________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
फिनिया
१२०३
फिसलन फिनिया-संज्ञा, स्त्री० (दे० ) कान का एक मुहा०—किसी ओर फिरना-प्रवृत्त गहना।
होना। भाग्य फिरना-दुर्भाग्य या सौभाग्य फिनैल-संज्ञा, पु. ( अं० फिनायल ) एक पाना । दिल या जी फिरना-चित्त उचट तीव गंध वाला द्रव पदार्थ जिससे कीड़े मर जाना । दिन फिरना-सौभाग्य के अच्छे जाते हैं।
दिन पाना, लौटना, विपरीत होना, लड़ने फ़िरंग-संज्ञा, पु० दे० ( अं० फ्राँक ) यूरुप को तैयार हो जाना, उलटा होना मुहा० ---- महाद्वीप का एक देश, फिरंगिस्तान, गोरों
सिर-दिमाग़ फिरना-बुद्धि नष्ट या भ्रष्ट का देश । यौ०-फिरंगरोग-गरमी, श्रात
होना। आँखें फिरना-मूर्छित होना, मर शक और मूत्रकृच्छ्र या सूजाक का रोग।
जाना । झुकना, टेढ़ा होना, घोषित होना । फिरंगी-वि० दे० (अं० फ्रांक ) फिरंग देश का वासी, या वहाँ उत्पन्न, गोरा । संज्ञा,
चढ़ाया या पोता जाना, बात पर दृढ न स्त्री०-विलायत की बनी तलवार ।
रहना, इधर उधर घूमना या चलना।
फ़िराक-संज्ञा, पु० (अ०) विछोह, वियोग, फिरंट-वि० दे० (हिं. फिरना, अं०-फ्राट ) |
अलगाव, खोज, चिंता, सोच । खिलाफ, विरुद्ध, फिरा हुआ, सन्मुख, लड़ने
फिराना-२० क्रि० ( हि० फिरना ) इधर को तैयार । फिर-क्रि० वि० (हि. फिरना) पुनः, दोबारा,
या उधर घुमाना, ऐंठना, मरोड़ना, बार बार पुनर्वार, बहुरि, फेरि (व०) फ़िरि (दे०)। |
चक्कर या फेरे देना, पलटाना, टहलाना, यौo-फिर फिर-बार बार,लौट लौट कर, |
उलटाना, लौटाना फेराना (दे०)। कई बार । अनन्तर, दूसरे समय, पीछे, उपरांत,
फिरार, फरार-संज्ञा, पु० (अ०) भागजाना, उस दशा में, तब, इसके अतिरिक्त, इसके |
भागना । वि०फिरारी, फरारी।
फिरिरी --- क्रि० वि० दे० ( हि. फिरना ) सिवाय, आगे चलकर महा.-फिर क्या
फेर, फेरि (दे०) फिर, धागे, पीछे, पुनः, है-तब क्या पूछना है, तब तो कोई अड़चन ही नहीं है।
दोबारा । पू० का. क्रि० (७०) फिर या फ़िरका-संज्ञा, पु. (अ.) जाति, संप्रदाय,
लौट कर। पंथ, मार्ग, जत्था, समूह ।
फ़िरियाद*-संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० फ़रियाद) फिरकी-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. फिरना) फ़रियाद, पुकार, गुहार । वि. फिरियादी। लड़कों का एक बीच की कील पर घूमने वाला फिल्ली -संज्ञा, स्त्री० (दे०) पिंडली। गोल खिलौना, चकई, फिरहरी, चरखे के | फिस-वि० (१०) कुछ नहीं। मुहा०तकले में लगाने का चमड़े का गोल टुकड़ा।
टॉय टॉय फिस-धूमधाम तो बहुत
टॉय टाय "खिरकी खिरकी पै फिरै फिरकी सी"... | थी पर फल कुछ भी ना हुथा। मतिः ।
(मामला ) फिस होना ( करना )फिरता-संज्ञा, पु० दे० (हि. फिरना) किसी कार्य या बात का व्यर्थ होना (करना)। वापसी, अस्वीकार । वि० वापस लौटाया | फिसड़ी, फसड़ी- वि० दे० ( अनु० फिस ) हुधा । (स्त्री० फिरती)।
जो काम में सबसे पीछे हो, जो कुछ भी न फिरना-प्र० कि० (हि० फेरना का अ.) कर सके। घूमना, टहलना, भ्रमण करना, विचरना, फिसलन-संज्ञा, स्त्री. ( हि० फिसलना) सैर करना चक्कर लगाना, ऐंठ जाना, लौटना, । झुकना, प्रवृत होना, रपट, रपटन, गीलेपन पलटना, विरोधी हो जाना, मरोड़ना, मुड़ना।
और चिकनाहट से पैर का स्थिर न होना। स० रूप फिराना, प्रे० रूप फिरवाना।। संज्ञा, पु. फिसलाहट ।
For Private and Personal Use Only