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बाणिज्य
१२५४
बात
हाथ थे। " रावण बाणासुर दोऊ, अति बात पर जाना-बात पर ध्यान देना, विक्रम विख्यात "-रामः ।
कहने का भरोग करना । बात तक न बागिज्य-संज्ञा, पु० (सं०) गौदागरी व्यापार, पहना ---कुछ भी ध्यान न देना, रंच भी रोजगार, वणिज, बनिज (दे०)।
आदर न करना। बात पूछना-खोज-खबर बाणी, बानी--संज्ञा, स्त्री० दे० । सं० वाणी) लेना, श्रादर करना बात बढ़ना - विवाद सरस्वती, भाषा, गिरा, जिला. बोली, वाग। या झगडा हो जाना, किसी विवाद, प्रसंग "वानी जगरानी की उदारता बखानी या घटना का विकट रूप होना : बात जाय"-रामच० ।
बढ़ाना--बिवाद या झगड़ा करना । बात बात-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० वार्ता ) वाणी, नाना---बहाना करना, झूठ बोलना, वचन, सार्थक शब्द या वाक्य, कथन । धोखे की बात करना । वातं बनाना -- "तात सों बात कहौं समुझाय के' झूठमूठ बातें करना, बहाना या खुशामद मुहा०-बातों में अाना (पड़ना)- करना । बाता में उड़ाना बातों या हँसी बहकाने या भुलावे में पड़ना । (पुगी )। में ट लना, टाल-मटूल करना । चातों में बात उखाड़ना-(पुरानी) चर्चा छेडना, लगाना- बातों में फँमा रखना । चर्चा, भूली बातों की स्मृति दिलाना, प्रसंग प्रसंग, वर्णन | मुहां-बात उठाना--- उठाना बुरी बातें छेड़ना । जान उठाना चर्चा या प्रसंग चलाना या छेड़ना । बात ( सहना )-~कड़ी बातें सहना बात चलाना या छेड़ना--चर्चा होना. प्रसंग मानना । (बात) कहते बात की बात में- माना । बार लगना-किसी कथन का तुरंत । जात काटना-किपी की बातों के । संकल्प मा दृढ़ होना, बात का प्रभाव पड़ना, बीच में बोलना, बातों का खंडन करना । बात का बुरा लगना । वातागका - बातें गढ़ना--- प्रसन्नकारी चिकनी-चुपड़ी बात चलाना । बात का (के लिये) अच्छी बातें करना, झूठी बातें करना। सरना-अपनी बात रखने का प्रयत्न करना, बात की बात में-तुरंत. झटपट । बात वचनों से अपना महत्व प्रगट करना । ' मरत पर जमना-अपने कथन से न बदलना । कह बात को'-नंद० गत पर मरनाबात ही बात में-बातचीत करने में। अपने कथन या संकल्प की चरितार्थता का " बातहि बात कर्ष बढ़ि गयऊ"--रामा० । पूर्ण प्रयत्न करना. तदर्थ सर्वस्व त्यागना । बात रहना-जो कहा है उसका सही बात पडना-चर्चा छेड़ना । वात प्रवना, होना, वही होना । वात पर श्राना। बात को जड़ पूछना -किसी विषय पर (अडना)-प्राग्रह या हठ करना । बात व्यर्थ कार्य कारण सम्बन्धी प्रश्न करना, (खाली) जाना--प्रार्थना या बिनतो का व्यर्थ खोज करना अफवाह, किम्बदंती, मंजूर न होना, निष्फल जाना । बात से प्रवाद । मुहा-बार उड़ना (उड़ाना)टलना-अपने कथन से हट जाना । बात चर्चा फैलना (निंदा करना) किसी प्रसंग का टलमा-कहना व्यर्थ होना । बार समाप्त होना । दात कहना----सब श्रोर टालना-सुनी अनसुनी करना, किसी बात ख़बर फैलाना, बुरा भला कहना । व्यवस्था, को छोड़ दूपरी छेड़ना। चानना- माजरा, हाल महा.--बात का बतंगड तनिक भी प्रादर या परवाह न करना।। करना (बढ़ाना )-छोटे से कार्य को किसी की बात कहना-सारे प्रसंग व्यर्थ बहुत सा बढ़ा देना । बात पर बात को छोड़ किसी एक ही बात को ले लेना। कहना-उत्तर-प्रत्युत्तर देना । बात का
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