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पूति
११४८ प्रति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) दुर्गधि, पवित्रता। वि० (दे० ) पूर्ण (सं० ), वि० (सं.) प्रतिकणक-संज्ञा, पु. (सं.) कान का पूरा करने वाला, पुरक । वि० पूरणीय। रोग, कान पकना ( वै०)।
पूरन-* वि० दे० ( सं० पूर्ण ) पूर्ण, पूरा । प्रतिगंधि-सज्ञा, पु० यौ० (सं०) दुर्गधि। पूरनपरब * संज्ञा, पु० दे० यौ० पूती- संज्ञा, स्त्री० (सं० पोत = गहा ) गाँठ (सं० पूर्ण + पर्वन् ) पूर्णमासी, अमावस्या रूपी जड़, लहसुन, प्याज ।
आदि, परा पर्व त्यौहार।। प्रताकृत-वि. यो. (सं०) पवित्रीकृत, पुरनपुरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पूर्ण + शोधित, रक्षित।
पूलिका पूरी हि० ) मीठी कचौरी। पून-सज्ञा, पु० दे० (सं० पुगय ) पुण्य, । पूरनमामी - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पूर्णदान । " जेहिकर चून तेहीकर पून"- मासी) पूर्णमासी, पूनो। घाघ । सज्ञा, पु० दे० (सं० पूर्ग. ) पूर्ण। पूरना ।-स० कि० दे० (सं० पूरण) पूनघ, पूनी-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पूर्णिमा) पूर्ति या पूरा करना, कमी या त्रुटि को पूर्ण करना पूणिमा, पूर्णमासी पूनिउँ (प्रा.)। ढाँकना, ( इच्छा ) सफल या सिद्ध करना, "नित प्रति पूनो ही रहति" वि०। शुभावसरों पर भाटे या अबीर से चौक पूनी-पोनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० पिंजका) बनाना, देव पूजन के लिये वर्गादि बनाना. धुनी हुई रूई की मोटी बत्ती जिससे चरखे फैलाना या बटना, जैसे डोरा पूरना, बजाना, पर सूत काता जाता है।
कना, जैले शंख पूरना। क्रि० अ० दे० पूना, पूनो । *- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०
(सं• पूर्ण ) भर जाना, परा हो जाना, गढ़े पूर्णिमा ) पूर्णिमा, पूर्णमासी, पूनव ।।
आदि को भरना। पूप-संज्ञा, पु० (सं.) पुत्रा । यो० दंड-पूप
पूरब-संज्ञा, पु० दे० (सं० पूर्व ) प्राची पूर्व, एक न्याय (तर्क०)।
सूर्योदय की पूर्व दिशा। विलो. पूय-संज्ञा, पु० (सं० ) पीब, मवाद।।
पच्छिम 1-1 वि० क्रि० वि०- पहले पुर-वि० दे० (सं० पूर्ण ) पूर्ण, किसी
का, अगला, पुराना, पहले, भागे। 'तिनकहँ
मैं परब वर दीन्हा"- रामा० । पकवान के भीतर भरने को मसाला या
पूरबल, पुर्गबले * -- संज्ञा, पु० दे० अन्य पदार्थ, जैसे गोमिया में। वि० (सं.)
(सं० पूर्व+ल-हि. प्रत्य० ) प्राचीन काल, जलसमूह, जल का प्रवाह, प्रवर्धन, जलधारा, " महादधेः पूर इवेन्दु दर्शनात् "- रघु० ।
पुराना समय, पूर्व या पहला जन्म ।
" कौन पुरबिले पाप तें"-गिर० पूरक-वि० (सं०) पूरा करने वाला । संज्ञा,
पूरबला- वि० पु० दे० ( सं० पूर्व + लापु० (स.) प्राणायाम की प्रथम विधि जिसमें
प्रत्य० ) पुराने समय का, पूर्व जन्म का, श्वास को भीतर की ओर बल-पूर्वक
प्राचीन, पुराना । स्त्री० परवली। खींचते हैं (विलो. रेवक) : गुणक अंक पूरबी-वि० दे० (सं० पूर्वीय ) पूर्व दिशा (गणि० ) स्वास छोड़ना, बिजौरा नीबू ,
या पूर्व का. पूर्व दिशा या पूर्व संबंधी। संज्ञा, मृत्यु तिथि से दस दिन तक मृत व्यक्ति के
पु० दे० ( सं० पूर्वीय ) पूर्व देश का एक लिये दिये जाने वाले १० पिंडे ( हिन्दू ।। | चावल, या तमाखू , विहार का एक राग पुरण- संज्ञा, पु० (सं०) (विलो० झरण) दादरा ( संगी० )। पूरा या समाप्त करना, भरना, अंकों का गुणा पुरा- वि० पु० दे० ( सं० पूर्ण ) भरा. परिकरना, पूरक या दशाह पिंड, वृष्टि, सागर। पूर्ण, समग्र, पूर्ण, भरपूर काफी, यथेष्ट,
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