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पूरित
पूर्तविभाग समूचा, संपन्न । (स्त्री० ... परी)। प्रणता-संक्षा, स्त्री० (सं०) पूर्ण होने का मुहा०—किमी बात का पूरा-जिपके भाव, पूरा होना । पूर्णव पास कोई वस्तु यथेष्ट या बहुत हो, दृढ़ मज- पूर्णत्र संज्ञा, पु० यौ० (सं०) किसी वस्तु बुन । मुह० किमी का प्रग पड़ना- से पूर्णतया भरा हुआ बर्तन हवन-सामग्री काम पूर्ण हो जाना और सामान न घटना, से भरा बर्तन ।। पूर्णकृत या पूर्णतया संप.दित, संपूर्ण । पूर्ण-प्रज्ञ--वि० यौ० (सं०) पूरा ज्ञानी। मुहा. - कोई काम पूग उतरना- सज्ञा, पु० पूर्णप्रज्ञ' -दर्शन के निर्माता यथेष्ट या यथायोग्य रूप में होना, भली | मध्वाचार्य । भाँति होना · बात का पूरा उतारना--- पूर्ण प्रशदर्शन--- संज्ञा, पु० यौ० (सं.) सत्य या ठीक होना । दिन पूरे करना-- वेदान्त दर्शन के सूत्रों के अाधार पर बना किसी भाँति कालक्षेप करना, वक्त बिताना, | हुआ एक दर्शन शास्त्र विशेष । समय बिताना काल काटना, पूरे दिनों से पूर्णभूत- सज्ञा, पु० यौ० (सं.) वह भुत होना । स्त्री का ) धासन्न प्रसवा होना. गर्भ काल जिसे बीते बहुत समय हो चुका के समय का पूरा होना। दिन पूरे होना- | हो ( व्या० )। अंतकाल का समय आना। "पुरा माहिब पूर्णमामा सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पूर्णिमा, सेइये, सब बिधि पूरा होय ',-कवीर० । चांद्र मा पका अंतिम दिन जब चन्द्रमा गांठ का पूरा-धनी। " लो०-आँख सब कलाओं से युक्त हाता है पूरनका अन्धा गाँठ का पूरा।"
मासी. पूनो पुन्नवासी (दे०)। पूरित-वि० (सं०) भरा हुमा, पूरा, पूर्ण, पूर्ण विराम--सज्ञा, पु० यौ० (सं०) वाक्य गुणा किया हुया, संपन्न, तृप्त ।।
के पूर्ण होने का चिन्ह (लिपि )। पूरा-ज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० पूलिका । पूर्णातिथि-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) पंचमी, खौलते घी में पकी रोटी, पूड़ी, ढोज श्रादि दशमी, पूर्णिमा, अमावस्या तिथियां (ज्यो०)। के मुंह का गोल चमड़ा घार का छोटा प्रणायु - सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० पूर्णायुस ) पूरा । वि० स्त्री० (दे०) पूर्ण। पु० पूरा। पूरी श्रायु सौ वर्ष की आयु । वि०-सौ प्रण वि० (सं०) भरा हुआ पूरा, इच्छा- वर्ष पर्यंत जीने वाला। रहित पूण काम, तृप्त. यथेच्छ. भरपूर पर्याप्त, पूर्णावतार - सज्ञा, पु. यौ० (सं०) ईश्वर अडित, समस्त सिद्ध, समाप्त, सफल, या देवता क षोड्श. कला-युक्त पूरा अवतार। पूरण, पूरन (दे०) : यौ० -- पूर्ण काम - पूर्णाहुति-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) होम में जिसकी इच्छा पूर्ण हो गई हो. पूर्ण मनोरथ। अंतिम पाहुति, किसी काम का अंतिम कृत्य । पूणकाम-वि• यौ० (स०) जिसके सब पूणिमा -- सज्ञा, स्त्री० ( स० ) पूर्णमासी। मनोरथ पूरे होगये हों, कोई इच्छा शेष न पूणेोपमा-सज्ञा, स्त्री० यौ० ( स०) उपमा हो निष्काम कामना-रहित ।
अलंकार का एक भेद जि में उपमान उपपूर्ण कुंभ-सज्ञा, पु० चौ. (सं०) जल भरा । मेय, वाचक. और धर्म -गरों अंग प्रगट हों। घड़ा, मंगल-घट, पूरा कलम ।
पूर्त- संज्ञा, पु० ( सं० ) कुआँ बावली, देवपूर्णचंद्र- सज्ञा, पु० यो० (सं०) पूर्णिमा का मन्दिर, बाग, महक, धर्मशाला आदि का बनपूरा चन्द्रमा । "पूर्ण चन्द्र निभानना"---|वाना पालन। वि० पूरित. आच्छादित । पूर्णतः पूर्ण नया-क्रि० वि० (सं०) पूरी पूर्तविभाग---सज्ञा, पु० ( सं० ) सड़क आदि तरह से , पूरी तौर पर , पूर्ण रूप से। . के बनवाने का विभाग।
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