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बारहमासी १२६१
बारूद की प्राकृतिक दशा का वर्णन वियोगी- बारिगर*-संज्ञा, पु० दे० ( हि० बारी+ द्वारा हो।
गर ) सिकलीगर, हथियारों में धार रखने बारहमासी - वि० ( हि.) बारहो महीने वाला। होने वाला. सदा-बहार, सदा फल, सब बारिधर-सज्ञा. पु० दे० यौ० (सं० वारिधर) ऋतुओं में फलने-फूलने वाला।
मेघ, बारिद, वारिध, बादल, एक वर्ण वृत्त बारहवाँ-बारहाँ-वि० (हि. ) ग्यारहवें (पिं० )। के बाद वाला।
| बारिश- संज्ञा, स्त्री. (फा०) बरसात, वर्षा बारहसिंघा-बारहसिंगा-संज्ञा, पु० दे० ऋतु. वर्षा वृष्टि।। यौ० ! हि० बारह + सींग ) एक प्रकार का बारी- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० अवार ) तट, हिरण, जिसके कई सींग होते हैं। किनारा हाशिया, खेत, बाग श्रादि के चारों बारहा-क्रि० वि० ( फा० ) कई वार, कई पोर की मेंड. घेरा, बाढ़, बरतन के मुँह का मरतबा, बारम्बार, बहुग, बहुतेरा । 'बारहा घेरा, श्रौंठ धार ! संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वाटी) दिल से कहा पर एक भी माना नहीं' क्यारी. बाटिका, फुलवारी, घर, मकान,
झरोखा, खिड़की, बंदरगाह । संज्ञा, पु. एक बारहीं.--संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० बारह जन्म जाति जो दोना-पत्तल बनाती है। संज्ञा, से बारहवे दिन का पुत्र-जन्मोत्सव, बरही,
स्त्री० ( हि० बार ) बेर, पारी, (ग्रा० )। बरहौं ( ग्रा.)।
क्रमानुगत अवर. मौका । मुहा०--बारी बारा-वि० दे० ( सं० वाल ) बालक, छोटा
बारी से -- काल या स्थान के क्रम से एक बच्चा । संज्ञा, पु० दे०-लड़का, बालक ।
के बाद एक । बारी बाँधना (लगाना)संज्ञा, पु० (दे०) बारह । कि० वि० (दे०) बेर,
क्रमानुसार श्रागे पीछे प्रत्येक का पृथक पृथक विलंब । “ अति सुकुमार तनय मम बारे'
समय नियत कर देना। वि० (दे०) कम उम्र -रामा०। 'सो मैं करत न लाउब बारा"
की । संज्ञा. स्त्री० (हि. बार = छोटा ) -रामा०।
कन्या, लड़की, बच्ची, नवयौवना। संज्ञा, बारात-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वरयात्रा)
स्त्री० (दे०) कान की बाली। वर या दूल्हे के साथ उसके बंधु-बांधवों या
बारीक-वि• (फ़ा०) महीन, पतला, सूक्ष्म, मित्रों का जुलूस, वर-यात्रा, बरात (दे०)।
जो कठिनता से सोचा समझा जावे, जिसके वि०-बागती, बराती।
बनावट में कला पटुता तथा दृष्टि सूचमता
प्रगट हो । संज्ञा, स्त्री० बारीकी। बारान, बारां-संज्ञा, पु० (फ़ा०) मेह, बादल,
बारीकी-संज्ञा, स्त्री० ( फ़ा०) महीनता, बरसात ।
सूधमता, दुर्बलता, खूबी. गुण, विशेषता। बारानी-वि० (फ़ा०) बरसाती ! संज्ञा, स्त्री. बारुनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वारुगो) वह पृथ्वी जहाँ बरसात के पानी से ही
मदिरा, दारू (दे०)। खेती हो, बरसात में पानी से बचाने वाला बारू-संज्ञा. पु० दे० ( सं० बालुका ) बालू । कपड़ा।
बारूद-संज्ञा, खो० दे० तु० बाख्त ) तोप बाराह-संज्ञा, पु० दे० ( सं० बराह ) शूकर।। या बंदूक छुड़ाने का मसाला या बुकनी, बाराहीवेर-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० वराह + एक तरह का धान, दारू (प्रान्ती० )।
बदर ) औषधि विशेष, नेत्रवाला। मुहा० --गोली-बारूद-लड़ाई का बारि - संज्ञा, पु० (दे०) पानी, वारि (सं०)। ! सामान ।
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