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पैरवीकार ११५८
पोछन पैरवीकार--संज्ञा, पु० (फ़ा०) पैरवी करने । प्राकृतिक भाषा.पिशाची, पिसाची (दे०) वाला, पैरोकार (दे०)।
पिशाच का उपासक । स्त्री. पिशाचिनी। पैरा-संज्ञा, पु० दे० (हि० पैर) पड़े हुये पैशुन्य-संज्ञा, पु० (सं०) पिशुनता, छल, चरण, पौरा, ऊँचाई पर चढ़ने को लकड़ी दुष्टता धोखेबाज़ी, चुगुलखोरी, पर-निन्दा । के बल्लों से बना मार्ग।
पैसना - अ० क्रि० दे० (सं० प्रविश) पैराई-संज्ञा, स्त्री० (हि. पैरना) पैरना या घुसना, प्रवेश करना, पैठना । नि, कि० -- . तैरने का भाव या क्रिया, तैराई।
पैसाना, प्रे० रूप-सवाना।
माना in पैराक-संज्ञा, पु. ( हि० पैरना ) तैराक। पैसरा--संज्ञा, पु० दे० सं० परिश्रम ) झंझट, पैराव-संज्ञा, पु. ( हि० पेरना ) पैर कर पार व्यापार. प्रयत्न, बखेड़ा। करने योग्य गहरा पानी।
पैसा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पाद या पणाश) पैरेखना -स. क्रि० दे० (सं० प्रक्षण )
ताँबे का एक चलता सिक्का जो एक पाने का परखना, जाँचना, श्रौलरे करना, आसरा
चौथाई होता है धन. द्रव्य रोकड़ । "जब देखना, बाट जोहना, परेखना।
लगि पैसा गाँठ में तब लग यार हज़ार"पैरोकार-सं० पु० दे० ( फा० पैरवीकार )
गिर० । वि० पैसेवाला---धनी। मुहा०पैरवी करने वाला, अनुगामी। पैले*-संज्ञा, पु० दे० (सं० पातिली)
पैसा उड़ाना-- बहुत खर्च करना, अधिक अनाज नापने का काष्ट-पात्र. मापपात्र, दूध
व्यय करना ठगना चुराना । पैसा खाना
विश्वासघात करके खा लेना या दवा श्रादि ढकने का पात्र। स्त्री० अल्पा०-पैली।
बैठना । पैसे का मुंह देखना-रुपये का पैद-संज्ञा, पु. ( फा०) वस्त्र के छेद बंद
विचार कर ख़र्च न करना। पैसा डुबोनाकरने का टुकड़ा, चकती, थिगरी या थिगली,
धन गँवाना या नष्ट करना, घाटा उठाना। जोड़, फल बढाने या स्वाद बदलने को एक
पैसा बना-धन मारा जाना या नाश पेड़ की टहनी को काटकर दूसरे में जोड़ना,
होना, घाटा होना पैसा लगाना-धन कलम बाँधना, पेवंद।
लगाना, व्यय या खर्च करना । पैसे से पैबंदी-वि० ( फा० ) पैवंद द्वारा उत्पादित
दरबार बाँधना--रिशवत या घूस देकर (फलादि)।
मनमाना काम कराना । पैसे को फूस या पैवस्त-पेवस्त-वि० दे० ( फा० पैवस्तः ) धूल समझना-अंधाधुध व्यय करना। समाया या पैठा हुश्रा, सोखाया, घुसा पैसार-संज्ञा, पु. (हि. पैसना) प्रवेश, हुश्रा, भीतर प्रविष्ठ हो फैला हुआ। । पैठार. । 'अति लघुरूप धरौं निसि नगर पैशाच-वि० (सं०) पिशाच संबंधी. पिशाच करौं पैसार'-- रामा० । 'स्त्री० पैसारी)। देश का, पिशाच का।
पहारी -वि० दे० यौ० (सं० पयस + आहारी) पैशाच-विवाह-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) आठ केवल दूध ही पीकर रहने वाला। प्रकार के विवाहों में से एक जो सोती कन्या पोंका-संज्ञा, पु० (दे० ) पौधों पर उड़ने को उठा ले जाकर या मदमत्त स्त्री को बहका वाला पतिंगा पोका, बोंका (प्रान्ती.)। या फुसला कर किया जावे।
पोंगा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० पुटक ) धातु या पैशाचिक-वि० (सं० ) राक्षसी. घोर, बाँस की नली, चोंगा, पाँव की नली। वि०
भयंकर और घृणित या वीभत्स, पिशाचों का। पोला, मूर्ख । स्त्री० अल्पा-पोंगी। पैशाची-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) एक तरह की | पोंछन-संज्ञा, पु० दे० ( हि० पोंछना ) वस्तु
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