________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
११६६
फरश, फरस तेहि मारा" -रामा० । संज्ञा, पु० (दे०) जाज़िम । वि० अनुपम, बेजोड़, अनोखा । सामना, बिछौना।
फरना -अ० क्रि० दे० (सं० फल ) फरक-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० फरकना) फड़क, फलना। " सब तरु फरे राम हित लागी"
फड़कने का भाव । पु० (दे०) फर्क (फा०) -रामा० । फरक-संज्ञा, पु० दे० ( अ० फ़र्क ) अंतर, फरफंद-संज्ञा, पु० यौ० (हि० अनु० फर+ दूरी, अन्यता, भिन्नता, दुराव, अलगाव, | फंदा-जाल ) कपट,छल, दाँव पेंच, प्रपंच, भेद, कमी, फरक (दे०) । मुहा०-- फरक माया, चोचला, नखरा, मक्कर । वि० फरफरक होना-हटो, बचो, भागो, दूर हो ।
'कंदी। का शब्द होना, अलग अलग होना।
फर फर--संज्ञा, पु. ( अनु०) उड़ने या फरकन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि फरकना )
फड़कने का शब्द । “फर फर फर फर उड़ा फड़कने या फरकने का भाव, फड़क, बछेडा ज्यों पिंजरा ते उड़ि जाय बाज़" फरक फरतिक (प्रे०)।
फरफराना-स० क्रि० दे० (अ.) फड़फरकना -अ.क्रि० दे० ( सं० स्फुरण )
फड़ाना, फट-फटाना, फर फर शब्द करपृथक या विरुद्ध होना, फड़कना, कूदना, उछलना, हिलना, उमड़ना, उड़ना, आप ही
जलना । संज्ञा, स्त्री० फरफराहट।।
फरकुंदा- संज्ञा, पु० दे० (सं० पतंग ) बाहर होना । स० क्रि०-फरकाना, प्रे० रुपफरकवाना । “फेरि फरकै सो न की जै"
पतिंगा, फतिंगा। -गिर० ।
फरमा-संज्ञा, पु० दे० (२० फ़म) कालबूत, फरका-संज्ञा, पु० दे० ( सं० फलक ) बड़ेर ।
जूते का साँचा या ढाँचा । संज्ञा, पु० दे० के एक ओर का छप्पर, जो अलग बना कर
( अं० फार्म ) प्रेस में एकबार में छपने का चढाया जाता है, द्वार का टट्टर, पल्ला।
कागज़ का एक तख़्ता। फरकाना-स० क्रि० दे० (हि. फरकना) फरमाइश-संज्ञा, स्त्री० [फा०) श्राज्ञा, किसी हिलाना, फड़फड़ाना, अलग या पृथक करना वस्तु के तैयार करने या लाने की धाज्ञा । फरचा-वि० दे० (सं० स्पृश्य ) पवित्र, फरमाइशी-वि० ( फ़ा०) विशेष रूप से . शुद्ध, साफ-सुथरा ।
धाज्ञा देकर बनवाई या मंगाई गई वस्तु । फरजंद-संज्ञा. प. ( फा० ) लडका बेटा फरमान-संज्ञा, पु. (फा० ) राजाज्ञा-पत्र, पुत्र । “घर कब से बदतर है जो फरजंद । अनुशासन पत्र । यौ० फरमानशाही। नहीं है ".--अनीस।
फ़रमाना-स० कि० दे० (फ़ा०) भाज्ञा देना, फरजी-संज्ञा, पु. (फ़ा०) शतरंज, में वज़ीर
इजाजत देना, कहना । " मैं जो कहता हूँ का मोहरा । वि० बनावटी, कल्पित, नकली,
कि मरता हूँ तो फरमाते हैं "-अक० ! फरजी (दे०)।
फरराना, फर्राना-अ० कि० दे० ( हि० फरजी-बंद-संज्ञा, पु० यौ० (फ़ा०) शतरंज के
फहराना ) फहरना, फहराना, उड़ना खेल में एक योग।
फरवी संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० स्फुरण) लाई, फरद-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० फ़र्द) स्मरणार्थ मुरमुरा, भुना चावल । एक काग़ज़ पर लिखी वस्तुओं की सूची या फरलाँग फलांग- संज्ञा, पु. ( अं०) २२० लेखा, बहुतों में से एक वस्तु, एक से कपड़ों गज या मील । के जोड़े में से एक, रजाई या दुलाई का एक फरश, फरस-संज्ञा, पु० दे० ( अ० फर्श) पल्ला, दो पदों की कविता, बिछौना, बिछौना, धरातल, पक्कीगच, समतल भूमि |
For Private and Personal Use Only