.) आत्मा, जीव, बोलने वाला। बोरसी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) गोरसी (हि०) बोलना-अ० कि० दे. ( सं० ० ) शब्दोअँगीठी। वि०-गोरस सम्बन्धी।
च्चारण करना. बात चीत करना, किपी बोरा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पुर == दोना, पात्र) वस्तु का शब्द निकालना या करना । यौ० टाट का बना अनाज श्रादि भरने का थैला । --बोलना-चालना-बात-चीत करना। संज्ञा, पु० (दे०) डुबाने की क्रिया, दुबाव । मुहा०-बोल जाना--मर जाना अशिष्ट), बोरिया-संज्ञा, पु. (फ़ा. चटाई बिस्तर । चुक या फट जाना, बेकाम हो जाना, "अपने अपने बोरिया पर जो गदा था शेर उपयोग या व्यवहार के योग्य न रहना. कुछ था"-- मीर० । यौ० -- बोरिया-बसना, कहना बदना, ठहराना, रोक टोक या छेड़बोरिया-बंधना. बोरिया-बस्तर, बोरिया- छाड़ करना । * बुलाना, टेरना (७०), बचका। मुहा०-बोरिया-बधना उठाना पुकारना, पास पाने को कहना । प्रे० रूप
-कूच की तैयारी करना, प्रस्थान करना। बोलवाना, बोलावना। संज्ञा, स्त्रीबोरी-संज्ञा, स्त्री० ( हि० बोरा ) छोटा बोरा, बोलनि व्र०)। मुहा०-बोलि पठाना टाट की थैली।
- वुला भेजना. निमंत्रित करना। “ राजा बोरो-संज्ञा, पु. ( हि० बोरना) एक प्रकार जनक ने यज्ञ रची है दशरथ बोलि पठाये का मोटा धान, इन्द्र-धनुष ।
हैं जी"--स्फु० । बोल-संज्ञा, पु० (हि. बोलना ) शब्द, बोलसरी- संज्ञा, पु. (दे०) मौलसिरी । वाक्य. वाणी, कथन, वचन व्यंग, ताना, | संज्ञा, पु. (?) एक प्रकार का घोड़ा। फबती या लगती हुई बात, बाजों का गठा बोलाचाली-संज्ञा, सो० दे० ( हि० बोलशब्द, प्रतिज्ञा, प्रण। मुहा०-बोल-बाला चाल बात-चीत, बोल-चाल, बोला-बाली रहना या होना-बात का बढ़ कर रहना या माना जाना, साख. धाक या मान-बोली संज्ञा, स्त्री० ( हि० बोलना) मुख से मर्यादा बनी रहना गीत का खंड. अंतरा | निकला शब्द. वाणी. वचन, बात, अर्थवान (संगी०) । बड़े बोल बोलना--अभिमान | शब्द या वाक्य. भाषा नाल म में दाम की बात करना। लो०-"दूर के बोल कहना, हंपी, दिल्लगी, ठठोली, किसी सुहावन लागत।"
प्रान्त-वासियों के विचार प्रगट करने का
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