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मैतचर्या, भैक्षवृत्ति
भोकार
भैतव, भैतवृत्ति - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) भिक्षा माँगने का काम | भैचक, भैचक - वि० ० दे० ( हि० भय + चक्र = चकित) चकित अचंभित, _कपकाया हुआ, भौचक ० ) । भैजन, मैजनक - वि० दे० ( पं० भयजनक ) भयप्रद, भयकारी ।
भैरवी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्गा, चामुंडा । "भाय्यां रक्षतु भैरवी' - दु० स० । भैरवीचक्र - संज्ञा, पु० (सं०) वाम मार्गियों की मंडली | " प्राप्ते भैरवीचक्रे सर्वे वर्ण द्विजातियः " -- स्फु० |
भैरवयातना - संज्ञा स्त्री० (सं०) मरते समय भैरव द्वारा दिया गया कष्ट ।
भैद, मैदा - वि० दे० ( सं यद, भयश ) मैगें- संज्ञा, पु० (३०) भैरव (सं०) शिव या
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भयप्रद भयकारक |
भैना, मैनो-- संज्ञा, त्रो० (दि० बहिन ) बहिन | भैने -- संज्ञा, पु० (दे०) बहिन का लड़का, भाँजा, भानैज ।
भैमी - संज्ञा, त्रो० (सं०) राजा नल की स्त्री, और विदर्भ के राजा भीम की सुता, दमयंती |
भैयंस- संज्ञा, पु० यौ० ० (सं० शा ३० भाई + अंश) पैत्रिक संपत्ति में भाई का अंश या भाग, मैयांस
भैया - संज्ञा, पु० दे० ( सं० बाट ) भ्राता, भाई. बराबर वाले या छोटों का संबोधन । भैयाचार - संज्ञा, पु० यौ० द० (हि० भैया + श्राचार) जिनके साथ भाई जैन व्यवहार हो, बंधु बांधव, जाति जन, भाई बंधु । भैय्याचारी, भैयाचारी रक्षा. सी० दे० ( हि० भाईचारा ) भाई-चारा भैयादूज - संज्ञा, स्त्री० दे० यो० (सं० भ्रातृ द्वितीया ) कार्तिक शुक्ल द्वितीय भाई-दुइज, जब बहिन भाई के तिलक करती है, यमद्वितीया ।
भैरव - वि० (सं०) भयप्रद, भयानक, भयंकर, डरावना भयावने या घोर शब्द वाला । संज्ञा, पु० (सं०) महादेवजी, शिवजी के गण जो उन्हीं के धवतार माने जाते हैं, भयानक रस ( काव्य ), ६ रागों में से एक मुख्य राग.
भयानक शब्द |
भैरवनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव, शिव के एक प्रमुखगण | "सौंहो भैरवनाथ are मैं वाक मिलायो
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- हरि० ।
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शिव के एक मुख्य गण ।
भैपज - संज्ञा, पु० (सं०) श्रौषधि दवा । भैहा* - संज्ञा, पु० ० ( हि० भय + हाप्रत्य० ) डरा हुआा भयभीत, जिस पर भूतादि का प्रवेश हो ।
भोंकना स० क्रि० (अनु०) नुकीली चीज़ शरीर में घुमाना या धँसाना घुसेड़ना | स० रूप- भोकाना, ० रूप- भोकवाना । भोंड़ा - वि० दे० (हि० भद्दा या भों में अनु० ) कुरूप, भद्दा, बदसूरत । त्रो० भांड़ी। भोंडापन -संज्ञा पु (हि०) भद्दापना, बेहूदगी ।
भोवरा -- वि० (दे०) गोठिल कुंटित, बिना धार का जो पैना न हो ।
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भांडू - ( हि० बुद्ध ) मूर्ख बेवकूफ़ । भोपू - वि० संज्ञा, पु० (अनु० ) मुँह से फ्रैंक कर बजाने का एक बाजा । भोंसला, मांसले – संज्ञा, पु० दे० ( सं० भूशिला ) महाराष्ट्रों या मरहठा राजायों की . उपाधि, महाराज शिवाजी थोर रघुनाथराव इसी कुल के थे ।
भोट
- अ० क्रि० दे० ( हि० भया = हुमा ) हुआ, भया, संबोधन ।
भाई -- सज्ञा, स्त्री० (०) कहार. धीमर, पालकी ढोने वाला |
भोकस - वि० दे० (हि० भूख) भुक्खड़ | सज्ञा, पु० (दे० ) एक प्रकार के राम । भोकार --- संज्ञा, स्त्री० ६० ( अनु० भो भो ) ज़ोर ज़ोर से रोना ।
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