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पीछु, पाछु
पीठ अप्रिय कार्य से सम्बन्ध न रहना, फंसे हुए | चिपटा करना । मुहा०-(सिर) छाती कार्य को त्यागना।
पीटना-दुख या शोक में हाथों से छाती पीछू, पाछू*1-क्रि० वि० दे० (हि० पीछा) ठोंकना, शोक करना, बुरी-भली भाँति पीछे।
कर डालना, किसी तरह ले लेना, फटकार पीछे-भव्य० दे० (हि० पीछा ) पश्चात, लेना । संज्ञा, पु०-मारने का शोक या दुख, पीठ की तरफ़ (विलो०-आगे, सामने)। आपत्ति । संज्ञा, स्त्री० पिटाई। पाछे (ग्रा.)। पीछे कुछ दूर पर । मुहा०-~| पीठ-संज्ञा, पु० (सं०) चौकी, पीडा, पाटा, (किसी के ) पीछे चलना-नक़ल या "पलँग, पीठ तजि गोद हिंडोरा"-रामा०। अनुसरण या अनुकरण करना, अनुयायी अधिष्ठान, सिंहासन, वेदी, प्रदेश, मूर्ति का होना । किसी के पोछे छोड़ना श्राधार-पिंड, विष्णु-चक्र से कट कर दक्ष या भेजना-किसी का पीछा करने के हेतु सुता सती के अङ्ग या भूषण का स्थान किसी को भेजना। धन पीछे डालना- (पुरा० ), वृत्त के अंश का पूरक, प्रान्त । जोड़ना, संचय करना। किसी काम के 'भूपाल मौलि-मणि-मंडित-पाद पीठ' । संज्ञा, पीछे पड़ना-किसी कार्य के पूर्ण होने के स्त्री० दे० ( सं० पृष्ठ ) पेट के पीछे की ओर हेतु लगातार उद्योग या श्रम करना । किसी का भाग, पृष्ठ, पुश्त, पशु-पक्षी के ऊपर का व्यक्ति के पोछे पड़ना-उसे परेशान भाग । मुहा०-पीठ चारपाई से लग या तंग करना, घेरना, बुराई करते रहना। जाना-अति दुर्बल या कमजोर हो जाना । किसी काम को प्रेरणा करना या बारबार पीठ लहना (पाना)-जीतना । "जिनको कहना । पीछे लगना ( लगाना)-पीछे * "लहहिं न रिपु रन पीठी'-रामा० । पीछे जाना, पीछा करना ( भेजना ) अप्रिय पीठका-पीठ पर का, पीछे का। पीठ वस्तु का साथ हो जाना। अपने पीछे ठोंकना-शाबाशी देना, प्रशंसा करना, लगाना (लेना)-साथ करना, ( लेना)। प्रोत्साहित करना, हिम्मत बँधाना। पीठ श्राश्रय देना, हानिकारी वस्तु से संबंध करना।। दिखाना-लड़ाई या तुलना से भाग जाना, किसी और के पीछे लगाना-अप्रिय | पीछा दिखाना। पीठ दिखा कर जानावस्तु या ब्यक्ति से संबंध करा देना, जिम्मे ममता मोह या प्रेम-स्नेह त्याग कर जाना। मढ़ देना, भेद लेने या ताक रखने को साथ पीठ दिखा जाना-हार मान लेना, करा देना । मुहा०-पीछे छूटना, पड़ना विमुख हो भाग जाना। पीठ देना-विदा या होना-पिछड़ा या न्यून होना, पिछड़ या रुखसत होना, चल देना, भाग जाना जाना, समान व्यक्ति से किसी बात में | मुंह मोड़ना, विमुख होना, लेटना, आराम घट कर हो जाना। किसी को पीछे करना। पीठ पर या पीठ पर काछोड़ना--किसी बात में बढ़ कर या जन्म-क्रम में पीछे का (अनुज )। पीठ अधिक हो जाना, बढ़ जाना, किसी को पीछे | मींजना या पीठ पर हाथ फेरना भेजना । मर जाने पर, पश्चात्, अंत में, न | ( रखना)-पीठ ठोंकना, शाबाशी देना, होने पर, उपरान्त, हेतु, बदौलत, अनन्तर प्रशंसा करना, प्रोत्साहन देना। पीठ पर निमित्त, अभाव या अविद्यमानता में, वास्ते, होना-सहायक होना। पीठ पीछेलिये, पीठ-पीछे ।
परोक्ष में, अनुपस्थिति में। लो-पीठ पीटना-स० क्रि० दे० (सं० पीडन ) मारना,
पीछे राजा को भी लोग गाली देते हैं।' ठोंकना, श्राघात करना, चोट दे चौड़ा या | पीठ फेरना-चला जाना, अनिच्छा
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